मत्ती 5:13
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तुम नमक के समान हो: तुम प्रकाश के समान हो
(मरकुस 9:50; 4:21; लूका 14:34-35; 8:16)
13 “तुम समूची मानवता के लिये नमक हो। किन्तु यदि नमक ही बेस्वाद हो जाये तो उसे फिर नमकीन नहीं बनाया जा सकता है। वह फिर किसी काम का नहीं रहेगा। केवल इसके, कि उसे बाहर लोगों की ठोकरों में फेंक दिया जाये।
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मत्ती 8:1
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यीशु का कोढ़ी को ठीक करना
(मरकुस 1:40-45; लूका 5:12-16)
8 यीशु जब पहाड़ से नीचे उतरा तो बहुत बड़ा जन समूह उसके पीछे हो लिया।
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लूका 7:1-10
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विश्वास की शक्ति
(मत्ती 8:5-13; यूहन्ना 4:43-54)
7 यीशु लोगों को जो सुनाना चाहता था, उसे कह चुकने के बाद वह कफ़रनहूम चला आया। 2 वहाँ एक सेनानायक था जिसका दास इतना बीमार था कि मरने को पड़ा था। वह सेवक उसका बहुत प्रिय था। 3 सेनानायक ने जब यीशु के विषय में सुना तो उसने कुछ बुजुर्ग यहूदी नेताओं को यह विनती करने के लिये उसके पास भेजा कि वह आकर उसके सेवक के प्राण बचा ले। 4 जब वे यीशु के पास पहुँचे तो उन्होंने सच्चे मन से विनती करते हुए कहा, “वह इस योग्य है कि तू उसके लिये ऐसा करे। 5 क्योंकि वह हमारे लोगों से प्रेम करता है। उसने हमारे लिए आराधनालय का निर्माण किया है।”
6 सो यीशु उनके साथ चल दिया। अभी जब वह घर से अधिक दूर नहीं था, उस सेनानायक ने उसके पास अपने मित्रों को यह कहने के लिये भेजा, “हे प्रभु, अपने को कष्ट मत दे। क्योंकि मैं इतना अच्छा नहीं हूँ कि तू मेरे घर में आये। 7 इसीलिये मैंने तेरे पास आने तक की नहीं सोची। किन्तु तू बस कह दे और मेरा सेवक स्वस्थ हो जायेगा। 8 मैं स्वयं किसी अधिकारी के नीचे काम करने वाला व्यक्ति हूँ और मेरे नीचे भी कुछ सैनिक हैं। मैं जब किसी से कहता हूँ ‘जा’ तो वह चला जाता है और जब दूसरे से कहता हूँ ‘आ’ तो वह आ जाता है। और जब मैं अपने दास से कहता हूँ, ‘यह कर’ तो वह उसे ही करता है।”
9 यीशु ने जब यह सुना तो उसे उस पर बहुत आश्चर्य हुआ। जो जन समूह उसके पीछे चला आ रहा था, उसकी तरफ़ मुड़ कर यीशु ने कहा, “मैं तुम्हे बताता हूँ ऐसा विश्वास मुझे इस्राएल में भी कहीं नहीं मिला।”
10 फिर भेजे हुए वे लोग जब वापस घर पहुँचे तो उन्होंने उस सेवक को निरोग पाया।
Read full chapter© 1995, 2010 Bible League International