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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
यशायाह 12

परमेश्वर का स्तुति गीत

12 उस समय तुम कहोगे:
“हे यहोवा, मैं तेरे गुण गाता हूँ!
    तू मुझ से कुपित रहा है
किन्तु अब मुझ पर क्रोध मत कर!
    तू मुझ पर अपना प्रेम दिखा।”
परमेश्वर मेरी रक्षा करता है।
    मुझे उसका भरोसा है।
मुझे कोई भय नहीं है।
    वह मेरी रक्षा करता है।
यहोवा याह मेरी शक्ति है।
    वह मुझको बचाता है, और मैं उसका स्तुति गीत गाता हूँ।

तू अपना जल मुक्ति के झरने से ग्रहण कर।
    तभी तू प्रसन्न होगा।
फिर तू कहेगा, “यहोवा की स्तुति करो!
उसके नाम की तुम उपासना किया करो!
    उसने जो कार्य किये हैं उसका लोगों से बखान करो।
    तुम उनको बताओ कि वह कितना महान है!”
तुम यहोवा के स्तुति गीत गाओ!
    क्यों क्योंकि उसने महान कार्य किये हैं!
इस शुभ समाचार को जो परमेशवर का है,
सारी दुनियाँ में फैलाओ ताकि सभी लोग ये बातें जान जायें।
हे सिय्योन के लोगों, इन सब बातों का तुम उद्घोष करो!
    वह इस्राएल का पवित्र (शक्तिशाली) ढंग से तुम्हारे साथ है।
    इसलिए तुम प्रसन्न हो जाओ!

यशायाह 57:14-21

यहोवा अपने भक्तों की रक्षा करेगा

14 रास्ता साफ कर! रास्ता साफ करो!
    मेरे लोगों के लिये राह को साफ करो!

15 वह जो ऊँचा है और जिसको ऊपर उठाया गया है,
    वह जो अमर है,
वह जिसका नाम पवित्र है,
    वह यह कहता है, “एक ऊँचे और पवित्र स्थान पर रहा करता हूँ,
किन्तु मैं उन लोगों के बीच भी रहता हूँ जो दु:खी और विनम्र हैं।
    ऐसे उन लोगों को मैं नया जीवन दूँगा जो मन से विनम्र हैं।
ऐसे उन लोगों को मैं नया जीवन दूँगा जो मन से विनम्र हैं।
    ऐसे उन लोगों को मैं नया जीवन दूँगा जो हृदय से दु:खी हैं।
16 मैं सदा—सदा ही मुकद्दमा लड़ता रहूँगा।
    सदा—सदा ही मैं तो क्रोधित नहीं रहूँगा।
यदि मैं कुपित ही रहूँ तो मनुष्य की आत्मा यानी वह जीवन जिसे मैंने उनको दिया है,
    मेरे सामने ही मर जायेगा।
17 उन्होंने लालच से हिंसा भरे स्वार्थ साधे थे और उसने मुझको क्रोधित कर दिया था।
    मैंने इस्राएल को दण्ड दिया।
मैंने उसे निकाल दिया क्योंकि मैं उस पर क्रोधित था और इस्राएल ने मुझको त्याग दिया।
    जहाँ कहीं इस्राएल चाहता था, चला गया।
18 मैंने इस्राएल की राहें देख ली थी।
    किन्तु मैं उसे क्षमा (चंगा) करूँगा।
मैं उसे चैन दूँगा और ऐसे वचन बोलूँगा जिस से उसको आराम मिले और मैं उसको राह दिखाऊँगा।
    फिर उसे और उसके लोगों को दु:ख नहीं छू पायेगा।
19 उन लोगों को मैं एक नया शब्द शान्ति सिखाऊँगा।
    मैं उन सभी लोगों को शान्ति दूँगा जो मेरे पास हैं और उन लोगों को जो मुझ से दूर हैं।
मैं उन सभी लोगों को चंगा (क्षमा) करूँगा!”
    ने ये सभी बातें बतायी थी।

20 किन्तु दुष्ट लोग क्रोधित सागर के जैसे होते हैं।
    वे चुप या शांत नहीं रह सकते।
वे क्रोधित रहते हैं और समुद्र की तरह कीचड़ उछालते रहते हैं।
मेरे परमेश्वर का कहना है: 21     “दुष्ट लोगों के लिए कहीं कोई शांति नहीं है।”

रोमियों 1:18-25

सबने पाप किया है

18 उन लोगों को जो सत्य की अधर्म से दबाते हैं, बुरे कर्मों और हर बुराई पर स्वर्ग से परमेश्वर का कोप प्रकट होगा। 19 और ऐसा हो रहा है क्योंकि परमेश्वर के बारे में वे पूरी तरह जानते है क्योंकि परमेश्वर ने इसे उन्हें बताया है।

20 जब से संसार की रचना हुई उसकी अदृश्य विशेषताएँ अनन्त शक्ति और परमेश्वरत्व साफ साफ दिखाई देते हैं क्योंकि उन वस्तुओं से वे पूरी तरह जानी जा सकती हैं, जो परमेश्वर ने रचीं। इसलिए लोगों के पास कोई बहाना नहीं।

21 यद्यपि वे परमेश्वर को जानते है किन्तु वे उसे परमेश्वर के रूप में सम्मान या धन्यवाद नहीं देते। बल्कि वे अपने विचारों में निरर्थक हो गये। और उनके जड़ मन अन्धेरे से भर गये। 22 वे बुद्धिमान होने का दावा करके मूर्ख ही रह गये। 23 और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशवान मनुष्यों, चिड़ियाओं, पशुओं और साँपों से मिलती जुलती मूर्तियों में उन्होंने ढाल दिया।

24 इसलिए परमेश्वर ने उन्हें मन की बुरी इच्छाओं के हाथों सौंप दिया। वे दुराचार में पड़ कर एक दूसरे के शरीरों का अनादर करने लगे। 25 उन्होंने झूठ के साथ परमेश्वर के सत्य का सौदा किया और वे सृष्टि के बनाने वाले को छोड़ कर उसकी बनायी सृष्टि की उपासना सेवा करने लगे। परमेश्वर धन्य है। आमीन।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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