Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
मरियम द्वारा परमेश्वर की स्तुति
46 तब मरियम ने कहा,
47 “मेरी आत्मा प्रभु की स्तुति करती है;
मेरी आत्मा मेरे रखवाले परमेश्वर में आनन्दित है।
48 उसने अपनी दीन दासी की सुधि ली,
हाँ आज के बाद
सभी मुझे धन्य कहेंगे।
49 क्योंकि उस शक्तिशाली ने मेरे लिये महान कार्य किये।
उसका नाम पवित्र है।
50 जो उससे डरते हैं वह उन पर पीढ़ी दर पीढ़ी दया करता है।
51 उसने अपने हाथों की शक्ति दिखाई।
उसने अहंकारी लोगों को उनके अभिमानपूर्ण विचारों के साथ तितर-बितर कर दिया।
52 उसने सम्राटों को उनके सिंहासनों से नीचे उतार दिया।
और उसने विनम्र लोगों को ऊँचा उठाया।
53 उसने भूखे लोगों को अच्छी वस्तुओं से भरपूर कर दिया,
और धनी लोगों को खाली हाथों लौटा दिया।
54 वह अपने दास इस्राएल की सहायता करने आया
हमारे पुरखों को दिये वचन के अनुसार
55 उसे इब्राहीम और उसके वंशजों पर सदा सदा दया दिखाने की याद रही।”
17 तुम्हारी आँखे उस राजा (परमेश्वर) का, उसकी सुंदरता में दर्शन करेंगी। तुम उस महान धरती को देखोगे। 18-19 बीते हुए दिनों में तुमने जो कष्ट उठाये हैं, तुम उनके बारे में सोचोगे। तुम सोचोगे, “दूसरे देशों के वे लोग कहाँ हँ वे लोग ऐसी बोली बोला करते थे, जिसे हम समझ नहीं सकते थे। दूसरे देशों के वे सेवक और कर एकत्र करने वाले कहाँ है वे गुप्तचर जिन्होंने हमारी सुरक्षा मिनारों का लेखा जोखा लिया था, कहाँ हैं वे सब समाप्त हो गये!”
परमेश्वर यरूशलेम को बचायेगा
20 हमारे धर्मिक उत्सवों की नगरी, सिय्योन को देखो। विश्राम निवास के उस सुन्दरस्थान यरूशलेम को देखो। यरूशलेम उस तम्बू के समान है जिसे कभी उखाड़ा नहीं जायेगा। वे खूँटे जो उसे अपने स्थान पर थामे रखते हैं, कभी उखाड़े नहीं जायेंगें। उसके रस्से कभी टूटेंगे नहीं। 21-23 वहाँ हमारे लिए शक्तिशाली यहोवा विस्तृत झरनों और नदियों वाले एक स्थान के समान होगा। किन्तु उन नदियों पर कभी शत्रु की नौकाएँ अथवा शक्तिशाली जहाज़ नहीं होंगे। उन नौकाओं पर काम करने वाले तुम लोग रस्सियों को नहीं थामे रख सके। तुम मस्तूल को मजबूत नहीं बनाये रख सके। सो तुम अपनी पालों को भी नहीं खोल पाओगे। क्यों क्योंकि यहोवा हमारा न्यायकर्ता है। यहोवा हमारे लिए नियम बनाता है। यहोवा हमारा राजा है। वह हमारी रक्षा करता है। इसी से यहोवा हमें बहुत सा धन देगा। यहाँ तक कि अपाहिज लोग भी युद्ध में बहुत सा धन जीत लेंगे।
6 फिर उस स्वर्गदूत ने मुझसे कहा, “ये वचन विश्वास करने योग्य और सत्य हैं। प्रभु ने जो नबियों की आत्माओं का परमेश्वर है, अपने सेवकों को, जो कुछ शीघ्र ही घटने वाला है, उसे जताने के लिए अपना स्वर्गदूत भेजा है। 7 ‘सुनो, मैं शीघ्र ही आ रहा हूँ! धन्य हैं वह जो इस पुस्तक में दिए गए उन वचनों का पालन करते हैं जो भविष्यवाणी हैं।’”
18 मैं शपथ पूर्वक उन व्यक्तियों के लिए घोषणा कर रहा हूँ जो इस पुस्तक में लिखे भविष्यवाणी के वचनों को सुनते हैं, उनमें से यदि कोई भी उनमें कुछ भी और जोड़ेगा तो इस पुस्तक में लिखे विनाश परमेश्वर उस पर ढायेगा। 19 और यदि नबियों की इस पुस्तक में लिखे वचनों में से कोई कुछ घटायेगा तो परमेश्वर इस पुस्तक में लिखे जीवन-वृक्ष और पवित्र नगरी में से उसका भाग उससे छीन लेगा।
20 यीशु जो इन बातों का साक्षी है, वह कहता है, “हाँ! मैं शीघ्र ही आ रहा हूँ।”
आमीन। हे प्रभु यीशु आ!
© 1995, 2010 Bible League International