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The Daily Audio Bible

This reading plan is provided by Brian Hardin from Daily Audio Bible.
Duration: 731 days

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Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
1 शमूएल 17:1-18:4

गोलियत का इस्राएल को चुनौती देना

17 पलिश्तियों ने अपनी सेना युद्ध के लिये इकट्ठी की। वे यहूदा स्थित सोको में युद्ध के लिये एकत्र हुए। उनका डेरा सोको और अजेका के बीच एपेसदम्मीम नामक नगर में था।

शाऊल और इस्राएली सैनिक भी वहाँ एक साथ एकत्रित हुए। उनका डेरा एला की घाटी में था। शाऊल के सैनिक मोर्चा लगाये पलिश्तियों से युद्ध करने के लिये तैयार थे। पलिश्ती एक पहाड़ी पर थे और इस्राएली दूसरी पर। घाटी इन दोनों पहाड़ियों के बीच में थी।

पलिश्तियों में एक गोलियत नाम का अजेय योद्धा था। गोलियत गत का था। गोलियत लगभग नौ फीट ऊँचा था। गोलियत पलिश्ती डेरे से बाहर आया। उसके सिर पर काँसे का टोप था। उसने पट्टीदार कवच का कोट पहन रखा था। यह कवच काँसे का बना था और इसका तौल लगभग एक सौ पच्चीस पौंड[a] था। गोलियत ने अपने पैरों में काँसे के रक्षा कवच पहने थे। उसके पास काँसे का भाला था जो उसकी पीठ पर बंधा था। गोलियत के भाले का फल जुलाहे की छड़ की तरह था। भाले की फल की तोल पन्द्रह पौंड थी। गोलियत का सहायक गोलियत की ढाल को लिये हुए उसके आगे आगे चल रहा था।

गोलियत बाहर निकला और उसने इस्राएली सैनिकों को जोर से पुकार कर कहा, “तुम्हारे सभी सैनिक युद्ध के लिये मोर्चा क्यों लगाये हुए हैं? तुम शाऊल के सेवक हो। मैं एक पलिश्ती हूँ। इसलिये किसी एक व्यक्ति को चुनो और उसे मुझसे लड़ने को भेजो। यदि वह व्यक्ति मुझे मार डालता है तो हम पलिश्ती तुम्हारे दास हो जाएंगे। किन्तु यदि मैं उसे जीत लूँ और तुम्हारे व्यक्ति को मार डालूँ तो तुम हमारे दास हो जाना। तब तुम हमारी सेवा करोगे!”

10 पलिश्ती ने यह भी कहा, “आज मैं खड़ा हूँ और इस्राएल की सेना का मजाक उड़ा रहा हूँ! मुझे अपने में से एक के साथ लड़ने दो!”

11 शाऊल और इस्राएली सैनिकों ने जो गोलियत कहा था, उसे सुना और वे बहुत भयभीत हो उठे।

दाऊद का युद्ध क्षेत्र को जाना

12 दाऊद यिशै का पुत्र था। यिशै एप्राती परिवार के यहूदा बेतलेहेम से था। यिशै के आठ पुत्र थे। शाऊल के समय में यिशै एक बूढ़ा आदमी था। 13 यिशै के तीन बड़े पुत्र शाऊल के साथ युद्ध में गये थे। प्रथम पुत्र एलीआब था। दूसरा पुत्र अबीनादाब था और तीसरा पुत्र शम्मा था। 14 दाऊद सबसे छोटा पुत्र था। तीनों पुत्र शाऊल की सेना में थे। 15 किन्तु दाऊद कभी—कभी बेतलेहेम में अपने पिता की भेड़ों की रखवाली के लिये शाऊल के पास से चला जाता था।

16 पलिश्ती गोलियत हर एक प्रात: एवं सन्ध्या को बाहर आता था और इस्राएल की सेना के सामने खड़ा हो जाता था। गोलियत ने चालीस दिन तक इस प्रकार इस्राएल का मजाक उड़ाया।

17 एक दिन यिशै ने अपने पुत्र दाऊद से कहा, “पके अन्न की टोकरी और इन दस रोटियों को डेरे में अपने भाईयों के पास ले जाओ। 18 पनीर की इन दस पिंडियों को भी एक हजार सैनिकों वाली अपने भाई की टुकड़ी के संचालक अधिकारी के लिये ले जाओ। देखो कि तुम्हारे भाई कैसे हैं। कुछ ऐसा लाओ जिससे मुझे पता चले कि तुम्हारे भाई ठीक—ठाक हैं। 19 तुम्हारे भाई शाऊल के साथ हैं और इस्राएल के सारे सैनिक एला घाटी में हैं। वे पलिश्तियों के विरुद्ध लड़ रहे हैं।”

20 सवेरे तड़के ही दाऊद, ने भेड़ों की रखवाली दूसरे गड़रिये को सौंपी। दाऊद ने भोजन लिया और वहाँ के लिये चल पड़ा जहाँ के लिये यिशै ने कहा था। दाऊद अपनी गाड़ी को डेरे में ले गया। उस समय सैनिक लड़ाई में अपने मोर्चे संभालने जा रहे थे जब दाऊद वहाँ पहुँचा। सैनिक अपना युद्ध उद्घोष करने लगे। 21 इस्राएली और पलिश्ती अपने पुरुषों को युद्ध में एक—दूसरे से भिड़ने के लिये इकट्ठा कर रहे थे।

22 दाऊद ने भोजन और चीजों को उस व्यक्ति के पास छोड़ा जो सामग्री का वितरण करता था। दाऊद दौड़ कर उस स्थान पर पहुँचा जहाँ इस्राएली सैनिक थे। दाऊद ने अपने भाईयों के विषय में पूछा। 23 दाऊद ने अपने भाईयों के साथ बात करनी आरम्भ की। उसी समय वह पलिश्ती वीर योद्धा जिसका नाम गोलियत था और जो गत का निवासी था, पलिश्ती सेना से बाहर आया। पहले की तरह गोलियत ने इस्राएल के विरुद्ध वही बातें चिल्लाकर कहीं।

24 इस्राएली सैनिकों ने गोलियत को देखा और वे भाग खड़े हुए। वे सभी उससे भयभीत थे। 25 इस्राएली व्यक्तियों में से एक ने कहा, “अरे लोगों, तुममें से किसी ने उस देखा है! उसे देखो! वह गोलियत आ रहा है जो बार—बार इस्राएल का मजाक उड़ाता है। जो कोई उस व्यक्ति को मार देगा, धनी हो जायेगा! राजा शाऊल उसे बहुत धन देगा। शाऊल अपनी पुत्री का विवाह भी उस व्यक्ति से कर देगा, जो गोलियत को मारेगा और शाऊल उस व्यक्ति के परिवार को इस्राएल में स्वतन्त्र कर देगा।”

26 दाऊद ने समीप खड़े आदमी से पूछा, “उसने क्या कहा? इस पलिश्ती को मारने और इस्राएल के इस अपमान को दूर करने का पुरस्कार क्या है? अन्तत: यह गोलियत है ही क्या? यह बस एक विदेशी मात्र है। गोलियत एक पलिश्ती से अधिक कुछ नहीं। वह क्यों सोचता है कि वह साक्षात् परमेश्वर की सेना के विरुद्ध बोल सकता है?”

27 इसलिए इस्राएलियों ने गोलियत को मारने के लिये पुरस्कार के बारे में बताया। 28 दाऊद के बड़े भाई एलीआब ने दाऊद को सैनिकों से बातें करते सुना। एलीआब ने दाऊद पर क्रोधित हुआ। एलीआब दाऊद से पूछा, “तुम यहाँ क्यों आये? मरुभूमि में उन थोड़ी सी भेड़ों को किस के पास छोड़कर आये हो? मैं जानता हूँ कि तुम यहाँ क्यों आये हो! तुम वह करना नहीं चाहते जो तुमसे करने को कहा गया था। तुम केवल यहाँ युद्ध देखने के लिये आना चाहते थे!”

29 दाऊद ने कहा, “ऐसा मैंने क्या किया है? मैंने कोई गलती नहीं की! मैं केवल बातें कर रहा था।” 30 दाऊद दूसरे लोगों की तरफ मुड़ा और उनसे वे ही प्रश्न किये। उन्होने दाऊद को वे ही पहले जैसे उत्तर दिये।

31 कुछ व्यक्तियों ने दाऊद को बातें करते सुना। उन्होंने दाऊद के बारे में शाऊल से कहा। शाऊल ने आदेश दिया कि वे दाऊद को उसके पास लाएं। 32 दाऊद ने शाऊल से कहा, “किसी व्यक्ति को उसके कारण हतोत्साहित मत होने दो। मैं आपका सेवक हूँ। मैं इस पलिश्ती से लड़ने जाऊँगा।”

33 शाऊल ने उत्तर दिया, “तुम नहीं जा सकते और इस पलिश्ती गोलियत से नहीं लड़ सकते। तुम सैनिक भी नहीं हो![b] तुम अभी बच्चे हो और गोलियत जब बच्चा था, तभी से युद्धों में लड़ रहा है।”

34 किन्तु दाऊद ने शाऊल से कहा, “मैं आपका सेवक हूँ और मैं अपने पिता की भेड़ों की रखवाली भी करता रहा हूँ। यदि कोई शेर या रीछ आता और झुंड से किसी भेड़ को उठा ले जाता। 35 तो मैं उसका पीछा करता था। मैं उस जंगली जानवर पर आक्रमण करता था और उसके मुँह से भेड़ को बचा लेता था और उससे युद्ध करता था तथा उसे मार डालता था। 36 मैंने एक शेर और एक रीछ को मार डाला है! मैं उस विदेशी गोलियत को वैसे ही मार डालूँगा। गोलियत मरेगा, क्योंकि उसने साक्षात परमेश्वर की सेना का मजाक उड़ाया है। 37 यहोवा ने मुझे शेर और रीछ से बचाया है। यहोवा इस पलिश्ती गोलियत से भी मेरी रक्षा करेगा।”

शाऊल ने दाऊद से कहा, “जाओ यहोवा तुम्हारे साथ हो।” 38 शाऊल ने अपने वस्त्र दाऊद को पहनाये। शाऊल ने एक काँसे का टोप दाऊद के सिर पर रखा और उसके शरीर पर कवच पहनाया। 39 दाऊद ने तलवार ली और चारों ओर चलने का प्रयत्न किया। इस प्रकार दाऊद ने शाऊल की वर्दी को पहनने का प्रयत्न किया। किन्तु दाऊद को उन भारी चीज़ों को पहनने का अभ्यास नहीं था। दाऊद ने शाऊल से कहा, “मैं इन चीज़ों के साथ नहीं लड़ सकता। मेरा अभ्यास इनके लिये नहीं है।”

इसलिये दाऊद ने उन सब को उतार दिया। 40 दाऊद ने अपनी छड़ी अपने हाथों में ली। घाटी से दाऊद ने पाँच चिकने पत्थर चुने। उसने पाँचों पत्थरों को अपने गड़रिये वाले थैले में रखा। उसने अपना गोफन (गुलेल) अपने हाथों में लिया और वह पलिश्ती (गोलियत) से मिलने चल पड़ा।

दाऊद, गोलियत को मार डालाता है

41 पलिश्ती (गोलियत) धीरे—धीरे दाऊद के समीप और समीपतर होता गया। गोलियत का सहायक उसकी ढाल लेकर उसके आगे चल रहा था। 42 गोलियत ने दाऊद को देखा और हँसा। गोलियत ने देखा कि दाऊद सैनिक नहीं है। वह तो केवल सुनहरे बालों वाला युवक है। 43 गोलियत ने दाऊद से कहा, “यह छड़ी किस लिये है? क्या तुम कुत्ते की तरह मेरा पीछा करके मुझे भगाने आये हो?” तब गोलियत ने अपने देवताओं का नाम लेकर दाऊद के विरुद्ध अपशब्द कहे। 44 गोलियत ने दाऊद से कहा, “यहाँ आओ, मैं तुम्हरे शरीर को पक्षियों और पशूओं को खिला दूँगा!”

45 दाऊद ने पलिश्ती (गोलियत) से कहा, “तुम मेरे पास तलवार, बर्छा और भाला चलाने आये हो। किन्तु मैं तुम्हारे पास इस्राएल की सेना के परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा के नाम पर आया हूँ। तुमने उसके विरुद्ध बुरी बातें कहीं हैं। 46 आज यहोवा तुमको मेरे द्वारा पराजित कराएगा। मैं तुमको मार डालूँगा। आज मैं तुम्हारा सिर काट डालूँगा और तुम्हारे शरीर को पक्षियों और जंगली जानवरों को खिला दूँगा। हम लोग अन्य पलिश्तियों के साथ भी यही करेंगे। तब सारा संसार जानेगा कि इस्राएल में परमेश्वर है! 47 यहाँ इकट्ठे सभी लोग जानेंगे कि लोगों की रक्षा के लिये यहोवा को तलवार और भाले की आवश्यकता नहीं। युद्ध यहोवा का है और यहोवा तुम सभी पलिश्तियों को हराने में हमारी सहायता करेगा।”

48 पलिश्ती (गोलियत) दाऊद पर आक्रमण करने उसके पास आया। दाऊद गोलियत से भिड़ने के लिये तेजी से दौड़ा 49 दाऊद ने एक पत्थर अपने थैले से निकाला। उसने उसे अपने गोफन (गुलेल) पर चढ़ाया और उसे चला दिया। पत्थर गुलेल से उड़ा और उसने गोलियत के माथे पर चोट की। पत्थर उसके सिर में गहरा घुस गया और गोलियत मुँह के बल गिर पड़ा।

50 इस प्रकार दाऊद ने एक गोफन और एक पत्थर से पलिश्ती को हरा दिया। उसने पलिश्ती पर चोट की और उसे मार डाला। दाऊद के पास कोई तलवार नहीं थी। 51 इसलिए दाऊद दौड़ा और पलिश्ती की बगल में खड़ा हो गया। दाऊद ने गोलियत की तलवार उसकी म्यान से निकाली और उससे गोलियत का सिर काट डाला और इस तरह दाऊद ने पलिश्ती को मार डाला।

जब अन्य पलिश्तियों ने देखा कि उनका वीर मारा गया तो वे मुड़े और भाग गए। 52 इस्राएल और यहूदा के सैनिकों ने जयघोष किया और पलिश्तियों का पीछा करने लगे। इस्राएलियों ने लगातार गत की सीमा और एक्रोन के द्वार तक पलिश्तियों का पीछा किया। उन्होंने अनेकों पलिश्ती मार गिराए। उनके शव शारैंम सड़क पर गत और एक्रोन तक लगातार बिछ गए। 53 पलिश्तियों का पीछा करने के बाद इस्राएली पलिश्तियों के डेरे में लौटे। इस्राएली उस डेरे से बहुत सी चीज़ें ले गये।

54 दाऊद पलिश्ती का सिर यरूशलेम ले गया। दाऊद ने पलिश्तियों के शस्त्रों को अपने पास अपने डेरे में रखा।

शाऊल दाऊद से डरने लगता है।

55 शाऊल ने दाऊद को गोलियत से लड़ने के लिये जाते देखा था। शाऊल ने सेनापति अब्नेर से बातें कीं, “अब्नेर, उस युवक का पिता कौन है?”

अब्नेर ने उत्तर दिया, “महाराज, मैं शपथ खाकर कहता हूँ—मैं नहीं जानता।”

56 राजा शाऊल ने कहा, “पता लगाओ कि उस युवक का पिता कौन है?”

57 जब दाऊद गोलियत को मारने के बाद लौटा तो अब्नेर उसे शाऊल के पास लाया। दाऊद तब भी पलिश्ती का सिर हाथ में पकड़े हुआ था।

58 शाऊल ने पुछा, “युवक तुम्हारा पिता कौन है?”

दाऊद ने उत्तर दिया, “मैं आपके सेवक बेतलेहेम के यिशै का पुत्र हूँ।”

दाऊद और योनातान की घनिष्ट मित्रता

18 दाऊद ने जब शाऊल से बात पूरी कर ली तब योनातान दाऊद का बहुत अभिन्न मित्र बन गया। योनातान दाऊद से उतना ही प्रेम करने लगा जितना अपने से। शाऊल ने उस दिन के बाद से दाऊद को अपने पास रखा। शाऊल ने दाऊद को उसके घर पिता के पास नहीं जाने दिया। योनातान दाऊद से बहुत प्रेम करता था। योनातान ने दाऊद से एक सन्धि की। योनातान ने जो अंगरखा पहना हुआ था उसे उतारा और दाऊद को दे दिया। योनातान ने अपनी सारी वर्दी भी दाऊद को दे दी। योनातान ने अपना धनुष, अपनी तलवार और अपनी पेटी भी दाऊद को दी।

यूहन्ना 8:21-30

यहूदियों का यीशु के विषय में अज्ञान

21 यीशु ने उनसे एक बार फिर कहा, “मैं चला जाऊँगा और तुम लोग मुझे ढूँढोगे। पर तुम अपने ही पापों में मर जाओगे। जहाँ मैं जा रहा हूँ तुम वहाँ नहीं आ सकते।”

22 फिर यहूदी नेता कहने लगे, “क्या तुम सोचते हो कि वह आत्महत्या करने वाला है? क्योंकि उसने कहा है तुम वहाँ नहीं आ सकते जहाँ मैं जा रहा हूँ।”

23 इस पर यीशु ने उनसे कहा, “तुम नीचे के हो और मैं ऊपर से आया हूँ। तुम सांसारिक हो और मैं इस जगत से नहीं हूँ। 24 इसलिये मैंने तुमसे कहा था कि तुम अपने पापों में मरोगे। यदि तुम विश्वास नहीं करते कि वह मैं हूँ, तुम अपने पापों में मरोगे।”

25 फिर उन्होंने यीशु से पूछा, “तू कौन है?”

यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं वही हूँ जैसा कि प्रारम्भ से ही मैं तुमसे कहता आ रहा हूँ। 26 तुमसे कहने को और तुम्हारा न्याय करने को मेरे पास बहुत कुछ है। पर सत्य वही है जिसने मुझे भेजा है। मैं वही कहता हूँ जो मैंने उससे सुना है।”

27 वे यह नहीं जान पाये कि यीशु उन्हें परम पिता के बारे में बता रहा है। 28 फिर यीशु ने उनसे कहा, “जब तुम मनुष्य के पुत्र को ऊँचा उठा लोगे तब तुम जानोगे कि वह मैं हूँ। मैं अपनी ओर से कुछ नहीं करता। मैं यह जो कह रहा हूँ, वही है जो मुझे परम पिता ने सिखाया है। 29 और वह जिसने मुझे भेजा है, मेरे साथ है। उसने मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ा क्योंकि मैं सदा वही करता हूँ जो उसे भाता है।” 30 यीशु जब ये बातें कह रहा था, तो बहुत से लोग उसके विश्वासी हो गये।

भजन संहिता 111

यहोवा के गुण गाओ!

यहोवा का अपने सम्पूर्ण मन से ऐसी उस सभा में धन्यवाद करता हूँ
    जहाँ सज्जन मिला करते हैं।
यहोवा ऐसे कर्म करता है, जो आश्चर्यपूर्ण होते हैं।
    लोग हर उत्तम वस्तु चाहते हैं, वही जो परमेश्वर से आती है।
परमेश्वर ऐसे कर्म करता है जो सचमुच महिमावान और आश्चर्यपूर्ण होते हैं।
    उसका खरापन सदा—सदा बना रहता है।
परमेश्वर अद्भुत कर्म करता है ताकि हम याद रखें
    कि यहोवा करूणापूर्ण और दया से भरा है।
परमेश्वर निज भक्तों को भोजन देता है।
    परमेश्वर अपनी वाचा को याद रखता है।
परमेश्वर के महान कार्य उसके प्रजा को यह दिखाया
    कि वह उनकी भूमि उन्हें दे रहा है।
परमेश्वर जो कुछ करता है वह उत्तम और पक्षपात रहित है।
    उसके सभी आदेश पूरे विश्वास योग्य हैं।
परमेश्वर के आदेश सदा ही बने रहेंगे।
    परमेश्वर के उन आदेशों को देने के प्रयोजन सच्चे थे और वे पवित्र थे।
परमेश्वर निज भक्तों को बचाता है।
    परमेश्वर ने अपनी वाचा को सदा अटल रहने को रचा है, परमेश्वर का नाम आश्चर्यपूर्ण है और वह पवित्र है।
10 विवेक भय और यहोवा के आदर से उपजता है।
    वे लोग बुद्धिमान होतेहैं जो यहोवा का आदर करते हैं।
यहोवा की स्तुति सदा गायी जायेगी।

नीतिवचन 15:11

11 जबकि यहोवा के समझ मृत्यु और विनाश के रहस्य खुले पड़े हैं। सो निश्चित रूप से वह जानता है कि लोगों के दिल में क्या हो रहा है।

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