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M’Cheyne Bible Reading Plan

The classic M'Cheyne plan--read the Old Testament, New Testament, and Psalms or Gospels every day.
Duration: 365 days
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
Version
उत्पत्ति 41

फिरौन क सपना

41 दुइ बरिस बाद फिरौन सपना लखेस। फिरौन सपने मँ लखेस कि उ नील नदी क किनारे खड़ा अहइ। तब फिरौन सपने मँ नदी स सात गइयन क बाहेर आवत लखेस। गइयन मोटी अउ सुन्नर रहिन। गइयन हुआँ खड़ी रहिन अउ घासे प चरत रहिन। तब सात दूसर गइयन नदी स बाहेर आइन, अउर नदी क किनारे मोटी गइयन क निचके ठाड़ होइ गइन। मुला इ गइयन दूबर अउ देखन मँ बीमार लगत रहिन। इ सातउ दूबर अउर बीमार गइयन, सुन्नर मोटी सात गइयन क खाइ गइन। तब फिरौन जाग उठा।

फिरौन फुन सोवा अउ दूसर दाईं सपना लखेस। उ सपने मँ अनाज क सात बाल एक ही पउधा प लखेस। अनाजे क बालन मोटी अउ अच्छी रहिन। तब उ उहइ अनाज क पाछे सात अनाजे क बालन क जमी लखेस। अनाजे क इ बालन पातर अउ गरम हवा स नस्ट होइ गइ रहिन। तब्बइ सात पातर बालन सात ठु मोटवार अउ बढ़िया बालन क खइ लिहन। फिरौन पुन जागि उठा अउ उ समझेस कि इ सिरिफ सपना ही बाटइ। दूसर भिन्सारे फिरौन इ सपनन क बारे मँ परेसान रहा। ऍह बरे उ मिस्र क सबहि जादूगर लोग अउ सबहि गुनी लोगन क बोलाएस। फिरौन ओनका सपना बताएस। मुला ओन लोगन मँ स कउनो भी सपना क साफ या ओकर अरथ न बताइ सका।

नउकर फिरौन क यूसुफ क बारे मँ बतावत ह

तब दाखरस देइवाला नउकर क यूसुफ याद आवा। नउकर फिरौन स कहेस, “मोरे संग जउन कछू भवा रहा उ मोका याद आवत अहइ। 10 आप मोह प अउ रोटी पोवइया प कोहान रहेन अउ आप हम दुइनउँ क जेलि मँ धाँध दिहे रहेन। 11 जेल मँ एक ही रात हम दुइनउँ सपना देखेन। हर एक सपना अलग अरथ रखत रहा। 12 एक ठु हिब्रू नउजवान हम पचन क संग जेल मँ रहा। उ अंगरच्छकन क नायक क नउकर रहा। हम पचन आपन आपन सपना ओका बतावा, अउ उ सपना क अरथ हम लोगन क बुझाएस। उ हर सपना क अऱथ हम पचन क समझाएस। 13 जउन अरथ उ बताएस उ सबइ ठीक निकरेन। उ बताएस कि मइँ अजाद होब अउ आपन काम मँ वापस लउट आउब। अउर इहइ भवा उ कहेस कि रोटी पोवइया क मार कइ टाँग दीन्हा जाइही। अउ उहइ भवा।”

यूसुफ सपन क अरथ बतावइ बरे बोलावा गवा

14 ऍह बरे फिरौन यूसुफ क जेल स बोलाएस। रच्छक हाली स यूसुफ क जेल स बाहेर लिआएन। यूसुफ हजामत बनावइके अउर कपड़े बदल के फिरौन क समन्वा खड़ा भवा। 15 तब फिरौन यूसुफ स कहेस, “मइँ एक सपना लखेउँ ह। मुला कउनो अइसा नाहीं अहइ जउन सपना क अऱथ मोका समझाइ सकइ। मइँ सुनेउँ ह कि जब कउनो सपना क बारे मँ तोहसे कहत ह कि तब तू सपन क अरथ अउ ओनका फरियाइ सकत ह।”

16 यूसुफ जवाब दिहस, “मोर आपन बुद्धि नाही अहइ कि मइँ सपनन क बूझ सकउँ। सिरिफ परमेस्सर ही अहइ जउन अइसी सकती राखत ह अउर फिरौन बरे परमेस्सर ही इ करी।”

17 तब फिरौन कहेस, “अपने आप क, मइँ नील नदी क किनारे ठाड़ लखेउँ। 18 मइँ सात गइयन क नदी स बाहर आवत लखेउँ अउ घास चरत देखेउँ। इ गइयन मोटी अउ सुन्नर रहिन। 19 तब मइँ दूसर सात गइयन क नदी स बाहेर आवत देखेउँ। इ सबइ गइयन पातर अउ भद्दी रहिन। मइँ मिस्र देस मँ जेतनी गइयन देखेउँ ह ओनमाँ स उ सबइ सब स जियादा बुरी रहिन। 20 अउ ऍन भद्दी अउर पातर गइयन पहिली सुन्नर सात गइयन क खाइ डाएन। 21 मुला सातउ गइयन क खाए क पाछे भी उ पचे पातर अउ भद्दी रहिन। तू ओनका लखा तउ नाहीं जान सक्‌त्या कि उ पचे दूसर सात गइयन क खाया ह। उ पचे ओतनी ही भद्दी अउ पातर देखाइ पड़त रहिन जेतना सुरु मँ रहिन। तब मइँ जाग गवा।

22 “तब मइँ आपन दूसर सपना मँ अनाज क सात बालन एक ही पउधा प उगी भइ देखेउँ। इ सबइ अनाज क बालन अच्छी अउ दानन स भरी भइ रहिन। 23 तब ओनके पाछे सात दूसर बालन उगिन। मुला इ सबइ सात बालन पातर, भद्दी अउ गरम हवा स नस्ट भइ रहिन। 24 तब सात पातर बालन सात अच्छी बालन क खाइ डाएन।

“मइँ इ सपना क आपन जादूगर लोगन क बताएउँ मुला कउनो सपने क अरथ मोका नाही समझाएस। एकर अरथ का अहइ?”

यूसुफ सपना क अरथ बतावत ह

25 तब यूसुफ फिरौन स कहेस, “इ दुइनउँ सपना एक ही अरथ रखत हीं। परमेस्सर बतावत ह कि उ हाली का करइ क जात अहइ। 26 सात अच्छी गइयन अउ सात अच्छी अनाजे क बालन सात बरिस अहइँ-दुइनउँ सपना एक ही अहइँ। 27 सात दूबर अउ भद्दी गइयन अउ सात बुरी अनाजे क बालन देस मँ भुखमरी क सात बरिस अहइँ। इ सबइ सात बरिस, बढ़िया, सात बरिस क पाछे अइही। 28 पमरेस्सर आप क इ देखाइ दिहस ह कि हाली ही का होइवाला अहइ। इ वइसा ही होइ जइसा मइँ कहेउँ ह। 29 आप क सात बरिस मिस्र मँ अच्छी पइदावार अउ भोजन इफरात होइही। 30 मुला इ सात बरिस क पाछे पूरे देस मँ भुखमरी क सात बरिस अइही। जउन समूचइ मिस्र मँ पइदा भ अहइ ओका लोग बिसरि जइही। इ अकाल देस क बर्बाद कइ देइ। 31 काहेकि अकाल ऍतना भयानक होइ कि लोग प्रयाप्त खइया खाइ का होत ह इ बिसरि जाइही।

32 “हे फिरौन, आपन एक ही बारे मँ दुइ सपना लखे रहेन। इ इ बात क देखावइ बरे भवा कि परमेस्सर फुरइ ही अइसा होइ देइ अउर इ बताएस ह कि परमेस्सर ऍका हाली ही होइ देइ। 33 ऍह बरे हे फिरौन आप एक अइसा मनई चुनइँ जउन बहोत चुस्त अउ बुध्दिमान होइ। आप ओका मिस्र देस क निगराँकार बनावइँ। 34 तब आपन दूसर मनई क जनता स भोजन बटोरइ बरे चुनइँ। लोगन क सात अच्छे बरिस मँ जेतॅना अनाज पइदा करइँ, ओकर पाँचवाँ हीसा ओनका देइ चाही। 35 ओनका हुकुम देइँ कि जउन अच्छे बरिस आवइँ ओहमाँ भोजन बटोरइँ। उ सहरन मँ भोजन क जमा करइँ। तब उ पचे भोजन क रच्छा उ टेम तलक करिही जब ओनकइ जरुरत होइ। 36 उ भोजन मिस्र देस मँ आवइवाली भुखमरी क सात बरिस मँ मदद करी। तब मिस्त्र मँ सात बरिस मँ लोग भोजन क कमी स मरिही नाहीं।”

37 फिरौन क इ नीक बिचार मालुम भवा। एहसे सबहि अफसर राजी रहेन। 38 फिरौन आपन अफसरन स पूछेस, “का तू लोगन मँ स कउनो इ काम क करइ बरे यूसुफ स अच्छा मनई हेरि सकत ह? परमेस्सर क आतिमा इ मनई क फुरइ बुध्दिमान बनाइ दिहस ह।”

39 फिरौन यूसुफ स कहेस, “परमेस्सर इ सबहि चीजन क तोहका देखॅाएस ह। ऍह बरे तू ही सबन त जियादा बुध्दिमान अहा। 40 ऍह बरे मइँ तोहका आपन महल क निगराँ आधिकारी बनउब। जनता तोहरे हुकुम क मानी। सिरिफ मइँ राजा ही तोहसे बड़वार रहब।”

41 एक खास जलसा अउ नुमाइस रही जेहमाँ फिरौन यूसुफ क नवाब बनाएस। तब फिरौन यूसुफ स कहेस, “मइँ अब तोहका पूरे देस क राजा बनावत अहउँ।” 42 तब फिरौन आपन सरकारी मोहरवाली अंगूठी यूसुफ क दिहस अउ यूसुफ क एक सुन्नर रेसमी ओढ़ना पहिरइ क दिहस। फिरौन यूसुफ क गले मँ एक ठु सोना क हार डाएस। 43 फिरौन दूसर रथे प यूसुफ क सवार होइ क कहेस। ओकरे रथे क अगवा खास रच्छक चलत रहेन। उ पचे लोगन स कहत रहेन, “हे मनइयो, यूसुफ क निहुरिके पैलगी करा।” इ तरह यूसुफ पूरे मिस्र क राज्जपाल बना।

44 फिरौन ओसे कहेस, “मइँ सम्राट फिरौन अहउँ। ऍह बरे मइँ जउन करइ चाहब, करब। मुला मिस्र मँ कउनो दूसर मनई हाथ गोड़ नाही हिलाइ सकत ह जब तलक तू ओसे न कहा।” 45 फिरौन ओका दूसर नाउँ सपन तपानेह दिहस। फिरौन आसनत नाउँ क मेहरारु जउन ओन क पुजारी पोतीपेर क बिटिया रही, यूसुफ क मेहरारु क रुप मँ दिहस। इ तरह यूसुफ समूचइ मिस्र देस क राज्जपल होइ गवा।

46 यूसुफ उ टेम तीस बरिस क रहा जब उ मिस्र क सम्राट क सेवा करइ लाग। यूसुफ पूरा मिस्र देस मँ जात्रा किह। 47 अच्छे सात बरिसन मँ देसे मँ पइदावार बहोतइ ढेर क भइ 48 अउर यूसुफ मिस्र मँ सात बरिस खइया क चीजन क बचाएस। यूसुफ खइया क सहरन मँ बटोरेस। यूसुफ सहर क चारिहु कइँती क खेतन मँ पइदा भवा अनाजे क हर सहर मँ बटोरेस। 49 यूसुफ बहोत अनाज बटोरेस। इ समुद्दर क बालू क नाईं रहा। उ ऍतना अनाज बटोरेस कि ओकर वजन क भी न कूत कीन्ह जाइ सकइ।

50 यूसुफ क मेहरारु आसनत ओन क याजक पोतीपेरा क बिटिया रही। भुखमरी क पहिले बरिस क आवइ पहिले युसूफ अउ आसनत क दुइ पूत भएन। 51 पहिले पूत क नाउँ मनस्से धरा गवा। यूसुफ ओकर इ नाउँ राखेस काहेकि उ बताएस, “मोका जेतना सारे कस्ट भएन अउ घरे क हर बात परमेस्सर मोसे बिसराइ दिहस।” 52 यूसुफ दूसर पूत क नाउँ एप्रैम रखेस। यूसुफ ओकर नाउँ इ राखेस काहेकि उ बताएस, “मोका बहोतइ दुःख मिला, मुला परमेस्सर मोका हर एक चीज मँ सफलता दिहस।”

भुखमरी क समइ सुरु होत ह

53 सात बरिस तलक लोगन क लगे खाइ बरे उ सब कछू भोजन रहा जेनकइ ओनका जरुरत रही अउर जउन चिजियन ओनका जरुरी रहिन उ सबइ सबहि जमत रहिन। 54 मुला सात बरिस बाद भुखमरी क दिन सुरु भएन। इ ठीक वइसा ही भवा जइसा यूसुफ कहे रहा। उ पहाँटा क कउनो भी देस मँ अन्न पइदा न भवा। मनइयन क लगे खाइ क कछू न रहा। मुला मिस्र मँ खाइ बरे इफरात रहा, काहेकि यूसुफ अनाज बटोरे रहा। 55 भुखमरी क टेम सुरु भवा अउ मनइयन भोजन बरे फिरौन क समन्वा रोवइ लागेन। फिरौन मिस्र क मनइयन स कहेस, “यूसुफ स पूछा। उहइ करा जउन उ कहइ क कहत ह।”

56 ऍह बरे जब देस मँ सब ठउरे प भुखमरी रही, यूसुफ अनाजे क गोदाम स मनइयन क अन्न बाँटेस। यूसुफ बटोरा भवा अन्न क मिस्र क लोगन क बेचेस। मिस्र मँ बहोत भयंकर अकाल रहा। 57 मिस्र क चारिहु कइँती क देसन क लोग अनाज बेसहइ मिस्र आएन। उ पचे यूसुफ क लगे आएन काहेकि हुआँ संसार क उ हींसा मँ सब ठउरे प भुखमरी रही।

मरकुस 11

ईसू यरूसलेम मँ राजा क नाई घुसत ह

(मत्ती 21:1-11; लूका 19:28-40; यूहन्ना 12:12-19)

11 फिन जइसे यरूसलेम क नगिचे जैतून क पहाड़ी प बैतफगे अउर बैतनिय्याह पहुँचेन, उ आपन चेलन मँ दुइ क पठएस। अउर ओसे कहेस, “जा गाउँ मँ जइसे तू हुवाँ घुसब्या, तू एक ठु गदही क बच्चा बाँधा भवा पउब्या, जेह प पहिले कबहुँ नाहीं कउनो चढ़ा होई। ओका खोल द्या अउर हियाँ लिआवा। जदि तोसे कउनो पूछइ कि तू अइसे काहे करत अहा, तउ तू कह्या, ‘प्रर्भू क ऍकर जरूरत अहइ, फिन उ ऍका फउरन पठइ देइ।’”

तउ उ पचे चलि पड़ेन। उ गदही क बच्चा क बँधा भवा दुआर क नगिचे खुली मँ पाएन। उ पचे ओका छोरि दिहन। कछू मनई जउन हुवाँ खरा रहेन ओनसे पूछेन, “उ गदहिया क बच्चा क काहे तू पचे छोरिके का करत बाट्या?” उ पचे ओनका बताएन जरुन ईसू कहेस। तउ उ सबइ ओनका जाइ दिहेन।

उ पचे गदहिया का बच्चा क ईसू क लगे लइ आएन। अउर उ पचे आपन ओढ़ना ओह प डारि दिहन। फिन ईसू ओह प बइठा। बहोत मिला आपन लबादा क सरकिया प डारि दिहन अउर दूसर खेते स टहनियन क काटि लिहन अउर हुवाँ बिछाइ दिहन। उ मनइयन जउन ईसू क अगवा अउर पाछे चलत रहेन, उ पचे पुकार रहेन:

“‘होसन्ना!’[a]
    ‘धन्य अहइ उ जउन पर्भू क नाउँ प आवत ह!’ (A)

10 “धन्य अहइ हमार पिता दाऊद क राज्य क अवाई,
    जउन आवत अहइ,
होसन्ना सरग मँ!”

11 तब ईसू यरूसलेम घुसा अउर मन्दिर मँ घुसा। उ हर चीज क चारिहुँ कइँती निहारेस। एह बरे दिन ओनवत देर होइ गइ। उ बारहु प्रेरितन क संग बैतनिय्याह चला गवा।

ईसू कहेस क अंजीर क पेड़ मरि जावई

(मत्ती 21:18-19)

12 दूसरे दिन जब उ सबइ बैतनिय्याह स निकसत रहेन, ओनका भूखि लाग। 13 तनिक दूरी प ओका एक ठु हरिअर अंजीर क पेड़ देखान। उ देखइ गवा कि ओका कछू खाइके ओह प मिल जाइ। जब उ पेड़े क लगे आवा, उ पातिन छोड़िके कछू नाहीं पाएस, काहेकि इ रितु अंजीर क नाहीं रही। 14 तबहिं उ बिरवा स कहेस, “अब तोसे कबहुँ कउनो तोहार फल फिन न चखी।” ओकर चेलन इ सुनेन।

ईसू क मन्दिर जाब

(मत्ती 21:12-17; लूका 19:45-48; यूहन्ना 2:13-22)

15 तबहिं उ सबई यरूसलेम गएन अउर उ पचे मन्दिर मँ घुसेन तउ ईसू ओनका निकारइ लाग जउन मन्दिर मँ बेसहत अउर खरीदत रहेन। उ पइसे क लेब देब करइया महाजनन क चउकियन क पलट दिहस अउर कबूतरे क बेचवइयाँ क बिंचिया पलटेस। 16 उ मन्दिर मँ स कउनो क कउनो क कछू नाहीं लइ जाइ दिहस। 17 तबहिं उ ओनका उपदेस देइ लाग। फिन उ ओनसे कहेस, “का इ पवित्तर सास्तरन मँ लिखा नाहीं बाटइ कि, ‘मोर घर पराथना घर कहा जाई?’ (B) मुला तू पचे ऍका ‘चोरन क अड्डा बनइ दिहा।’(C)

18 जबहि मुख्ययाजकन अउर धरम सास्तिरियन इ बात सुनेन, उ सबइ ओका मारि डारइ क तरकीब सोचइ लागेन। अइसे उ पचे डेरानन, काहेकि ईसू क उपदेस स सब मनइयन अचरजि मँ पड़ि गएन। 19 फिन जब सांझ भइ तउ उ सबइ सहर स बाहेर गएन।

विसवास क सक्ति

(मत्ती 21:20-22)

20 दुसरे दिन भिंसारे जबहिं ईसू आपन चेलन क संग जात रहा तबइ उ पचे उ अंजीर क बिरवा क जड़े स झुराइ गवा देखेन। 21 तइसे पतरस याद कइके ईसू स कहेस, “हे गुरु, जउने अंजीर क बिरवा क तू सराप्या ह, उ झुराइ गवा ह।”

22 ईसू ओनका जबाव दिहेस, “परमेस्सर मँ बिसवास राखा। 23 मइँ तोसे सच सच कहत हउँ: जदि कउनो इ पहाड़े स कही ‘तू उठि जा अउर समुद्दर मँ फाट पड़ा।’ अउर ओकरे मनवा मँ रचिकउ संदेह नाहीं रही मुला बिसवास होई कि जइसा उ कहेस ह, वइसा होइ जाइ तउ ओकरे बरे वइसा होई। 24 एह बरे मइँ तोहका बतावत अही कि तू पराथना मँ जउन मंगब्या बिसवास करा उ तोहका मिलि गवा ह अउर उ तोहरा होइ ग अहइ। 25 अउर जब कबहुँ तू पराथना करत खड़ा होइ जा तउ कउनो कि खिलाफ तोहका सिकाइत होई तउ ओका तू छमा कइ द्या जइसे सरगे मँ स्थित तोहार परमपिता तोहरे पापन्क छमा कइ देई।” 26 [b]

यहूदी नेतन क ईसू क अधिकारे प संदेह

(मत्ती 21:23-27; लूका 20:1-8)

27 फिन उ पचे यरूसलेम लउट आएन। ईसू जब मन्दिर मँ टहरत रहा तउ मुख्ययाजकन, धरम सास्तिरियन, बुजुर्ग यहूदी नेतन ईसू क लगे आएन। 28 उ पचे ईसू स कहेन, “हमका बतावा! तू इ कामन क कउने अधिकार स करत बाट्या? कउन तोहका अधिकार दिहेस ह?”

29 ईसू ओनसे कहेस, “मइँ तोहसे एक सवाल पूछत हउँ। तू मोरे सवाल क जबाव द्या? तउ मइँ तोहका बताउब कि कउने अधिकारे स मइँ इ काम करत हउँ। 30 मोका बतावा: यूहन्ना जउन बपतिस्मा देत रहा, का ओहका सोझे सरगे स या मनई स मिला रहा?”

31 ईसू क सवाले प उ सब बिचारत बिचारत आपुस मँ कहइ लागेन कि, “जदि हम पचे इ कहित ह, ‘ओका इ सरगे स मिला रहा,’ तउ ईसू कही, ‘फिन तू पचे ओह प बिसवास काहे नाहीं करत्या?’ 32 अउर जदि हम पचे इ कही, ‘उ मनई स पाए रहा’ तउ सब मनई हम प रिसियाइ जइहीं।” (ई नेतन लोग मनइयन स डेरात रहेन। सब मनइयन क बिसवास रहा कि यूहन्ना नबी अहइ।)

33 एह बरे यहूदी नेतन ईसू स कहेन, “हम पचे जानित नाहीं।”

ऍह पइ ईसू ओनसे कहेस, “तउ फिन मइँ तोहका नाहीं बतावत अही कि इ काज मइँ कउने अधिकारे स करत हउँ।”

अय्यूब 7

“अय्यूब कहेस, “मनई क धरती पइ कड़ा सघर्ष करइ क पड़त ह।
    ओकर जिन्नगी भाड़े क मजदूर क जिन्नगी जइसी होत ह।
मनई उ भाड़ा क मजदूर जइसा अहइ, जउन दिन क अन्त मँ ठंडी छाँह चाहत ह,
    अउ मजदूरी क इन्तज़ार करत ह।
महीना दर महीना बेचइनी क बीत गवा अहइँ
    अउर पीरा भइ राति दर रात मोका दइ दीन्ह गइ अहइ।
जब मइँ ओलरत हउँ, मइँ सोचत रहत हउँ,
    ‘मोरे उठइ क कबहुँ अउर कितनी देर अहइ?’
मुला इ रात तउ घसेटत चला जात ह।
    मइँ तउ पीरा झेल रहत हउँ अउ करवट बदलत हउँ जब तलक सूरज नाहीं निकरि आवत।
मोर तन कीरन अउ धूरि स ढाक लीन्ह अहइ।
    मोर चमड़ी चटक गइ अहइ अउर एहमाँ रिसत भए फोड़ा भरि गवा अहइँ।

“मोर दिन जुलाहा क फिरकी स भी जियादा तेज चाल स बीतत अहइँ।
    मोर जिन्नगी क आखीर बिना कउनो आसा क होत अहइ।
हे परमेस्सर, याद राखा मोर जिन्नगी सिरिफ एक ठु साँस अहइ।
    अब मोर आँखी कछू भी नाहीं लखिहीं।
अबहिं तू मोका लखत अहा मुला फुन तू मोका नाहीं लख पउब्या।
    तू मोका हेरब्या मुला तब तलक मइँ जाइ चुका होब।
एक बादर छोटा होइ जात ह अउर आखर मँ लुप्त होइ जात ह।
    इ तरह एक मनई जउन मर जात ह अउर कब्र मँ गाड़ दीन्ह जात ह, उ फुन वापिस नाहीं आवत ह।
10 उ आपन पुराना घरे क वापिस कबहुँ नाहीं लउटी।
    ओकर घर ओका फुन कबहुँ भी नाहीं जानी।

11 “एह बरे मइँ चुप नाहीं रहब।
    मइँ सब कहि डाउब।
    मोर आतिमा दुखी अहइ अउर मोर मन कडुआहट स भरा अहइ,
    एह बरे मइँ उ सब बातन क बारे मँ सिकायत करब जउन मोर संग घटेस ह।
12 हे परमेस्सर, तू मोर पइ पहरेदार काहे राखेस ह? का मइँ समुद्दर हउँ,
    या समुददर क कउनो दैत्य?
13-14 हे परमेस्सर, जब मोका लगत ह कि खाट मोका सान्ति देइ
    अउर मोर पलंग मोका चइन अउ बिस्राम देइ,
    तब मोका सपना मँ डरावत ह।
15 मइँ आपन गला घोंटि जाइ पसन्द करब्या।
    मउत इ देह मँ रहइ स बेहतर अहइ।
16 मइँ आपन जिन्नगी स घिना करत हउँ।
    मइँ हमेसा अइसा जिअत रहब नाहीं चाहत हउँ।
मोका अकेला रहइ दया।
    मोर जिन्नगी बेकार अहइ।
17 हे परमेस्सर, मनई तोहरे बरे काहे एँतना महत्वपूर्ण अहइ?
    काहे मनई पइ तोहका एँतना धियान देइ चाहीं?
18 हर भिन्सारे काहे तू मनई क लगे आवत ह
    अउर हर छिन तू काहे ओका परखा करत अहा?
19 हे परमेस्सर, तू कबहुँ भी मोका नज़र अन्दाज़ नाही करत ह
    अउर मोका एक छन अकेल्ला नाहीं छोड़त ह।
20 हे परमेस्सर, तू हरेक चिजियन पइ जउन हम पचे करत हीं निगाह रखत ह!
    जदि मइँ पाप किहा तउ मइँ का किहा?
तू मोका काहे निसाना बनाया ह?
    मइँ तोहार बरे काहे बोझ बन गवा हउँ?
21 का तू मोर सबइ गलती क छिमा नाहीं करत्या
    अउर मोरे पापन क तू काहे छिमा नाहीं करत्या?
मइँ हाली ही मरि जाब अउर कब्र मँ चला जाब।
    जब तू मोका हेरब्या मुला तब तलक मइँ जाइ चुका होब।”

रोमियन 11

परमेस्सर अपने लोगन क नाहीं भूला

11 तउ मइँ पूछित हउँ, “का परमेस्सर अपने ही लोगन क नकार नाहीं दिहेस?” निस्चय ही नाहीं। काहेकि मइँ भी एक इस्राएली हउँ, इब्राहीम क बंस स अउर बिन्यामीन क परिवार स हउँ। परमेस्सर अपने लोगन क नाहीं नकारेस जेनका उ पहिलेन स ही चुने रहा। या अउर का तू नाहीं जानत अहा कि एलिय्याह क बारे मँ पवित्तर सास्तर का कहत ह। जब एलिय्याह परमेस्सर स इस्राएल क लोगन क विरोध मँ पराथना करत रहा, “हे पर्भू, उ पचे नबियन क मार डाएन। तोहरे वेदियन क तोड़ी क गिराइ दिहेन। केवल एक नबी मइँ ही बचा हउँ अउर उ पचे मोका भी मारि डावइ क जतन करत अहइँ।”(A) परन्तु तब परमेस्सर ओन्हे कइसेन उत्तर दिहे रहा, “मइँ अपने बरे 7,000 लोग बचाइ रखे हउँ जउन लोग बाल क आगे माथा नाहीं टेकेन।”(B)

तउन वइसेन ही आजु काल्हिउ कछू अइसेन लोग बचा बाटेन जउन ओनके अनुग्रह क कारण चुना भआ अहइँ। अउर अगर इ परमेस्सर क अनुग्रह क परिणाम अहइ तउ लोग जउन करम करत हीं, इ ओन्हन करमन क परिणाम नाहीं बा। नाहीं तउ परमेस्सर क अनुग्रह, अनुग्रह ही नाहीं ठहरत।

तउ ऐहसे का इस्राएल क लोग जेका खोजत रहन, उ सबइ ओका नाहीं पाइ सकेन? परन्तु चुना हुवन क उ मिलि गवा। जब कि बाकी सब क जड़ बनाइ दीन्ह गवा। पवित्तर सास्तरन कहत ह:

“परमेस्सर तउ ओन्हे एक चेतन सून्य कइ दिहेस आतिमा प्रदान किहेस।” (C)

“अइसेन आँखी दिहेस जउन देखि नाहीं सकत रहिन
    अउ अइसेन कान दिहेस जउन सुन नाहीं सकत रहेन।
अउर इहइ दसा ठीक आजु तलक बनी भई बा।” (D)

दाऊद कहत ह:

“अपनेन भोगन मँ फंसके उ बन्दी बन जाइँ
    ओनकर पतन होइ अउ ओनका दण्ड मिलइ।
10 ओनकर आँखी धुँधली होइ जाइँ ताकि उ पचे देख न सकइँ
    अउ तू ओनकर सब पीड़ाके तले, ओनकर करिहाउँ हमेसा-हमेसा निहुराए रखइ।” (E)

11 तउ मइँ कहत हउँ का ओ पचे इही बरे ठोकर खाइके उ सब भहराइके नस्ट होइ जाइँ? निस्चय ही नाहीं। बल्कि ओनकर गलती करइ स गैर यहूदियन क छुटकारा मिला ताकि यहूदियन मँ स्पर्द्धा पैदा होइ। 12 इही तरह अगर ओनकर गलती करइ क मतलब समूचइ संसार क बड़ा लाभ अहइ अउ अगर ओनके भटकइ स गैर यहूदियन क लाभ अहइ तउ ओनकइ पूरी तरह स संपूर्ण होए स बहुत कछू होइ।

13 इ अब मइँ तोहसे कहत हउँ, जउन यहूदियन नाहीं होइँ काहेकि मइँ विसेस रूप स गैर यहूदियन क बरे प्रेरित हउँ, मइँ अपने काम क बरे पूरा प्रयत्नसील हउँ। 14 एह आसा स कि मइँ अपने लोगन मँ भी स्पर्द्धा जगाइ सकउँ अउ ओहमाँ स कछू क उद्धार करउँ। 15 काहेकि अगर परमेस्सर क द्वार ओनके नकार दिहे जाइ स जगत मँ परमेस्सर क साथे मेलमिलाप पैदा होत ह तउ फिन ओनकर अपनावा जाब का मरा हुवन मँ स जियावा जाब न होइ? 16 अगर हमरी भेंट का एक पहला हिस्सा पवित्तर बा तउ का उ समूचइ पवित्तर नाहीं बा? अगर पेड़ का जड़ पवित्तर बा तउ ओकर सबइ साखा भी पवित्तर बाटिन।

17 परन्तु अगर कछू साखा तोड़िके फेक दीन्ह गइन अउ तू जउन एक जंगली जैतून क टहनी अहा ओह पे पेबन्द चढ़ाइ दीन्ह जाइ अउ उ जैतून क अच्छा पेड़ का खुराक अउर आधार क हिस्सा बाँटइ लगइ। तू सबइ गैर यहूदियन जंगली साखा क तरह अहा अउर तू पचे पहिले पेड़ (यहूदी) क खुराक अउर जीवन बाँटत अहा। 18 तउ तोहे ओन्हन टहनियन क आगे, जउन तोड़ी क फेंक दीन्ह गइन, अभिमान न करइ चाही। अउर अगर तू अभिमान करत ह तउ इ याद रखा इ तू नाहीं अहा जे जड़न क पालत बा, बल्कि इ तउ उ जड़ ही अहइ जउन तोहे पालत बाटइ। 19 अब तू कहब्या, “हाँ परन्तु सबइ साखा एह बरे तोड़ी गई कि मोर पेबन्द चढ़इ।” 20 इ सत्य अहइ, उ सबइ अपने अबिसवास क कारण तोड़िके फेंक गइन परन्तु तु अपने बिसवास क बल पे आपन जगह टिका रह्या। इही बरे एकर गर्ब न करा बल्कि डेरात रहा। 21 अगर परमेस्सर प्राकृतिक डारन नाहीं रहइ दिहेस तउ उ तोहका भी न रहइ देइ।

22 इही बरे तू परमेस्सर क कोमलता क देखा, अउर ओकरे कठोरता प धियान द्या। इ कठोरता ओनके बरे बा जउन गिर गएन परन्तु ओकर करुणा तोहरे बरे बा अगर तू अपने पे ओकर अनुग्रह बना रहइ द्या। नाहीं तउ पेंड़े स तुहउँ काटिके फेंका जाब्या। 23 अउर अगर उ पचे अपने अबिसवास मँ नाहीं रहेन तउ ओनहूँ फिन पेड़ स जोड़ लीन्ह जाइ काहेकि परमेस्सर समर्थ अहइ कि ओनका फिन स जोड़ देइ। 24 जब तोहे प्राकृतिक रूप स जंगली जैतून क पेड़े स एक साखा क तरह कटके प्रकृति क विरुद्ध एक अच्छा जैतून क पेड़े स जोड़ दीन्ह गवा, तउ उ जउन ओह पेड़े क अपना डारिन बाटिन, अपनेन ही पेड़ मँ आसानी स, फिन स काहे नाहीं जोड़ दीन्ह जा इहीं।

25 भाइयो तथा बहिनियो, मइँ तोहे इ छुपा हुआ सत्य स अंजान नाही रखइ चाहित। कि तू अपने आप क बुद्धिमान समझइ लागा। कि इस्राएल क कछू लोग अइसेन ही कठोर बनाइ दीन्ह गवा बाटेन। अउर अइसेनइ ही कठोर बना रइहीं जब तलक कि काफी गैर यहूदी लोग परमेस्सर क परिवार क अंग नाहीं बन जातेन। 26 अउर एह तरह समूचा इस्राएल क उद्धार होइ जइसेन कि पवित्तर सास्तरन कहत ह:

“उद्धारकर्ता सिय्योन स आइ।
    उ याकूब क परिवार स सबहिन बुराइयन क दूर करी।
27 मोर इ करार ओकरे साथे तब होइ
    जब मइँ ओनके पापन के हर लेब।” (F)

28 जहाँ तलक सुसमाचार क सम्बन्ध बा, उ तोहरे हिते मँ परमेस्सर क सत्रु अहइँ। परन्तु जहाँ तलक परमेस्सर क जरिये ओनके चुना जाइ क सम्बन्ध अहइ, उ पचे ओनके पूर्वजन क दिए भए बचन क अनुसार परमेस्सर क पियारा अहइँ। 29 काहेकि परमेस्सर जेका बोलावत ह अउर जेका उ देत ह, ओकरे तरफ स अपन मन कभउँ नाहीं बदलत। 30 काहेकि जइसेन तू लोग पहिले कभउँ परमेस्सर क आज्ञा नाहीं मानत रह्या परन्तु अब तोहे ओकर अवज्ञा क कारण परमेस्सर क द्या मिली बा। 31 वइसेन ही अब उ पचे ओकर आज्ञा नाहीं मानतेन काहेकि परमेस्सर क द्या तोहे पे बा ताकि अब ओन्हे भी परमेस्सर क दया मिलइ। 32 काहेकि परमेस्सर सब जने के अवज्ञा क कारागार मँ इही बरे डारि रखे अहइ कि उ ओन सब पर दया देखॉय सकइ।

परमेस्सर धन्य अहइ

33 परमेस्सर क करुणा, बुद्धि अउर ज्ञान केतॅना अपरम्पार अहइ। ओकरे निआव केतॅना गहन बा, ओकर रस्ता केतना गूढ़ बा। 34 पवित्तर सास्तर कहत ह:

“पर्भू क मने क कउन जानत ह?
    अउर ओका सलाह देइवाला कउन होइ सकत ह?” (G)

35 “परमेस्सर क केऊ का दिहे अहइ कि
    उ कउनो क ओकरे बदले कछू देइ।” (H)

36 काहेकि सब क रचनावाला उहइ बा। उही स सब स्थिर बाटेन अउर उ उही क बरे बा। ओकर हमेसा महिमा होइ। आमीन।

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.