Daily Reading for Personal Growth, 40 Days with God
प्रमाण की माँग
(मत्ती 12:38-42; मरकुस 8:12)
29 जैसे जैसे भीड़ बढ़ रही थी, वह कहने लगा, “यह एक दुष्ट पीढ़ी है। यह कोई चिन्ह देखना चाहती है। किन्तु इसे योना कि चिन्ह के सिवा और कोई चिन्ह नहीं दिया जायेगा। 30 क्योंकि जैसे नीनवे के लोगों के लिए योना चिन्ह बना, वैसे ही इस पीढ़ी के लिये मनुष्य का पुत्र भी चिन्ह बनेगा।
31 “दक्षिण की रानी[a] न्याय के दिन प्रकट होकर इस पीढ़ी के लोगों पर अभियोग लगायेगी और उन्हें दोषी ठहरायेगी क्योंकि वह धरती के दूसरे छोरों से सुलैमान का ज्ञान सुनने को आयी और अब देखो यहाँ तो कोई सुलैमान से भी बड़ा है।
32 “नीनवे के लोग न्याय के दिन इस पीढ़ी के लोगों के विरोध में खड़े होकर उन पर दोष लगायेंगे क्योंकि उन्होंने योना के उपदेश को सुन कर मन फिराया था। और देखो अब तो योना से भी महान कोई यहाँ है!
विश्व का प्रकाश बनो
(मत्ती 5:15; 6:22-23)
33 “दीपक जलाकर कोई भी उसे किसी छिपे स्थान या किसी बर्तन के भीतर नहीं रखता, बल्कि वह इसे दीवट पर रखता है ताकि जो भीतर आयें प्रकाश देख सकें। 34 तुम्हारी देह का दीपक तुम्हारी आँखें हैं, सो यदि आँखें साफ हैं तो सारी देह प्रकाश से भरी है किन्तु, यदि ये बुरी हैं तो तुम्हारी देह अंधकारमय हो जाती है। 35 सो ध्यान रहे कि तुम्हारे भीतर का प्रकाश अंधकार नहीं है। 36 अतः यदि तुम्हारा सारा शरीर प्रकाश से परिपूर्ण है और इसका कोई भी अंग अंधकारमय नहीं है तो वह पूरी तरह ऐसे चमकेगा मानो कोई दीपक तुम पर अपनी किरणों में चमक रहा हो।”
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