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विश्वास बनाए रखो

32 आरम्भ के उन दिनों को याद करो जब तुमने प्रकाश पाया था, और उसके बाद जब तुम कष्टों का सामना करते हुए कठोर संघर्ष में दृढ़ता के साथ डटे रहे थे। 33 तब कभी तो सब लोगों के सामने तुम्हें अपमानित किया गया और सताया गया और कभी जिनके साथ ऐसा बर्ताव किया जा रहा था, तुमने उनका साथ दिया। 34 तुमने, जो बंदीगृह में पड़े थे, उनसे सहानुभूति की तथा अपनी सम्पत्ति का जब्त किया जाना सहर्ष स्वीकार किया क्योंकि तुम यह जानते थे कि स्वयं तुम्हारे अपने पास उनसे अच्छी और टिकाऊ सम्पत्तियाँ हैं।

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