Daily Reading for Personal Growth, 40 Days with God
12 तुमन पबितर अऊ बहुंते मयारू अव। एकरसेति, परमेसर के चुने मनखेमन सहीं, अपन-आप ला तरस, दया, दीनता, नमरता अऊ धीरज ले भर लेवव। 13 एक-दूसर के सहन करव अऊ एक-दूसर ला छेमा करव, चाहे एक-दूसर के बिरोध म कोनो घलो किसम के सिकायत होवय। छेमा करव, जइसने परभू ह तुमन ला छेमा करिस। 14 अऊ ए जम्मो बात के ऊपर मया ला बनाय रखव, जऊन ह तुमन ला सही एकता म एक संग बांधके रखथे।
15 मसीह के सांति तुम्हर हिरदय म बने रहय, जइसने कि तुमन एक देहें के अंग के रूप म बलाय गे हवव। अऊ धनबाद देवइया बने रहव। 16 मसीह के बचन ह तुमन म बहुंतायत से बने रहय, जइसने कि तुमन बड़ समझदारी के संग एक-दूसर ला सीखोथव अऊ सलाह देथव, अऊ जइसने कि अपन हिरदय म धनबाद सहित परमेसर बर भजन, इस्तुति अऊ आतमिक गीत गाथव। 17 अऊ जऊन कुछू घलो तुमन कहिथव अऊ करथव, ए जम्मो बात परभू यीसू के नांव म करव अऊ परभू यीसू के जरिये परमेसर ददा ला धनबाद देवव।
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