Book of Common Prayer
25 कुवांरीमन के बारे म, मोला परभू ले कोनो हुकूम नइं मिले हवय, पर परभू के दया ले एक बिसवासयोग्य मनखे के रूप म, मेंह अपन बिचार ला बतावत हंव। 26 अभी के संकट के कारन मेंह सोचथंव कि तुम्हर बर एह बने होही कि जइसने तुमन हवव, वइसने रहव। 27 कहूं तुमन सादी-सुदा अव, त अपन घरवाली ला छोंड़े के कोसिस झन करव, अऊ कहूं तुमन बिहाव नइं करे हवव, त बिहाव करे के बारे म झन सोचव। 28 पर कहूं तुमन बिहाव करथव, त एह पाप नो हय; अऊ कहूं कोनो कुवांरी ह बिहाव करथे, त ओह पाप नो हय। पर जऊन मन बिहाव करथें, ओमन ए जिनगी म बहुंत समस्या म पड़हीं, अऊ मेंह तुमन ला ए समस्या ले बचाय चाहथंव।
29 हे भाईमन हो, मोर कहे के मतलब ए अय कि जादा समय नइं ए। एकरसेति अब ले, जऊन मन सादी-सुदा अंय, ओमन अइसने रहंय जइसने कि ओमन के सादी नइं होय रिहिस। 30 जऊन मन दुःख मनाथें; ओमन अइसने रहंय, जइसने ओमन ला कोनो दुःख नइं रिहिस। जऊन मन खुस हवंय, ओमन अइसने रहंय जइसने ओमन खुस नइं रिहिन। जऊन मन कुछू बिसोथें, ओमन अइसने देखावंय जइसने कि ओ सामान ह ओमन के नो हय। 31 जऊन मन संसार के चीजमन के उपयोग करथें, ओमन अइसने रहंय जइसने कि ओमन ए चीजमन म मगन नइं रिहिन। काबरकि ए संसार अभी जऊन दसा हवय, ओह बदलत जावत हवय।
चिंता झन करव
(लूका 12:22-34)
25 “एकरसेति, मेंह तुमन ला कहत हंव कि तुमन अपन जिनगी के बारे म चिंता झन करव कि तुमन का खाहू या का पीहू, अऊ न अपन देहें के बारे म चिंता करव कि तुमन का पहिरहू। का जिनगी ह भोजन ले जादा महत्व के नो हय? अऊ देहें ह ओन्ढा ले बढ़ के नो हय? 26 अकास के चिरईमन ला देखव; ओमन ह न बोवंय, न लुवंय अऊ न कोठार म जमा करंय; तभो ले तुम्हर स्वरगीय ददा ह ओमन ला खवाथे। का तुमन चिरईमन ले जादा महत्व के नो हव? 27 तुम्हर म ले कोन ह चिंता करे के दुवारा अपन जिनगी म एको घरी घलो बढ़ा सकथे?
28 तुमन ओन्ढा बर काबर चिंता करथव? खेत के जंगली फूलमन ला देखव कि ओमन कइसने बढ़थें। ओमन न तो मिहनत करंय अऊ न ही ओन्ढा बिनंय। 29 तभो ले मेंह तुमन ला बतावत हंव कि राजा सुलेमान घलो अपन जम्मो सोभा म एमन ले एको झन सहीं नइं सजे-धजे रिहिस। 30 यदि परमेसर ह खेत के कांदी ला, जऊन ह आज इहां हवय अऊ कल आगी म झोंक दिये जाही, अइसने ओन्ढा पहिराथे, तब हे अल्प बिसवासी मनखेमन, ओह तुमन ला अऊ बने ओन्ढा काबर नइं पहिराही? 31 एकरसेति तुमन चिंता झन करव अऊ ए झन कहव कि हमन का खाबो? या का पीबो? या का पहिरबो? 32 आनजातमन ए जम्मो चीज के खोज म रहिथें। तुम्हर स्वरगीय ददा ह जानथे कि तुमन ला ए जम्मो चीज के जरूरत हवय। 33 परमेसर के राज अऊ ओकर धरमीपन के खोज करव, त ए जम्मो चीजमन घलो संग म तुमन ला दिये जाही। 34 एकरसेति, कल के चिंता झन करव, काबरकि कल के दिन ह अपन चिंता खुद कर लिही। आज के दुःख ह आज खातिर बहुंते हवय।”
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