Book of Common Prayer
पानी जहाज ह डुब जाथे
27 चौदह रात हो गे, हमन अद्रिया समुंदर म भटकत फिरत रहेंन, तब आधा रतिहा के करीब मांझीमन ला लगिस कि ओमन भुइयां के लकठा म आ गे हवंय। 28 ओमन पानी के थाह लगाईन, त ओमन एक सौ बीस फुट गहिरा पाईन। थोरकन देर बाद, ओमन फेर गहिरई नापिन, त नब्बे फुट गहिरा पाईन। 29 तब ए डरके कि जहाज ह पथरा ले टकरा जाही, ओमन जहाज के पाछू भाग म चार ठन लंगर डारिन अऊ दिन के अंजोर बर पराथना करे लगिन। 30 मांझीमन पानी जहाज ले भागे चाहत रहंय, एकरसेति ओमन जहाज के आघू म कुछू लंगर डारे के ओढ़र म, डोंगी ला समुंदर म उतार दीन। 31 तब पौलुस ह सेना के अधिकारी अऊ सैनिकमन ला कहिस, “कहूं ए मनखेमन जहाज ला छोंड़ दीन, त तुमन नइं बांचव।” 32 तब सैनिकमन डोंगी ले बंधे डोर ला काटके डोंगी ला गिरा दीन।
33 बिहान होय के पहिली, पौलुस ह ओ जम्मो झन ला खाना खाय बर समझाईस। ओह कहिस, “आज चौदह दिन हो गे, तुमन आस लगाय हवव अऊ अभी तक ले कुछू नइं खाय हवव। 34 मेंह तुमन ले बिनती करत हंव कि कुछू खा लेवव। जीयत रहे बर तुमन ला कुछू खाना जरूरी ए। तुमन के काकरो मुड़ के एको ठन बाल घलो बांका नइं होवय।” 35 ए कहिके पौलुस ह कुछू रोटी लीस अऊ जम्मो के आघू म परमेसर ला धनबाद दीस अऊ टोरके खावन लगिस। 36 ओमन जम्मो झन उत्साहित होईन अऊ कुछू खाना खाईन। 37 हमन जम्मो झन मिलके पानी जहाज म दू सौ छिहत्तर मनखे रहेंन। 38 जब खाना खाके ओमन के मन ह भर गे, त अनाज ला समुंदर म फटिक के जहाज ला हरू करन लगिन।
39 जब बिहनियां होईस, त ओमन ओ देस ला नइं चिन्हिन, पर ओमन ला एक रेतिला समुंदर के खाड़ी दिखिस, तब ओमन उहां जहाज ला टिकोय के फैसला करिन। 40 अऊ ओमन लंगरमन ला खोलके समुंदर म छोंड़ दीन अऊ संग म पतवारमन के डोर ला घलो खोल दीन अऊ हवा के आघू म पाल ला चघाके, ओमन समुंदर के तीर कोति चले लगिन। 41 जहाज ह बालू म फंसके टिक गे। जहाज के आघू के भाग ह बालू म धंस गीस अऊ आघू नइं बढ़िस, जबकि पिछला भाग ह समुंदर के भयंकर लहरा ले टूटके कुटी-कुटी हो गीस।
42 तब सैनिकमन कैदीमन ला मार डारे के बिचार करिन, ताकि ओम ले कोनो पानी म उतरके झन भाग सकय। 43 पर सेना के अधिकारी ह पौलुस ला बंचाय बर चाहत रहय, एकरसेति ओह ओमन ला अइसने करे बर मना करिस। ओह ए हुकूम दीस कि जऊन मन तऊर सकथें, ओमन पहिली जहाज ले कूदके तीर म हबरंय। 44 बांचे मनखेमन लकड़ी के पटिया या जहाज के टूटे चीजमन के सहारा लेके उहां पहुंचंय। ए किसम ले जम्मो झन भांठा म पहुंचके बांच गीन।
पतरस के यीसू ला स्वीकार करई
(मत्ती 16:13-20; मरकुस 8:27-30)
18 एक दिन यीसू ह एके झन पराथना करत रिहिस अऊ ओकर चेलामन ओकर संग रिहिन, त ओह ओमन ले पुछिस, “मनखेमन मोला कोन ए कहिथें?”
19 ओमन जबाब दीन, “कुछू मनखेमन कहिथें – यूहन्ना बतिसमा देवइया; पर आने मन कहिथें – एलियाह; जबकि अऊ आने मन कहिथें कि बहुंत पहिली के अगमजानीमन ले एक झन जी उठे हवय।”
20 यीसू ह ओमन ले पुछिस, “पर तुमन मोला कोन ए कहिथव?”
पतरस ह जबाब दीस, “तेंह परमेसर के मसीह अस।”
21 यीसू ह ओमन ला बने करके चेताके कहिस कि ओमन ए बात कोनो ला झन बतावंय। 22 अऊ ओह कहिस, “एह जरूरी ए कि मनखे के बेटा ह बहुंत दुःख भोगय अऊ अगुवा, मुखिया पुरोहित अऊ कानून के गुरू मन के दुवारा तिरस्कार करे जावय, अऊ जरूरी ए कि ओह मार डारे जावय अऊ तीसरा दिन जी उठय।”
23 अऊ ओह ओ जम्मो झन ला कहिस, “यदि कोनो मोर पाछू आय चाहथे, त एह जरूरी ए कि ओह अपन ईछामन ला मारय अऊ हर दिन दुःख उठाय के मन रखय अऊ मोर पाछू चलय। 24 काबरकि जऊन कोनो अपन जिनगी ला बचाय चाहथे, ओह ओला गंवाही, पर जऊन कोनो मोर बर अपन जिनगी ला गंवाय चाहथे, ओह परमेसर के संग सदाकाल के जिनगी पाही। 25 यदि एक मनखे ह जम्मो संसार ला पा जाथे, पर परमेसर के संग सदाकाल के जिनगी ला गंवा देथे, त ओला का लाभ? 26 यदि कोनो मोर ले अऊ मोर बचन ले लजाथे, त मनखे के बेटा घलो ओकर ले लजाही, जब ओह अपन महिमा अऊ ददा अऊ पबितर स्वरगदूतमन के महिमा के संग आही। 27 मेंह तुमन ला सच कहत हंव, इहां कुछू झन ठाढ़े हवंय, ओमन जब तक परमेसर के राज ला नइं देख लिहीं, तब तक ओमन नइं मरंय।”
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