Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
परभू के दिन
3 हे मयारू संगवारीमन हो, एह दूसरा चिट्ठी ए, जऊन ला मेंह तुमन ला लिखत हवंव। मेंह दूनों चिट्ठी ए सुरता कराय बर लिखे हवंव कि तुमन सही सोच-बिचार म बढ़त जावव। 2 मेंह चाहथंव कि तुमन ओ बचनमन ला सुरता करव, जऊन ह बहुंत पहिली पबितर अगमजानीमन के दुवारा कहे गे रिहिस अऊ हमर परभू अऊ उद्धार करइया के हुकूम ला सुरता करव, जऊन ह तुमन ला प्रेरितमन के जरिये दिये गे रिहिस।
3 सबले पहिली, तुमन ए जरूर समझ लेवव कि आखिरी के दिन म ठट्ठा करइयामन आहीं अऊ ठट्ठा करत अपन खुद के खराप ईछा ला पूरा करहीं। 4 ओमन कहिहीं, “ओह आय के वायदा करे रिहिस, पर का होईस ओकर अवई के? हमर पुरखामन के मरे के समय ले, हर एक चीज ह वइसनेच हवय, जइसने ए संसार के सुरू ले रिहिस।” 5 पर ओमन जान-बूझ के ए बात ला भुला जाथें कि बहुंत पहिली, परमेसर के बचन के दुवारा अकासमन बनाय गीन अऊ धरती ह पानी म ले अऊ पानी के संग बनाय गीस। 6 पानी के दुवारा ही ओ समय के संसार म भयंकर बाढ़ आईस अऊ ओह नास हो गीस। 7 ओहीच बचन के दुवारा, ए समय के अकासमन अऊ धरती ला आगी म नास करे बर बचाके रखे गे हवय। ओमन नियाय के दिन बर अऊ भक्तिहीन मनखेमन के बिनास बर रखे गे हवंय।
8 पर हे मयारू संगवारीमन हो, ए बात ला झन भूलव: परभू के नजर म एक दिन ह एक हजार साल सहीं अय, अऊ एक हजार साल ह एक दिन सहीं अय। 9 परभू ह अपन वायदा ला पूरा करे बर देरी नइं करय, जइसने कि कुछू मनखेमन समझत हवंय। पर ओह तुम्हर संग धीरज धरे हवय, अऊ नइं चाहथे कि कोनो नास होवंय, पर ओह चाहथे कि हर एक झन ला पछताप करे के मऊका मिलय।
10 पर परभू के दिन ह चोर के सहीं अचानक आ जाही। अकासमन एक गरजन के संग गायब हो जाहीं। सार-तत्व मन आगी के दुवारा नास हो जाहीं। धरती अऊ एम के हर एक चीज ला जला दिये जाही।
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