Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
परमेस्सर क स्तुति गीत
12 उ समइ तू कहब्या:
“हे यहोवा, मइँ तोहार गुण गावत हउँ!
तू मोहसे कोहान अहा
किन्तु अब मोहे पइ किरोध जिन करा।
तू मोहे पइ आपन पिरेम देखॉवा।”
2 परमेस्सर मोका बचावत ह।
मोका ओह पइ भरोसा अहइ।
मोका कउनो अउर डर नाहीं अहइ।
उ मोका बचावत ह।
यहोवा ही मोर सक्ति अहइ।
उ मोका बचावत ह, अउर मइँ ओकरे बरे स्तुति गीत गावत हउँ।[a]
3 तू आपन जल मुक्ती क झरना स ग्रहण करा।
तबहिं तू खुस होब्या।
4 फुन तू कहब्या,
“यहोवा क स्तुति करा! ओकरे नाउँ क तू उपासना किया करा।
उ जउन कार्य किहेन ह ओकर लोगन स बखान करा।
तू ओनका बतावा कि उ केतना महान अहइ।”
5 तू यहोवा क स्तुति गावा।
काहेकि उ महान कार्य किहेस ह।
इ सुभ समाचार क जउन परमेस्सर क अहइ, सारी दुनियाँ फइलावा
ताकि सबहिं लोग इ सबइ बातन जान जाएँ।
6 हे सिय्योन क लोगो, आनन्द क साथ खुस रहा,
काहेकि इस्राएल क पवित्तर चीज तोहरे बीच एक सक्तिसाली
मारग क रूप मँ अहइ।
15 सच्चाई चली गइ
अउर उ सबइ लोग लूटे गएन जउन भला करइ चाहत रहेन।
यहोवा हेरे रहा किन्तु कउनो भी,
कहीं भी अच्छाई न मिल पाई।
16 यहोवा हेर लखेस किन्तु ओका कउनो मनई नाहीं मिला जउन लोगन क संग खड़ा होइ
अउर ओनका सहारा देइ।
एह बरे खुद आपन सक्ति क अउर खुद आपन नेकी क प्रयोग किहस
अउर यहोवा लोगन क बचाइ लिहस।
17 यहोवा नेकी क कवच,
उद्धार क सिरस्त्रण (टोप),
दण्ड क वस्त्र,
अउर आपन मज़बूत पिरेम क चोगा पहिरेस।
18 यहोवा आपन दुस्मन पइ कोहान अहइ तउ यहोवा ओनका अइसा दण्ड देइ जइसा ओनका मिलइ चाही।
यहोवा आपन दुस्मनन स कोहान अहइ
तउ यहोवा सबहिं दूर-दूर क देसन क लोगन क सजा देइ।
यहोवा ओनका वइसा दण्ड देइ जइसा ओनका मिलइ चाही।
19 फुन पच्छिम क लोग यहोवा क नाम क आदर देइहीं
अउर पूरब क लोग यहोवा क महिमा स भय विम्हित होइ जइहीं।
यहोवा अइसे ही हाली आइ जाइ जइसे तेज नदी बहत भइ आइ जात ह।
इ उ तेज हवा क रप्तार सा होइ जेका यहोवा उ नदी क तूफान बहावइ बरे पठवत ह।
20 तब सिय्योन पर्वत पइ एक छुड़ावइवाला आइ।
उ याकूब क ओन लोगन क लगे आइ जउन पाप तउ किहे
रहेन, किन्तु जउन परमेस्सर कइँती लउटि आए रहेन।
यहोवा इ सबइ बातन क कहेस।
21 यहोवा कहत ह, “मइँ ओन लोगन क संग एक वाचा करब। मइँ बचन देत हउँ मोर आतिमा अउर मोरे सब्द जेनका मइँ तोहरे मुखे मँ रखत हउँ तोहका कबहुँ नाहीं छोड़िहीं। उ पचे तोर संतानन अउर तोहार बच्चन क बच्चन क संग रहिहीं। उ पचे आजु तोहरे साथ रहिहीं अउर सदा-सदा तोहरे साथ रहिहीं।”
परमेस्सर क राज्य तोहरे भीतर बा
(मत्ती 24:23-28,37-41)
20 एक दाईं जब फरीसियन ईसू स पूछेन, “परमेस्सर क राज्य कब आई?”
तउ उ ओनका जवाब दिहस, “परमेस्सर क राज्य अइसे परगट होइके नाहीं आवत। 21 मनइयन इ न कइहीं, ‘उ हिआँ अहइ!’ या ‘उ हुवाँ अहइ!’ काहेकि परमेस्सर क राज्य तउ तोहरे भीतर ही अहइ।”
22 मुला चेलन उ बोलाएस, “अइसा समइ आइ जब तू मनई क पूत क दिनन मँ स एक दिन क भी तरसब्या मुला, ओका न लख पउब्या। 23 अउर मनइयन तोहसे कइहीं, ‘देखा, हिआँ!’ या ‘देखा, हुवाँ!’ तू हुवाँ जिन जा या ओकर पाछे जिन जा।
जब ईसू लौटी
24 “वइसे ही जइसे बिजुरी चमकिके एक छोर स दूसर छोर मँ चमकत ह, वइसे ही मनई क पूत भी आपन दिन मँ परगट होइ। 25 मुला ओका पहिले बहोत स दारुण दुःख झेलइ क होइ अउर इ पीढ़ी क जरिए उ जरूर ही न मान्न होइ।
26 “वइसे ही जइसे नूह क दिनन मँ भवा रहा, मनई क पूत क दिनन मँ भी होइ। 27 उ दिना तलक जब नूह नाउ मँ बइठा, मनई खात पिअत रहेन, बियाह करत रहेन, अउर बियाह मँ दीन्ह जात रहेन। फिन जल परलइ आइ अउर उ सबन क नास कइ दिहस।
28 “इहइ तरह होइ जइसे लूत क दिना मँ भी भवा रहा। मनइयन खात पिअत रहेन, बेसहत रहेन, बेचत रहेन अउर खेती अउर घर बनवत रहेन। 29 मुला उ दिन जब लूत सदोम स बाहेर निकरा तउ अकास स आगी अउर गंधक बरसइ लाग अउर उ सबइ बर्बाद होइ गएन। 30 उ दिना भी जब मनई क पूत परगट होइ, ठीक अइसे ही होइ।
31 “उ दिन जदि कउनो मनई छते प होइ अउर ओकर सामान घरे क भीतर होइ तउ ओका उठावइ बरे तरखाले न उतरइ। इहइ तरह जदि कउनो मनई खेते मँ होइ तउ उ पाछे न लौटइ। 32 लूत क पत्नी क याद करा,
33 “जउन कउनो आपन जिन्नगी बचावइ क जतन करी, उ ओका खोइ देइ अउर जउन आपन जिन्नगी खोइ, उ ओका बचाइ लेइ। 34 मइँ तोहका बतावत हउँ, उ राति एक खटिया प जउन दुइ मनई होइहीं, ओहमाँ स एक उठाइ लीन्ह जाइ अउर दूसर छोर दीन्ह जाइ। 35 दुइ स्त्रियन एक संग चकरी चलावत होइहीं, ओहमाँ स एक उठाइ लीन्ह जाइ अउर दूसर स्त्री छोर दीन्ह आइ।” 36 [a]
37 फिन ईसू क चेलन ओसे पूछेन, “हे पर्भू, अइसा कहाँ होइ?”
उ ओनसे कहेस, “जहाँ ल्हास पड़ी होइ, गिद्ध भी हुवँइ एकट्ठा होइहीं।”
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.