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M’Cheyne Bible Reading Plan

The classic M'Cheyne plan--read the Old Testament, New Testament, and Psalms or Gospels every day.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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इब्री 11

11 और विश्वास उन तत्वों का निश्चय है, हमने जिनकी आशा की है, तथा उन तत्वों का प्रमाण है, जिन्हें हमने देखा नहीं है. इसी के द्वारा प्राचीनों ने परमेश्वर की प्रशंसा प्राप्त की.

यह विश्वास ही है, जिसके द्वारा हमने यह जाना है कि परमेश्वर की आज्ञा मात्र से सारी सृष्टि अस्तित्व में आ गई. वह सब, जो दिखता है उसकी उत्पत्ति देखी हुई वस्तुओं से नहीं हुई.

प्राचीनों का अनुसरण करने योग्य विश्वास

यह विश्वास ही था, जिसके द्वारा हाबिल ने परमेश्वर को काइन की तुलना में बेहतर बलि भेंट की, जिसके कारण स्वयं परमेश्वर ने प्रशंसा के साथ हाबिल को धर्मी घोषित किया. परमेश्वर ने हाबिल की भेंट की प्रशंसा की. यद्यपि उनकी मृत्यु हो चुकी है, उनका यही विश्वास आज भी हमारे लिए गवाही है.

यह विश्वास ही था कि हनोक उठा लिए गए कि वह मृत्यु का अनुभव न करें. उन्हें फिर देखा न गया—स्वयं परमेश्वर ने ही उन्हें अपने साथ ले लिया था. उन्हें उठाए जाने के पहले उनकी प्रशंसा की गई थी कि उन्होंने परमेश्वर को प्रसन्न किया था.

विश्वास की कमी में परमेश्वर को प्रसन्न करना असम्भव है क्योंकि परमेश्वर के पास आने वाले व्यक्ति के लिए यह ज़रूरी है कि वह यह विश्वास करे कि परमेश्वर हैं और यह भी कि वह उन्हें प्रतिफल देते हैं, जो उनकी खोज करते हैं.

यह विश्वास ही था कि अब तक अनदेखी वस्तुओं के विषय में नोहा को परमेश्वर से चेतावनी प्राप्त हुई और नोहा ने अत्यन्त भक्ति में अपने परिवार की सुरक्षा के लिए एक विशाल जलयान का निर्माण किया तथा विश्वास के द्वारा संसार को धिक्कारा और मीरास में उस धार्मिकता को प्राप्त किया, जो विश्वास से प्राप्त होता है.

यह विश्वास ही था, जिसके द्वारा अब्राहाम ने परमेश्वर के बुलाने पर घर-परिवार का त्याग कर एक अन्य देश को चले जाने के लिए उनकी आज्ञा का पालन किया—वह देश, जो परमेश्वर उन्हें मीरास में देने पर थे. वह यह जाने बिना ही चल पड़े कि वह कहाँ जा रहे थे. वह विश्वास के द्वारा ही उस प्रतिज्ञा किए हुए देश में परदेशी बन कर रहे, मानो विदेश में. उन्होंने इसहाक और याक़ोब के साथ तम्बुओं में निवास किया, जो उसी प्रतिज्ञा के साथ वारिस थे. 10 उनकी दृष्टि उस स्थायी नगर की ओर थी, जिसके रचने वाले और बनाने वाले परमेश्वर हैं.

11 यह विश्वास ही था कि साराह ने भी गर्भधारण की सामर्थ प्राप्त की हालांकि उनकी अवस्था इस योग्य नहीं रह गई थी. उन्होंने विश्वास किया कि परमेश्वर, जिन्होंने इसकी प्रतिज्ञा की थी, विश्वासयोग्य हैं. 12 इस कारण उस व्यक्ति के द्वारा, जो मरे हुए से थे, इतने वंशज उत्पन्न हुए, जितने आकाश में तारे तथा समुद्र के किनारे पर रेत के कण हैं.

13 विश्वास की स्थिति में ही इन सब की मृत्यु हुई, यद्यपि उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं प्राप्त नहीं हुई थीं, परन्तु उन्होंने उन तत्वों को दूर से पहचान कर इस अहसास के साथ उनका स्वागत किया कि वे स्वयं पृथ्वी पर परदेशी और बाहरी हैं. 14 इस प्रकार के भावों को प्रकट करने के द्वारा वे यह साफ़ कर देते हैं कि वे अपने ही देश की खोज में हैं. 15 वस्तुत:, यदि वे उस देश को याद कर रहे थे, जिससे वे निकल आए थे, तब उनके सामने वहाँ लौट जाने का सुअवसर भी होता 16 किन्तु सच्चाई यह है कि उन्हें एक बेहतर देश की इच्छा थी, जो स्वर्गीय है. इसलिए उन लोगों द्वारा परमेश्वर कहलाए जाने में परमेश्वर को किसी प्रकार की लज्जा नहीं है क्योंकि परमेश्वर ही ने उनके लिए एक नगर का निर्माण किया है.

17 यह विश्वास ही था कि अब्राहाम ने, जब उन्हें परखा गया, इसहाक को बलि के लिए भेंट कर दिया. वह, जिन्होंने प्रतिज्ञाओं को प्राप्त किया था वह अपने एकलौते पुत्र को भेंट कर रहे थे. 18 यह वही थे, जिनसे कहा गया था: तुम्हारे वंश की मान्यता इसहाक द्वारा ही होगी. 19 अब्राहाम यह समझ चुके थे कि परमेश्वर में मरे हुओं को जीवित करने की सामर्थ है. एक प्रकार से उन्होंने भी इसहाक को मरे हुओं में से जीवित प्राप्त किया.

20 यह विश्वास ही था कि इसहाक ने याक़ोब तथा एसाव को उनके आनेवाले जीवन के लिए आशीर्वाद दिया.

21 यह विश्वास ही था कि याक़ोब ने अपने मरते समय योसेफ़ के दोनों पुत्रों को अपनी लाठी का सहारा ले आशीर्वाद दिया और आराधना की.

22 यह विश्वास ही था कि योसेफ़ ने अपनी मृत्यु के समय इस्राएलियों के निर्गमन जाने का वर्णन किया तथा अपनी अस्थियों के विषय में आज्ञा दीं.

23 यह विश्वास ही था कि जब मोशेह का जन्म हुआ, उनके माता-पिता ने उन्हें तीन माह तक छिपाए रखा. उन्होंने देखा कि शिशु सुन्दर है इसलिए वे राज-आज्ञा से भयभीत न हुए.

24 यह विश्वास ही था कि मोशेह ने बड़े होने पर फ़रोह की पुत्री की सन्तान कहलाना अस्वीकार कर दिया 25 और पाप के क्षण भर के सुखों के आनन्द की बजाय परमेश्वर की प्रजा के साथ दुःख सहना सही समझा. 26 उनकी दृष्टि में मसीह के लिए सही गई निन्दा मिस्र देश के भण्ड़ारों से कहीं अधिक कीमती थी क्योंकि उनकी आँखें उस ईनाम पर स्थिर थी. 27 यह विश्वास ही था कि मोशेह मिस्र देश को छोड़ कर चले गए. उन्हें फ़रोह के क्रोध का कोई भय न था. वह आगे ही बढ़ते चले गए मानो वह उन्हें देख रहे थे, जो अनदेखे हैं. 28 यह विश्वास ही था कि मोशेह ने इस्राएलियों को फ़सह-उत्सव मनाने तथा बलि लहू छिड़कने की आज्ञा दी कि वह, जो पहिलौठे पुत्रों का नाश कर रहा था, उनमें से किसी को स्पर्श न करे.

29 यह विश्वास ही था कि उन्होंने लाल सागर ऐसे पार कर लिया, मानो वे सूखी भूमि पर चल रहे हों किन्तु जब मिस्रवासियों ने वही करना चाहा तो डूब मरे.

30 यह विश्वास ही था जिसके द्वारा येरीख़ो नगर की दीवार उनके सात दिन तक परिक्रमा करने पर गिर पड़ी.

31 यह विश्वास ही था कि नगरवधू राख़ाब ने गुप्तचरों का स्वागत मैत्रीभाव में किया तथा आज्ञा न मानने वालों के साथ नाश नहीं हुई.

32 मैं और क्या कहूँ? समय की कमी मुझे आज्ञा नहीं देती कि मैं गिदौन, बाराक, शिमशोन, येफ़्ताह, दाविद, शमुएल तथा भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूँ, 33 जो विश्वास से राज्यों पर विजयी हुए, जिन्होंने धार्मिकता में राज्य किया, जिन्हें प्रतिज्ञाओं का फल प्राप्त हुआ, जिन्होंने सिंहों के मुँह बान्ध दिए; 34 आग की लपटों को ठण्डा कर दिया, तलवार की धार से बच निकले; जिन्हें निर्बल से बलवन्त बना दिया गया; युद्ध में वीर साबित हुए; जिन्होंने विदेशी सेनाओं को खदेड़ दिया; 35 दोबारा जी उठने के द्वारा स्त्रियों को उनके मृतक दोबारा जीवित प्राप्त हो गए. कुछ अन्य थे, जिन्हें ताड़नाएं दी गईं और उन्होंने छुटकारा अस्वीकार कर दिया कि वे बेहतर पुनरुत्थान प्राप्त कर सकें. 36 कुछ अन्य थे, जिनकी परख उपहास, कोड़ों, बेड़ियों में जकड़े जाने और बन्दीगृह में डाले जाने के द्वारा हुई. 37 उनका पथराव किया गया, उन्हें चीर डाला गया, लालच दिया गया, तलवार से उनका वध किया गया, भेड़ों व बकरियों की खाल में मढ़ दिया गया, वे अभाव की स्थिति में थे, उन्हें यातनाएँ दी गईं तथा उनसे दुर्व्यवहार किया गया. 38 उनके लिए संसार सही स्थान साबित न हुआ. वे जंगल में, पर्वतों पर, गुफाओं में तथा भूमि के गड्ढों में भटकते-छिपते रहे.

39 ये सभी वे थे, जिन्होंने अपने विश्वास के द्वारा परमेश्वर का अनुग्रह प्राप्त किया किन्तु इन्होंने वह प्राप्त नहीं किया, जिसकी इनसे प्रतिज्ञा की गई थी 40 क्योंकि उनके लिए परमेश्वर के द्वारा कुछ बेहतर ही निर्धारित था कि हमारे साथ जुड़े बिना उन्हें सिद्धता प्राप्त न हो.

Saral Hindi Bible (SHB)

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