Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
त्साधे
137 हे यहोवा, तू भला है
और तेरे नियम खरे हैं।
138 वे नियम उत्तम है जो तूने हमें वाचा में दिये।
हम सचमुच तेरे विधान के भरोसे रह सकते हैं।
139 मेरी तीव्र भावनाएँ मुझे शीघ्र ही नष्ट कर देंगी।
मैं बहुत बेचैन हूँ, क्योंकि मेरे शत्रुओं ने तेरे आदेशों को भूला दिया।
140 हे यहोवा, हमारे पास प्रमाण है,
कि हम तेरे वचन के भरोसे रह सकते हैं, और मुझे इससे प्रेम है।
141 मैं एक तुच्छ व्यक्ति हूँ और लोग मेरा आदर नहीं करते हैं।
किन्तु मैं तेरे आदेशों को भूलता नहीं हूँ।
142 हे यहोवा, तेरी धार्मिकता अनन्त है।
तेरे उपदेशों के भरोसे में रहा जा सकता है।
143 मैं संकट में था, और कठिन समय में था।
किन्तु तेरे आदेश मेरे लिये मित्र से थे।
144 तेरी वाचा नित्य ही उत्तम है।
अपनी वाचा को समझने में मेरी सहायता कर ताकि मैं जी सकूँ।
अच्छी शाखा
14 यह सन्देश यहोवा का है: “मैंने इस्राएल और यहूदा के लोगों को विशेष वचन दिया है। वह समय आ रहा है जब मैं वह करूँगा जिसे करने का वचन मैंने दिया है। 15 उस समय मैं दाऊद के परिवार से एक अच्छी शाखा उत्पन्न करुँगा। वह अच्छी शाखा वह सब करेगी जो देश के लिये अच्छा और उचित होगा। 16 इस शाखा के समय यहूदा के लोगों की रक्षा हो जाएगी। लोग यरूशलेम में सुरक्षित रहेंगे। उस शाखा का नाम ‘यहोवा हमारी धार्मिकता (विजय) हैं।’”
17 यहोवा कहता है, “दाऊद के परिवार का कोई न कोई व्यक्ति सदैव सिंहासन पर बैठेगा और इस्राएल के परिवार पर शासन करेगा 18 और लेवी के परिवार से याजक सदैव होंगे। वे याजक मेरे सामने सदा रहेंगे और मुझे होमबलि, अन्नबलि और बलिभेंट करेंगे।”
19 यहोवा का यह सन्देश यिर्मयाह को मिला। 20 यहोवा कहता है, “मैंने रात और दिन से वाचा की है। मैंने वाचा की कि वह सदैव रहेगी। तुम उस वाचा को बदल नहीं सकते। दिन और रात सदा ठीक समय पर आएंगे। यदि तुम उस वाचा को बदल सकते हो 21 तो तुम दाऊद और लेवी के साथ की गई मेरी वाचा को भी बदल सकते हो। तब दाऊद और लेवी के परिवार के वंशज राजा और पुरोहित नहीं हो सकेंगे। 22 किन्तु मैं अपने सेवक दाऊद को और लेवी के परिवार समूह को अनेक वंशज दूँगा। वे उतने होंगे जितने आकाश में तारे हैं, और आकाश के तारों को कोई गिन नहीं सकता और वे इतने होंगे जितने सागर तट पर बालू के कण होते हैं और उन बालू के कणों को कोई गिन नहीं सकता।”
23 यहोवा का यह सन्देश यिर्मयाह ने प्राप्त किया: 24 “यिर्मयाह, क्या तुमने सुना है कि लोग क्या कह रहे हैं वे लोग कह रहे हैं: ‘यहोवा ने इस्राएल और यहूदा के दो परिवारों को अस्वीकार कर दिया है। यहोवा ने उन लोगों को चुना था, किन्तु अब वह उन्हें राष्ट्र के रूप में भी स्वीकार नहीं करता।’”
25 यहोवा कहता है, “यदि मेरी वाचा दिन और रात के साथ बनी नहीं रहती, और यदि मैं आकाश और पृथ्वी के लिये नियम नहीं बनाता तभी संभव है कि मैं उन लोगों को छोड़ूँ। 26 तभी यह संभव होगा कि मैं याकूब के वंशजों से दूर हट जाऊँ और तभी यह हो सकता है कि मैं दाऊद के वंशजों को इब्राहीम, इसहाक और याकूब के वंशजों पर शासन करने न दूँ। किन्तु दाऊद मेरा सेवक है और मैं उन लोगों पर दया करूँगा और मैं फिर उन लोगों को उनकी धरती पर वापस लौटा लाऊँगा।”
1 परमेश्वर की इच्छा से मसीह यीशु के प्रेरित पौलुस तथा हमारे भाई तिमुथियुस की ओर से कुरिन्थुस परमेश्वर की कलीसिया तथा अखाया के समूचे क्षेत्र के पवित्र जनों के नाम:
2 हमारे परमपिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शांति मिले।
पौलुस का परमेश्वर को धन्यवाद
3 हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमपिता परमेश्वर धन्य है। वह करुणा का स्वामी है और आनन्द का स्रोत है। 4 हमारी हर विपत्ति में वह हमें शांति देता है ताकि हम भी हर प्रकार की विपत्ति में पड़े लोगों को वैसे ही शांति दे सकें, जैसे परमेश्वर ने हमें दी है। 5 क्योंकि जैसे मसीह की यातनाओं में हम सहभागी हैं, वैसे ही मसीह के द्वारा हमारा आनन्द भी तुम्हारे लिये उमड़ रहा है। 6 यदि हम कष्ट उठाते हैं तो वह तुम्हारे आनन्द और उद्धार के लिए है। यदि हम आनन्दित हैं तो वह तुम्हारे आनन्द के लिये है। यह आनन्द उन्हीं यातनाओं को जिन्हें हम भी सह रहे हैं तुम्हें धीरज के साथ सहने को प्रेरित करता है। 7 तुम्हारे बिषय में हमें पूरी आशा है क्योंकि हम जानते हैं कि जैसे हमारे कष्टों को तुम बाँटते हो, वैसे ही हमारे आनन्द में भी तुम्हारा भाग है।
8 हे भाइयो, हम यह चाहते हैं कि तुम उन यातनाओं के बारे में जानो जो हमें एशिया में झेलनी पड़ी थीं। वहाँ हम, हमारी सहनशक्ति की सीमा से कहीं अधिक बोझ के तले दब गये थे। यहाँ तक कि हमें जीने तक की कोई आशा नहीं रह गयी थी। 9 हाँ अपने-अपने मन में हमें ऐसा लगता था जैसे हमें मृत्युदण्ड दिया जा चुका है ताकि हम अपने आप पर और अधिक भरोसा न रख कर उस परमेश्वर पर भरोसा करें जो मरे हुए को भी फिर से जिला देता है। 10 हमें उस भयानक मृत्यु से उसी ने बचाया और हमारी वर्तमान परिस्थितियों में भी वही हमें बचाता रहेगा। हमारी आशा उसी पर टिकी है। वही हमें आगे भी बचाएगा। 11 यदि तुम भी हमारी ओर से प्रार्थना करके सहयोग दोगे तो हमें बहुत से लोगों की प्रार्थनाओं द्वारा परमेश्वर का जो अनुग्रह मिला है, उसके लिये बहुत से लोगों को हमारी ओर से धन्यवाद देने का कारण मिल जायेगा।
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