Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
मन्दिर का आरोहण गीत।
1 पूरे जीवन भर मेरे अनेक शत्रु रहे हैं।
इस्राएल हमें उन शत्रुओं के बारे में बता।
2 सारे जीवन भर मेरे अनेक शत्रु रहे हैं।
किन्तु वे कभी नहीं जीते।
3 उन्होंने मुझे तब तक पीटा जब तक मेरी पीठ पर गहरे घाव नहीं बने।
मेरे बड़े—बड़े और गहरे घाव हो गए थे।
4 किन्तु भले यहोवा ने रस्से काट दिये
और मुझको उन दुष्टों से मुक्त किया।
5 जो सिय्योन से बैर रखते थे, वे लोग पराजित हुए।
उन्होंने लड़ना छोड़ दिया और कहीं भाग गये।
6 वे लोग ऐसे थे, जैसे किसी घर की छत पर की घास
जो उगने से पहले ही मुरझा जाती है।
7 उस घास से कोई श्रमिक अपनी मुट्ठी तक नहीं भर पाता
और वह पूली भर अनाज भी पर्याप्त नहीं होती।
8 ऐसे उन दुष्टों के पास से जो लोग गुजरते हैं।
वे नहीं कहेंगे, “यहोवा तेरा भला करे।”
लोग उनका स्वागत नहीं करेंगे और हम भी नहीं कहेंगे, “तुम्हें यहोवा के नाम पर आशीष देते हैं।”
सिदकिय्याह यिर्मयाह से फिर प्रश्न पूछता है।
14 तब राजा सिदकिय्याह ने किसी को यिर्मयाह नबी को लाने के लिये भेजा। उसने यहोवा के मन्दिर के तीसरे द्वार पर यिर्मयाह की मंगवाया। तब राजा ने कहा, “यिर्मयाह, मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हूँ। मुझसे कुछ भी न छिपाओ, मुझे सब ईमानदारी से बताओ।”
15 यिर्मयाह ने सिदकिय्याह से कहा, “यदि मैं आपको उत्तर दूँगा तो संभव है आप मुझे मार डालें और यदि मैं आपको सलाह भी दूँ तो आप उसे नहीं मानेंगे।”
16 किन्तु राजा सिदकिय्याह ने यिर्मयाह से शपथ खाई। सिदकिय्याह ने यह गुप्त रूप से किया। यह वह है जो सिदकिय्याह ने शपथ ली, “यिर्मयाह जैसा कि यहोवा शाश्वत है, जिसने हमें प्राण और जीवन दिया है यिर्मयाह। मैं तुम्हें मारूँगा नहीं और मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं तुम्हें उन अधिकारियों को नहीं दूँगा जो तुम्हें मार डालना चाहते हैं।”
17 तब यिर्मयाह ने राजा सिदकिय्याह से कहा, “यह वह है जिसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा इस्राएल के लोगों का परमेश्वर कहता है, ‘यदि तुम बाबुल के राजा के अधिकारियों को आत्मसमर्पण करोगे तो तुम्हारा जीवन बच जाएगा और यरूशलेम जलाकर राख नहीं किया जाएगा, तुम और तुम्हारा परिवार जीवित रहेगा। 18 किन्तु यदि तुम बाबुल के राजा के अधिकारियों को आत्मसमर्पण करने से इन्कार करोगे तो यरूशलेम बाबुल सेना को दे दिया जाएगा। वे यरूशलेम को जलाकर राख कर देंगे और तुम स्वयं उनसे बचकर नहीं निकल पाओगे।’”
19 तब राजा सिदकिय्याह ने यिर्मयाह से कहा, “किन्तु मैं यहूदा के उन लोगों से डरता हूँ जो पहले ही बाबुल सेना से जा मिले हैं। मुझे भय है कि सैनिक मुझे यहूदा के उन लोगों को दे देंगे और वे मेरे साथ बुरा व्यवहार करेंगे और चोट पहुँचायेंगे।”
20 किन्तु यिर्मयाह ने उत्तर दिया, “सैनिक तुम्हें यहूदा के उन लोगों को नहीं देंगे। राजा सिदकिय्याह, जो मैं कह रहा हूँ उसे करके, यहोवा की आज्ञा का पालन करो। तब सभी कुछ तुम्हारे भले के लिये होगा और तुम्हारा जीवन बच जाएगा। 21 किन्तु यदि तुम बाबुल की सेना के सामने आत्मसमर्पण करने से इन्कार करते हो तो यहोवा ने मुझे दिखा दिया है कि क्या होगा। यह वह है जो यहोवा ने मुझसे कहा है: 22 वे सभी स्त्रियाँ जो यहूदा के राजमहल में रह गई हैं बाहर लाई जाएंगी। वे बाबुल के राजा के बड़े अधिकारियों के सामने लाई जायेंगी। तुम्हारी स्त्रियाँ एक गीत द्वारा तुम्हारी खिल्ली उड़ाएंगी। जो कुछ स्त्रियाँ कहेंगी वह यह है:
“तुम्हारे अच्छे मित्र तुम्हें गलत राह ले गए
और वे तुमसे अधिक शक्तिशाली थे।
वे ऐसे मित्र थे जिन पर तुम्हारा विश्वास था।
तुम्हारे पाँव कीचड़ में फँसे हैं।
तुम्हारे मित्रों ने तुम्हें छोड़ दिया है।”
23 “तुम्हारी सभी पत्नियाँ और तुम्हारे बच्चे बाहर लाये जाएंगे। वे बाबुल सेना को दे दिये जाएंगे। तुम स्वयं बाबुल की सेना से बचकर नहीं निकल पाओगे। तुम बाबुल के राजा द्वारा पकड़े जाओगे और यरूशलेम जलाकर राख कर दिया जाएगा।”
24 तब सिदकिय्याह ने यिर्मयाह से कहा, “किसी व्यक्ति से यह मत कहना कि मैं तुमसे बातें करता रहा। यदि तुम कहोगे तो तुम मारे जाओगे। 25 वे अधिकारी पता लगा सकते हैं कि मैंने तुमसे बातें कीं। तब वे तुम्हारे पास आएंगे और तुमसे कहेंगे, ‘यिर्मयाह, यह बताओ कि तुमने राजा सिदकिय्याह से क्या कहा और हमें यह बताओ कि राजा सिदकिय्याह ने तुमसे क्या कहा हम लोगों के प्रति ईमानदार रहो और हमें सब कुछ बता दो, नहीं तो हम तुम्हें मार डालेंगे।’ 26 यदि वे तुमसे ऐसा कहें तो उनसे कहना, ‘मैं राजा से प्रार्थना कर रहा था कि वे मुझे योनातान के घर के नीचे कूप—गृह में वापस न भेजें। यदि मुझे वहाँ वापस जाना पड़ा तो मैं मर जाऊँगा।’”
27 ऐसा हुआ कि राजा के वे राजकीय अधिकारी यिर्मयाह से पूछने उसके पास आ गए। अत: यिर्मयाह ने वह सब कहा जिसे कहने का आदेश राजा ने दिया था। तब उन अधिकारियों ने यिर्मयाह को अकेले छोड़ दिया। किसी व्यक्ति को पता न चला कि यिर्मयाह और राजा ने क्या बातें कीं।
28 इस प्रकार यिर्मयाह रक्षकों के संरक्षण में मन्दिर के आँगन में उस दिन तक रहा जिस दिन यरूशलेम पर अधिकार कर लिया गया।
आपसी विवादों का निबटारा
6 क्या तुममें से कोई ऐसा है जो अपने साथी के साथ कोई झगड़ा होने पर परमेश्वर के पवित्र पुरुषों के पास न जा कर अधर्मी लोगों की अदालत में जाने का साहस करता हो? 2 अथवा क्या तुम नहीं जानते कि परमेश्वर के पवित्र पुरुष ही जगत का न्याय करेंगे? और जब तुम्हारे द्वारा सारे संसार का न्याय किया जाना है तो क्या अपनी इन छोटी-छोटी बातों का न्याय करने योग्य तुम नहीं हो? 3 क्या तुम नहीं जानते कि हम स्वर्गदूतों का भी न्याय करेंगे? फिर इस जीवन की इन रोज़मर्राह की छोटी मोटी बातो का तो कहना ही क्या। 4 यदि हर दिन तुम्हारे बीच कोई न कोई विवाद रहता ही है तो क्या न्यायाधीश के रूप में तुम ऐसे व्यक्तियों की नियुक्ति करोगे जिनका कलीसिया में कोई स्थान नहीं है। 5 यह मैं तुमसे इसलिए कह रहा हूँ कि तुम्हें कुछ लाज आये। क्या स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि तुम्हारे बीच कोई ऐसा बुद्धिमान पुरुष है ही नहीं जो अपने मसीही भाइयों के आपसी झगड़े सुलझा सके? 6 क्या एक भाई कभी अपने दूसरे भाई से मुकदमा लड़ता है! और तुम तो अविश्वासियों के सामने ऐसा कर रहे हो।
7 वास्तव में तुम्हारी पराजय तो इसी में हो चुकी कि तुम्हारे बीच आपस में कानूनी मुकदमे हैं। इसके स्थान पर तुम आपस में अन्याय ही क्यों नहीं सह लेते? अपने आपको क्यों नहीं लुट जाने देते। 8 तुम तो स्वयं अन्याय करते हो और अपने ही मसीही भाइयों को लूटते हो!
9 अथवा क्या तुम नहीं जानते कि बुरे लोग परमेश्वर के राज्य का उत्तराधिकार नहीं पायेंगे? अपने आप को मूर्ख मत बनाओ। यौनाचार करने वाले, मूर्ति पूजक, व्यभिचारी, गुदा-भंजन कराने वाले, लौंडेबाज़, 10 लुटेरे, लालची, पियक्कड़, चुगलखोर और ठग परमेश्वर के राज्य के उत्तराधिकारी नहीं होंगे। 11 तुममें से कुछ ऐसे ही थे। किन्तु अब तुम्हें धोया गया और पवित्र कर दिया है। तुम्हें परमेश्वर की सेवा में अर्पित कर दिया गया है। प्रभु यीशु मसीह के नाम और हमारे परमेश्वर के आत्मा के द्वारा उन्हें धर्मी करार दिया जा चुका है।
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