Old/New Testament
21 ए जम्मो घटना के बाद, पौलुस ह मकिदुनिया अऊ अखया प्रदेस होवत यरूसलेम जाय के फैसला करिस। ओह कहिस, “उहां जाय के बाद, मोला रोम घलो जाना जरूरी ए।” 22 पौलुस ह अपन मदद करइयामन ले दू झन – तीमुथियुस अऊ इरासतुस ला मकिदुनिया पठो दीस अऊ खुदे कुछू दिन बर एसिया प्रदेस म रूक गीस।
इफिसुस सहर म दंगा
23 ओही समय परभू के रसता के बारे म बहुंत बड़े दंगा होईस। 24 देमेतिरियुस नांव के एक झन सुनार रहय। ओह अरतिमिस देवी के चांदी के छोटे-छोटे मंदिर बनाके कारीगरमन ला बहुंत अकन काम देवय। 25 ओह ओमन ला अऊ आने चीज के कारीगरमन ला एक संग बलाईस अऊ ओमन ला कहिस, “हे मनखेमन हो! तुमन जानत हव कि ए धंधा ले हमन ला बने आमदनी होवथे। 26 पर तुमन देखत अऊ सुनत हव कि ए मनखे पौलुस ह सिरिप इफिसुस म ही नइं, पर जम्मो एसिया प्रदेस म कतको मनखेमन ला समझाके ओमन ला भरमा दे हवय। ओह कहिथे कि मनखे के बनाय मूरतीमन ईसवर नो हंय। 27 अब सिरिप ए बात के ही खतरा नइं ए कि हमर धंधा के परतिस्ठा चले जाही बल्कि ए घलो कि महान देवी अरतिमिस के मंदिर तुछ समझे जाही अऊ देवी जऊन ला कि पूरा एसिया प्रदेस अऊ संसार म पूजे जाथे, ओकर जस खतम हो जाही।”
28 जब ओमन ए सुनिन, त अब्बड़ गुस्सा होईन अऊ चिचिया-चिचियाके कहिन, “इफिसीमन के अरतिमिस देवी महान ए।” 29 अऊ जम्मो सहर म कोलाहल मच गीस। मनखेमन मकिदुनिया के गयुस अऊ अरिसतर्खुस ला, जऊन मन पौलुस के संगी यातरी रिहिन, पकड़ लीन, अऊ एक संग नाचा-घर म दऊड़ गीन। 30 पौलुस ह भीड़ करा जाय बर चाहत रिहिस, पर चेलामन ओला जावन नइं दीन। 31 ओ प्रदेस के कुछू अधिकारीमन पौलुस के संगी रिहिन। ओमन ओकर करा बिनती करके ए खबर पठोईन कि ओह नाचा-घर म झन जावय।
32 सभा म गड़बड़ी होवत रिहिस। कोनो मन कुछू चीज बर चिचियावत रहंय, त कोनो मन आने चीज बर। जादा मनखेमन तो ए नइं जानत रहंय कि ओमन उहां काबर जुरे रिहिन। 33 भीड़ के कुछू मनखेमन सिकन्दर ला उकसाईन, जऊन ला यहूदीमन आघू म कर दे रहंय। सिकन्दर ह इसारा करिस कि जम्मो चुप हो जावंय ताकि ओह मनखेमन के आघू म जबाब दे सकय। 34 पर जब मनखेमन ए जानिन कि ओह यहूदी अय, त ओमन जम्मो झन लगभग दू घंटा तक ए कहिके चिचियाईन, “इफिसीमन के अरतिमिस महान ए।”
35 तब सहर के बाबू साहेब ह भीड़ ला सांत करके कहिस, “हे इफिसुस के मनखेमन! जम्मो संसार ह जानत हवय कि इफिसुस सहर ह महान अरतिमिस के मंदिर अऊ अकास ले गिरे ओकर मूरती के संरछक ए। 36 ए बात ला कोनो इनकार नइं कर सकंय, त तुमन सांत रहव अऊ बिगर सोचे बिचारे कुछू झन करव। 37 तुमन ए मनखेमन ला इहां लाने हवव, जऊन मन न मंदिर ला लूटे हवंय अऊ न हमर देवी के निन्दा करे हवंय। 38 यदि देमेतिरियुस अऊ ओकर संगी कारीगरमन ला काकरो बिरोध म कोनो सिकायत हवय, त कचहरी खुला हवय अऊ उहां हाकिममन हवंय। ओमन उहां नालिस कर सकथें। 39 यदि तुमन कोनो अऊ बात के बारे म पुछे चाहत हव, त ओकर फैसला ठहराय गे सभा म करे जाही। 40 आज के घटना के कारन हमर ऊपर दंगा करवाय के दोस लगे के खतरा हवय। ए हो-हल्ला करे के, हमर करा कोनो कारन नइं ए। हमन एकर बारे म कोनो जबाब नइं दे सकन।” 41 ए कहे के बाद, ओह सभा ला बिदा कर दीस।
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