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New Testament in a Year

Read the New Testament from start to finish, from Matthew to Revelation.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
प्रेरित 19:1-20

इफ़ेसॉस नगर में योहन के शिष्य

19 जब अपोल्लॉस कोरिन्थॉस नगर में थे तब पौलॉस दूरवर्तीय प्रदेशों से होते हुए इफ़ेसॉस नगर आए और उनकी भेंट कुछ शिष्यों से हुई. पौलॉस ने उनसे प्रश्न किया, “क्या विश्वास करते समय तुमने पवित्रात्मा प्राप्त किया था?”

उन्होंने उत्तर दिया, “नहीं. हमने तो यह सुना तक नहीं कि पवित्रात्मा भी कुछ होता है.”

तब पौलॉस ने प्रश्न किया, “तो तुमने बपतिस्मा कौनसा लिया था?”

उन्होंने उत्तर दिया, “योहन का.”

तब पौलॉस ने उन्हें समझाया, “योहन का बपतिस्मा मात्र पश्चाताप का बपतिस्मा था. बपतिस्मा देते हुए योहन यह कहते थे कि लोग विश्वास उनमें करें, जो उनके बाद आ रहे थे अर्थात् मसीह येशु.” जब उन शिष्यों को यह समझ में आया तो उन्होंने प्रभु मसीह येशु के नाम में बपतिस्मा लिया. जब पौलॉस ने उनके ऊपर हाथ रखे, उन पर पवित्रात्मा उतरा और वे अन्य भाषाओं में बातचीत और भविष्यवाणी करने लगे. ये लगभग बारह व्यक्ति थे.

इफ़ेसॉस नगर में कलीसिया की नींव

तब पौलॉस आराधनालय में गए और वहाँ वह तीन माह तक हर शब्बाथ को निडरता से बोलते रहे तथा परमेश्वर के राज्य के विषय में लोगों की शंकाओं को दूर करते रहे. किन्तु, जो कठोर थे, उन्होंने वचन को नहीं माना और सार्वजनिक रूप से इस मत के विषय में बुरे विचारों का प्रचार किया. इसलिए पौलॉस अपने शिष्यों को साथ ले वहाँ से चले गए. वह तिरान्नुस के विद्यालय में गए, जहाँ वह हर रोज़ भीड़ से परमेश्वर सम्बन्धी विषयों पर बात किया करते थे. 10 यह सब दो वर्ष तक होता रहा. इसके परिणामस्वरूप सारे आसिया प्रदेश में यहूदियों तथा यूनानियों दोनों ही ने प्रभु का सन्देश सुना.

11 परमेश्वर ने पौलॉस के द्वारा असाधारण चमत्कार दिखाए, 12 यहाँ तक कि उनके शरीर से स्पर्श हुए रूमाल और अंगोछे जब रोगियों तक ले जाए गए, वे स्वस्थ हो गए तथा दुष्टात्मा उन्हें छोड़ चले गए.

13 नगर-नगर घूमते हुए कुछ यहूदी ओझाओं ने भी दुष्टात्मा से पीड़ितों को प्रभु मसीह येशु के नाम में यह कहते हुए दुष्टात्माओं से मुक्त करने का प्रयास किया, “मैं येशु नाम में, जिनका प्रचार प्रेरित पौलॉस करते हैं, तुम्हें बाहर आने की आज्ञा देता हूँ.”

14 स्कीवा नामक यहूदी प्रधान याजक के सात पुत्र थे, जो यही कर रहे थे. 15 एक दिन एक दुष्टात्मा ने उनसे कहा, “येशु को तो मैं जानता हूँ तथा पौलॉस के विषय में भी मुझे मालूम है, किन्तु तुम कौन हो?” 16 और उस दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति ने लपक कर उन सभी को अपने वश में कर लिया और उनकी ऐसी पिटाई की कि वे उस घर से नंगे तथा घायल होकर भागे.

17 इस घटना के विषय में इफ़ेसॉस नगर के सभी यहूदियों और यूनानियों को मालूम हो गया और उन पर आतंक छा गया किन्तु प्रभु मसीह येशु का नाम बढ़ता चला गया.

18 कुछ नए शिष्यों ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि वे स्वयं भी इन्हीं कामों में लगे हुए थे. 19 अनेक जादूगरों ने अपनी पोथियाँ लाकर सबके सामने जला दी. उनका आका गया कुल दाम पचास हज़ार चांदी के सिक्के था. 20 प्रभु के पराक्रम से वचन बढ़ता गया और मजबूत होता चला गया.

Saral Hindi Bible (SHB)

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