Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
68 “इस्राएल के प्रभु परमेश्वर की जय हो
क्योंकि वह अपने लोगों की सहायता के लिए आया और उन्हें स्वतन्त्र कराया।
69 उसने हमारे लिये अपने सेवक
दाऊद के परिवार से एक रक्षक प्रदान किया।
70 जैसा कि उसने बहुत पहले अपने पवित्र
भविष्यवक्ताओं के द्वारा वचन दिया था।
71 उसने हमें हमारे शत्रुओं से और उन सब के हाथों से,
जो हमें घृणा करते थे, हमारे छुटकारे का वचन दिया था।
72 हमारे पुरखों पर दया दिखाने का
अपने पवित्र वचन को याद रखने का।
73 उसका वचन था एक वह शपथ जो हमारे पूर्वज इब्राहीम के साथ ली गयी थी
74 कि हमारे शत्रुओं के हाथों से हमारा छुटकारा हो
और बिना किसी डर के प्रभु की सेवा करने की अनुमति मिले।
75 और अपने जीवन भर हर दिन उसके सामने हम पवित्र और धर्मी रह सकें।
76 “हे बालक, अब तू परमप्रधान का नबी कहलायेगा,
क्योंकि तू प्रभु के आगे-आगे चल कर उसके लिए राह तैयार करेगा।
77 और उसके लोगों से कहेगा कि उनके पापों की क्षमा द्वारा उनका उद्धार होगा।
78 “हमारे परमेश्वर के कोमल अनुग्रह से
एक नये दिन का प्रभात हम पर ऊपर से उतरेगा।
79 उन पर चमकने के लिये जो मौत की गहन छाया में जी रहे हैं
ताकि हमारे चरणों को शांति के मार्ग की दिशा मिले।”
18 अत: योशिय्याह के पुत्र यहोयाकीम से यहोवा जो कहता है, वह यह है:
“यहूदा के लोग यहोयाकीम के लिये रोएंगे नहीं।
वे आपस में यह नहीं कहेंगे,
‘हे मेरे भाई, मैं यहोयाकीम के बारे में इतना दु:खी हूँ।
हे मेरी बहन, मैं यहोयाकीम के लिए रोएंगे नहीं।’
वे उसके बारे में नहीं कहेंगे,
‘हे स्वामी, हम इतने दु:खी हैं।
हे राजा, हम इतने दु:खी हैं।’
19 यरूशलेम के लोग यहोयाकीम को एक मरे गधे की तरह दफनायेंगे।
वे उसके शव को केवल दूर घसीट ले जाएंगे और वे उसके शव को यरूशलेम के द्वार के बाहर फेंक देंगे।
20 “यहूदा, लबानोन के पर्वतों पर जाओ और चिल्लाओ।
बाशान के पर्वतों में अपना रोना सुनाई पड़ने दो।
अबारीम के पर्वतों में जाकर चिल्लाओ।
क्यों क्योंकि तुम्हारे सभी “प्रेमी” नष्ट कर दिये जाएंगे।
21 “हे यहूदा, तुमने अपने को सुरक्षित समझा,
किन्तु मैंने तुम्हें चेतावनी दी।
मैंने तुम्हें चेतावनी दी,
परन्तु तुमने सुनने से इन्कार किया
तुमने यह तब से किया जब तुम युवती थी
और यहूदा जब से तुम युवती थी,
तुमने मेरी आज्ञा का पालन नहीं किया।
22 हे यहूदा, मेरा दण्ड आँधी की तरह आएगा
और यह तुम्हारे सभी गडेरियों (प्रमुखों) को उड़ा ले जाएगा।
तुमने सोचा था कि अन्य कुछ राष्ट्र तुम्हारी सहायता करेंगे।
किन्तु वे राष्ट्र भी पराजित होंगे।
तब तुम सचमुच निराश होओगी।
तुमने जो सब बुरे काम किये, उनके लिये लज्जित होओगी।
23 “हे राजा, तुम देवदार से बने अपने महल में ऊँचे पर्वत पर रहते हो।
तुम उसी तरह रह रहे हो, जैसा कि पहले लबानोन में रहे हो, जहाँ से यह लकड़ी लाई गई हैं।
तुम समझते हो कि उँचे पर्वत पर अपने विशाल महल में तुम सुरक्षित हो।
किन्तु तुम सचमुच तब कराह उठोगे जब तुम्हें तुम्हारा दण्ड मिलेगा।
तुम प्रसव करती स्त्री की तरह पीड़ित होगे।”
राजा कोन्याह के विरुद्ध न्याय
24 यह सन्देश यहोवा का है, “मैं निश्चय ही शाश्वत हूँ अत: यहोयाकीम के पुत्र यहूदा के राजा कोन्याह मैं तुम्हारे साथ ऐसा करुँगा। चाहे तुम मेरे दायें हाथ की राजमुद्रा ही क्यों न हो, मैं तुम्हें तब भी बाहर फेकूँगा। 25 कोन्याह मैं तुम्हें बाबुल और कसदियों के राजा नबूकदनेस्सर को दूँगा। वे ही लोग ऐसे हैं जिनसे तुम डरते हो। वे लोग तुम्हें मार डालना चाहते हैं। 26 मैं तुम्हें और तुम्हारी माँ को ऐसे देश में फेकूँगा कि जहाँ तुम दोनों में से कोई भी पैदा नहीं हुआ था। तुम और तुम्हारी माँ दोनों उसी देश में मरेंगे। 27 कोन्याह तुम अपने देश में लौटना चाहोगे, किन्तु तुम्हें कभी भी लौटने नहीं दिया जाएगा।”
28 कोन्याह उस टूटे बर्तन की तरह है जिसे किसी ने फेंक दिया हो।
वह ऐसे बर्तन की तरह है जिसे कोई व्यक्ति नहीं चाहता।
कोन्याह और उसकी सन्तानें क्यों बाहर फेंक दी जायेगी?
वे किसी विदेश में क्यों फेंकें जाएंगे?
29 भूमि, भूमि, यहूदा की भूमि!
यहोवा का सन्देश सुनो!
30 यहोवा कहता है, “कोन्याह के बारे में यह लिख लो:
‘वह ऐसा व्यक्ति है जिसके भविष्य में अब बच्चे नहीं होंगे।
कोन्याह अपने जीवन में सफल नहीं होगा।
उसकी सन्तान में से कोई भी
यहूदा पर शासन नहीं करेगा।’”
बच्चे स्वर्ग के सच्चे अधिकारी हैं
(मत्ती 19:13-15; मरकुस 10:13-16)
15 लोग अपने बच्चों तक को यीशु के पास ला रहे थे कि वह उन्हें बस छू भर दे। किन्तु जब उसके शिष्यों ने यह देखा तो उन्हें झिड़क दिया। 16 किन्तु यीशु ने बच्चों को अपने पास बुलाया और शिष्यों से कहा, “इन छोटे बच्चों को मेरे पास आने दो, इन्हें रोको मत, क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों का ही है। 17 मैं सच्चाई के साथ तुमसे कहता हूँ कि ऐसा कोई भी जो परमेश्वर के राज्य को एक अबोध बच्चे की तरह ग्रहण नहीं करता, उसमें कभी प्रवेश नहीं पायेगा!”
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