Old/New Testament
21 ओ बखत कहूं कोनो तुमन ला ए कहय कि देखव मसीह ह इहां हवय, या देखव मसीह ह उहां हवय, त बिसवास झन करहू। 22 काबरकि लबरा मसीह अऊ लबरा अगमजानीमन परगट होहीं अऊ अइसने चिन्हां अऊ चमतकार देखाहीं कि कहूं हो सकय, त चुने मनखेमन ला घलो भरमा देवंय। 23 एकरसेति सचेत रहव। मेंह तुमन ला जम्मो बात आघू ले बता दे हवंव।”
मनखे के बेटा के अवई
(मत्ती 24:29-31; लूका 21:25-28)
24 “ओ बिपत पड़े के बाद,
ओ दिनमन म सूरज ह अंधियार हो जाही अऊ चंदा ह अपन अंजोर नइं दिही।
25 अऊ अकास के जम्मो सक्तिमन हलाय जाहीं अऊ तारामन गिर जाहीं।[a]
26 तब मनखेमन मनखे के बेटा ला अब्बड़ सक्ति अऊ महिमा के संग बादर म आवत देखहीं। 27 अऊ ओह अपन स्वरगदूतमन ला पठोके धरती के ए छोर ले लेके धरती के ओ छोर तक – चारों दिग ले, अपन चुने मनखेमन ला संकेलही।
28 अंजीर के रूख ले ए बात सिखव। जब ओकर डंगालीमन कोंवर हो जाथें अऊ पानामन निकरे लगथें, तब तुमन जान लेथव कि धूपकाला ह लकठा म हवय। 29 ओही किसम ले जब तुमन ए बातमन ला होवत देखव, त जान लेवव कि समय ह लकठा म आ गे हवय अऊ सुरू होवइयाच हवय। 30 मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि जब तक ए बातमन नइं हो लिहीं, तब तक ए पीढ़ी के मनखेमन नइं मरंय। 31 अकास अऊ धरती ह टर जाही, पर मोर बचन ह कभू नइं टरय।”
ओ दिन अऊ समय ह अनजान
(मत्ती 24:36-44)
32 “ओ दिन अऊ समय के बारे म कोनो नइं जानंय, न स्वरग के दूतमन, न बेटा, पर ओला सिरिप ददा जानथे। 33 सचेत अऊ सावधान रहव काबरकि तुमन नइं जानव कि ओ समय ह कब आही। 34 एह ओ मनखे के सहीं अय, जऊन ह परदेस जाथे अऊ जाय के पहिली अपन घर ला अपन सेवकमन के भरोसा म छोंड़के ओमन ला अपन-अपन काम बता देथे अऊ घर के चौकीदार ला सचेत रहे के हुकूम देथे।
35 ए खातिर सचेत रहव काबरकि तुमन नइं जानत हव कि घर के मालिक ह कब आ जाही, संझा बखत या आधा रतिहा या कुकरा बासत या बड़े बिहनियां। 36 अइसने झन होवय कि ओह अचानक आवय अऊ तुमन ला सुतत पावय। 37 जऊन बात मेंह तुमन ला कहत हंव, ओहीच बात मेंह जम्मो झन ला कहत हंव – सचेत रहव।”
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