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Read the New Testament in 24 Weeks

A reading plan that walks through the entire New Testament in 24 weeks of daily readings.
Duration: 168 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
2 कुरिन्थियों 12-13

पौलुस पर प्रभु का विशेष अनुग्रह

12 अब तो मुझे गर्व करना ही होगा। इससे कुछ मिलना नहीं है। किन्तु मैं तो प्रभु के दर्शनों और प्रभु के दैवी संदेशों पर गर्व करता ही रहूँगा। मैं मसीह में स्थित एक ऐसे व्यक्ति को जानता हूँ जिसे चौदह साल पहले (मैं नहीं जानता बस परमेश्वर ही जानता है) देह सहित या देह रहित तीसरे स्वर्ग में उठा लिया गया था। और मैं जानता हूँ कि इसी व्यक्ति को (मैं नहीं जानता, बस परमेश्वर ही जानता है) बिना शरीर के या शरीर सहित स्वर्गलोक में उठा लिया गया था। और उसने ऐसे शब्द सुने जो वर्णन से बाहर हैं और जिन्हें बोलने की अनुमति मनुष्य को नहीं है। हाँ, ऐसे मनुष्य पर मैं अभिमान करूँगा किन्तु स्वयं अपने पर, अपनी दुर्बलताओं को छोड़कर अभिमान नहीं करूँगा।

क्योंकि यदि मैं अभिमान करने की सोचूँ तो भी मैं मूर्ख नहीं बनूँगा क्योंकि तब मैं सत्य कह रहा होऊँगा। किन्तु तुम्हें मैं इससे बचाता हूँ ताकि कोई मुझे जैसा करते देखता है या कहते सुनता है, उससे अधिक श्रेय न दे।

असाधारण दैवी संदेशों के कारण मुझे कोई गर्व न हो जाये इसलिए एक काँटा मेरी देह में चुभाया गया है। जो शैतान का दूत है, वह मुझे दुखता रहता है ताकि मुझे बहुत अधिक घमण्ड न हो जाये। काँटे की इस समस्या के बारे में मैंने प्रभु से तीन बार प्रार्थना की है कि वह इस काँटे को मुझमें से निकाल ले, किन्तु उसने मुझसे कह दिया है, “तेरे लिये मेरा अनुग्रह पर्याप्त है क्योंकि निर्बलता में ही मेरी शक्ति सबसे अधिक होती है” इसलिए मैं अपनी निर्बलता पर प्रसन्नता के साथ गर्व करता हूँ। ताकि मसीह की शक्ति मुझ में रहे। 10 इस प्रकार मसीह की ओर से मैं अपनी निर्बलताओं, अपमानों, कठिनाइयों, यातनाओं और बाधाओं में आनन्द लेता हूँ क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूँ, तभी शक्तिशाली होता हूँ।

कुरिन्थियों के प्रति पौलुस का प्रेम

11 मैं मूर्खों की तरह बतियाता रहा हूँ किन्तु ऐसा करने को मुझे विवश तुमने किया। तुम्हें तो मेरी प्रशंसा करनी चाहिए थी यद्यपि वैसे तो मैं कुछ नहीं हूँ पर तुम्हारे उन “महा प्रेरितों” से मैं किसी प्रकार भी छोटा नहीं हूँ। 12 किसी को प्रेरित सिद्ध करने वाले आश्चर्यपूर्ण संकेत, अद्भुत कर्म और आश्चर्य कर्म भी तुम्हारे बीच धीरज के साथ प्रकट किये गये हैं। मैंने हर प्रकार की यातना झेली है। चाहे संकेत हो, चाहे कोई चमत्कार या आश्चर्य कर्म 13 तुम दूसरी कलीसियाओं से किस दृष्टि से कम हो? सिवाय इसके कि मैं तुम पर किसी प्रकार भी कभी भार नहीं बना हूँ? मुझे इस के लिए क्षमा करो।

14 देखो, तुम्हारे पास आने को अब मैं तीसरी बार तैयार हूँ। पर मैं तुम पर किसी तरह का बोझ नहीं बनूँगा। मुझे तुम्हारी सम्पत्तियों की नहीं तुम्हारी चाहत है। क्योंकि बच्चों को अपने माता-पिता के लिये कोई बचत करने की आवश्यकता नहीं होती बल्कि अपने बच्चों के लिये माता-पिता को ही बचत करनी होती है। 15 जहाँ तक मेरी बात है, मेरे पास जो कुछ है, तुम्हारे लिए प्रसन्नता के साथ खर्च करूँगा यहाँ तक कि मैं अपने आप को भी तुम्हारे लिए खर्च कर डालूँगा। यदि मैं तुमसे अधिक प्रेम रखता हूँ, तो भला तुम मुझे कम प्यार कैसे करोगे।

16 हो सकता है, मैंने तुम पर कोई बड़ा बोझ न डाला हो किन्तु (तुम्हारा कहना है) मैं कपटी था मैंने तुम्हें अपनी चालाकी से फँसा लिया। 17 क्या जिन लोगों को मैंने तुम्हारे पास भेजा था, उनके द्वारा तुम्हें छला था? नहीं! 18 तितुस और उसके साथ हमारे भाई को मैंने तुम्हारे पास भेजा था। क्या उसने तुम्हें कोई धोखा दिया? नहीं क्या हम उसी निष्कपट आत्मा से नहीं चलते रहे? क्या हम उन्हीं चरण चिन्हों पर नहीं चले?

19 अब तुम क्या यह सोच रहे हो कि एक लम्बे समय से हम तुम्हारे सामने अपना पक्ष रख रहे हैं। किन्तु हम तो परमेश्वर के सामने मसीह के अनुयायी के रूप में बोल रहे हैं। मेरे प्रिय मित्रो! हम जो कुछ भी कर रहे हैं, वह तुम्हें आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली बनाने के लिए है। 20 क्योंकि मुझे भय है कि कहीं जब मैं तुम्हारे पास आऊँ तो तुम्हें वैसा न पाऊँ, जैसा पाना चाहता हूँ और तुम भी मुझे वैसा न पाओ जैसा मुझे पाना चाहते हो। मुझे भय है कि तुम्हारे बीच मुझे कहीं आपसी झगड़े, ईर्ष्या, क्रोधपूर्ण कहा-सुनी, व्यक्तिगत षड्यन्त्र, अपमान, काना-फूसी, हेकड़पन और अव्यवस्था न मिले। 21 मुझे डर है कि जब मैं फिर तुमसे मिलने आऊँ तो तुम्हारे सामने मेरा परमेश्वर कहीं मुझे लज्जित न करे; और मुझे उन बहुतों के लिए विलाप न करना पड़े जिन्होंने पहले पाप किये हैं और अपवित्रता, व्यभिचार तथा भोग-विलास में डूबे रहने के लिये पछतावा नहीं किया है।

अंतिम चेतावनी और नमस्कार

13 यह तीसरा अवसर है जब मैं तुम्हारे पास आ रहा हूँ। शास्त्र कहता है: “हर बात की पुष्टि, दो या तीन गवाहियों की साक्षी पर की जायेगी।” जब दूसरी बार मैं तुम्हारे साथ था, मैंने तुम्हें चेतावनी दी थी और अब जब मैं तुमसे दूर हूँ, मैं तुम्हें फिर चेतावनी देता हूँ कि यदि मैं फिर तुम्हारे पास आया तो जिन्होंने पाप किये हैं और जो पाप कर रहे हैं उन्हें और शेष दूसरे लोगों को भी नहीं छोड़ूँगा। ऐसा मैं इसलिए कर रहा हूँ कि तुम इस बात का प्रमाण चाहते हो कि मुझमें मसीह बोलता है। वह तुम्हारे लिए निर्बल नहीं है, बल्कि समर्थ है। यह सच है कि उसे उसकी दुर्बलता के कारण क्रूस पर चढ़ाया गया किन्तु अब वह परमेश्वर की शक्ति के कारण ही जी रहा है। यह भी सच है कि मसीह में स्थित हम निर्बल हैं किन्तु तुम्हारे लाभ के लिए परमेश्वर की शक्ति के कारण हम उसके साथ जीयेंगे।

यह देखने के लिए अपने आप को परखो कि क्या तुम विश्वासपूर्वक जी रहे हो। अपनी जाँच पड़ताल करो अथवा क्या तुम नहीं जानते कि वह यीशु मसीह तुम्हारे भीतर ही है। यदि ऐसा नहीं है, तो तुम इस परीक्षा में पूरे नहीं उतरे। मैं आशा करता हूँ कि तुम यह जान जाओगे कि हम इस परीक्षा में किसी भी तरह विफल नहीं हुए। हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि तुम कोई बुराई न करो। इसलिए वही करो जो उचित है। चाहे हम इस परीक्षा में विफल हुए ही क्यों न दिखाई दें। वास्तव में हम सत्य के विरुद्ध कुछ कर ही नहीं सकते। हम तो जो करते हैं, सत्य के लिये ही करते हैं।

हमारी निर्बलता और तुम्हारी सबलता हमें प्रसन्न करती है और हम इसी के लिये प्रार्थना करते रहते हैं कि तुम दृढ़ से दृढ़तर बनों। 10 इसलिए तुमसे दूर रहते हुए भी मैं इन बातों को तुम्हें लिख रहा हूँ ताकि जब मैं तुम्हारे बीच होऊँ तो मुझे प्रभु के द्वारा दिये गये अधिकार से तुम्हें हानि पहुँचाने के लिए नहीं बल्कि तुम्हारे आध्यात्मिक विकास के लिए तुम्हारे साथ कठोरता न बरतनी पड़े।

11 अब हे भाईयों, मैं तुमसे विदा लेता हूँ। अपने आचरण ठीक रखो। वैसा ही करते रहो जैसा करने को मैंने कहा है। एक जैसा सोचो। शांतिपूर्वक रहो। जिससे प्रेम और शांति का परमेश्वर तुम्हारे साथ रहेगा।

12 पवित्र चुम्बन द्वारा एक दूसरे का स्वागत करो। सभी संतों का तुम्हें नमस्कार।

13 तुम पर प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह, परमेश्वर का प्रेम और पवित्र आत्मा की सहभागिता तुम सब के साथ रहे।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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