Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
एक ठु स्तुति गीत।
1 यहोवा बरे एक नवा गीत गावा,
काहेकि उ नई अउ अद्भुत बातन क किहस ह।
ओकर पवित्तर दाहिन भुजा
ओकरे बरे फुन बिजय बनाई।
2 यहोवा रास्ट्रन क समन्वा आपन रच्छा क सक्ती क परगट किहेस ह।
उ ओनका आपन बिजय देखाँएस ह।
3 उ इस्राएल पइ आपन पिरेम अउर बिस्सास क स्मरण किहेस ह।
दूर रास्ट्रन क लोग हमरे परमेस्सर क रच्छासक्ती निहारेन।
4 हे धरती क हर मनई, चिचियाइके स्तुति कइके यहोवा क सुआगत करा।
फूट पड़ा! चिचियावा! गावा!
5 वीणन क संग यहोवा बरे गावा।
मधुर स्वर स वीणा बजाइके, ओकर महिमा क स्तुति करा।
6 वीणाओ, यहोवा क गुण गावा।
हे बिगुल के मधुर संगीत ओकर गुण गावा, ओकर महिमा क स्तुति करा।
7 बाँसुरी बजावा अउर नरसिंगन क फूँका।
आनन्द स यहोवा, हमरे राजा क जय जयकार करा।
8 हे सागर अउ धरती,
अउ ओनमाँ क सबइ चिजियन ऊँच सुर मँ गावा।
9 इ यहोवा क समन्वा होइ, काहेकि उ संसार क निआव करइ बरे जात ह।
उ संसार क धार्मिकता स अउर ओकरे लोगन क इमानदारी स निआव करी।
तू यहोवा क समन्वा गावा, काहेकि उ जगत क सासन करइ जात अहइ,
उ जगत क निआउ नेकी अउ सच्चाई स करी।
यहोवा यरूसलेम क आसीर्बाद देइ क प्रतिग्या करत
8 फुन सर्वसक्तीमान यहोवा क बचन मोर लगे आएन अउ कहेन: 2 इ उहइ अहइ जउन सर्वसक्तीमान यहोवा कहत ह: “सिय्योन बरे मोका अत्यधिक जलन भवा। मइँ ओहसे बहोत जियादा जलन करत हउँ।” 3 इ उहइ अहइ जउन यहोवा कहत ह: “मइँ सिय्योन क लगे वापस आवत हउँ अउर मइँ यरूसलेम मँ रहबउँ। यरूसलेम बिस्सास सहर कहा जाइ। मोर पर्वत, पवित्तर पर्वत कहा जाइ।”
4 इ उहइ अहइ जउन सर्वसक्तीमान यहोवा कहत ह: “एक बार फुन एक बूढ़ मनसेधु अउर एक बूढ़ा मेहरारू यरूसलेम क चौराहे पइ बइठब। लोग ऍतनी लम्बी उमर तलक जिअत रइहीं कि ओनके सहारे क छड़ी क जरूरत होइ। 5 सहर क चौराहे लरिकन अउ लड़िकियन स भरा होइ।” 6 इ उहइ अहइ जउन यहोवा सर्वसक्तीमान कहत ह: “भले ही इ जिअत लोगन क नज़र मँ असम्भव लगे, का एका मोर नज़र मँ भी असम्भव लगइ चाही? यहोवा सर्वसक्तीमान कहत ह।”
7 इ उहइ अहइ जउन सर्वसक्तीमान यहोवा कहत ह, “लखा, मइँ पूरब अउ पच्छिम क देसन स आपन लोगन क बचाउब, 8 अउर मइँ ओनका यरूसलेम मँ रहइ बरे लिआउब। उ पचे मोर लोग होइहीं अउर मइँ ओनकर बढ़िया अउ बिस्सास क जोग्ग परमेस्सर होबउँ।”
9 सर्वसक्तीमान यहोवा कहत ह, “उ जउन इ सब्दन क नबी क मुँहे स सुन्या ह, सक्तीसाली बना! तू पचे उ नबियन स सुने रहा जउन जब सर्वसक्तीमान यहोवा आपन मंदिर क फुन स बनावइ बरे नेवं डाएस। इ मन्दिर सर्वसक्तीमान यहोवा क अहइ। 10 अउर उ समइ क पहिले, हुवाँ लोगन क या जानवर क किराया पइ लेइ बरे धन नाहीं रहा। हुवाँ दुस्मनन क कारण आवागमन सुरच्छित नाहीं रहा। कहेकि उ मइँ रहा जउन एक दूसरे क खिलाफ कइ दिहे रहेउँ। 11 मुला अब मइँ वइसा नाहीं करब जइसा इ बचा भवा लोगन क संग बीते दिना मँ किहे रहेउँ ह,” सर्वसक्तीमान यहोवा इ सबइ कहेस ह।
12 “काहेकि हुवाँ सान्तिपूवर्क खेती-बारी होइहीं। अंगूरे क लता फल देइहीं: भुइँया अच्छी पइदावार देइ, अउ अकास आपन ओस देइहीं। मइँ इ सबहिं चिजियन लोगन क देब जउन जिअत रहब। 13 हे यरूसलेम अउ यहूदा लोग, मइँ तोहका बचाउब। बीते समइ मँ तू लोग जातियन क बीच मँ सराप क उदाहरण बनि ग रहेन। मुला अब मइँ तू लोगन क जातियन क बीच मँ आसीर्बाद क उदाहरण बाउब। जिन डेराअ। सक्तीसाली बना।”
14 फुरइ इ उहइ अहइ जउन सर्वसक्तीमान यहोवा कहत ह: “जब तू सबन क पुरखन मोका कोहाइ दिहन, मइँ ओन पइ विपत्तियन लावइ क जोजना बनाएउँ, अउर मइँ आपन इरादा क न बदलेउँ।” सर्वसक्तीमान यहोवा इ सब कहत ह, 15 “ठीक उहइ तरह, अब मइँ यरूसलेम अउ यहूदा क लोगन बरे नीक करइ क जोजना किहेउँ ह। जिन डेराअ। 16 मुला तू सबन क इ करइ चाही, एक दूसर क संग तोहका सिरफ फुरइ बोलइ चाही: जब तू पचे आपन अदालतन मँ निर्णय ल्या, तउ लोगन क उचित निआव प्रदान करा। 17 अपन हिरदइ मँ दूसर बरे बुरा योजना जिन बनावा अउर लबार प्रतिग्या जिन करा। काहेकि मइँ ओन बातन स घिना करत हउँ।” यहोवा इ सबइ कहेस।
ईसू क साच्छी
19 जवाब देत ईसू ओनसे कहेस, “मइँ तू सब पचन क सच्ची बात बतावत अहउँ कि पूत अपने आप कछू नाहीं कइ सकत। उ तउ केवल उहइ करत ह जउन करत अपने परमपिता क देखत ह। परमपिता जउन कछू करत ह, पूत उहइ करत ह। 20 परमपिता अपने पूत स पिरेम करत ह। अउर उ सब कछू देखाइ देत ह जउन उ करत ह। ओन सब कामन स बड़ी-बड़ी बातन क उ ओका देखाई। तउ तू पचे अचरज करब्या। 21 जइसे परमपिता मरा पूत क उठाइके ओनका नवा जीवन देत ह। वइसे ही भी उन लोगन क जीवन देत ह, जेनका चाहत ह।
22 “परमपिता केहू क निआव नाहीं करत मुला उ निआव करइके अधिकार अपने पूत क दइ दिहे अहइ। 23 जेहसे कि सबहीं मनई क पूत क मान सम्मान करइँ जेहसे कि परमपिता क सबहीं आदर करत हीं। जउन पूत क आदर नाहीं करत परमपिता उ क आदर नाहीं करत जउन ओका पठए अहइ।
24 “मइँ तोहका सच-सच बतावत हउँ जउन मोर बात सुनत ह अउर ओह पइ बिसवास करत ह जउन ओका भेजे अहइ, तउ उ अनन्त जीवन पावत ह। निआव क दंड ओकरे ऊपर नाहीं पड़त। उ मनई मृत्यु स जीवन मँ प्रवेस पाइ जात ह। 25 मइँ तू पचन क बतावत अहउँ कि उ समइ आवइवाला अहइ, हियाँ तक कि आइ चुका अहइ जबहीं कि जउन मरि चुका अहइँ, परमेस्सर क पूत क बचन सुनिहइँ अउर जे ओका सुनि लेहीं उ पचे जी उठिहीं। 26 काहेकि जेहसे परमपिता जीवन क स्त्रोत अहइ, वइसे अपने पूतन क जीवन क स्त्रोत बनाए बाटइ। 27 अउर उ ओका निआव क अधिकार दिहे अहइ। एह बरे कि उ मनई क पूत अहइ।
28 “इ बात प अचरज करइ क जरूरत नाहीं अहइ कि उ समइ आवइवाला अहइ कि जब जउन अपनी अपनी कब्र मँ अहइ, ओकर बचन सुनिहइँ। 29 अउर बाहर आइ जइहइँ। जउन मनई नीक कारज किहे अहइँ उ सबइ पुनरूत्थान पाइ जइहइँ। मुला जउन खराब कारज किहे अहइँ ओनका पुनरूत्थान क बाद दंड दीन्ह जाई।”
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.