Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
बाबुल में यहूदी बन्दियों के लिये एक पत्र
29 यिर्मयाह ने बाबुल में बन्दी यहूदियों को एक पत्र भेजा। उसने इसे अग्रजों (प्रमुखों), याजकों, नबियों और बाबुल में रहने वाले सभी लोगों को भेजा। ये वे लोग थे जिन्हें नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम में पकड़ा था और बाबुल ले गया था।
4 इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा ये बातें उन सभी लोगों से कहता है जिन्हें बन्दी के रुप में उसने यरूशलेम से बाबुल भेजा था: 5 “घर बनाओ और उनमें रहो। उस देश में बस जाओ। पौधे लगाओ और अपनी उगाई हुई फसल से भोजन प्राप्त करो। 6 विवाह करो तथा पुत्र—पुत्रियाँ पैदा करो। अपने पुत्रों के लिए पत्नियाँ खोजो और अपनी पुत्रियों की शादी करो। यह इसलिये करो जिससे उनके भी लड़के और लड़कियाँ हो बहुत से बच्चे पैदा करो और बाबुल में अपनी संख्या बढ़ाओ। अपनी संख्या मत घटाओ। 7 मैं जिस नगर में तुम्हें भेजूँ उसके लिये अच्छा काम करो। जिस नगर में तुम रहो उसके लिये यहोवा से प्रार्थना करो। क्यों क्योंकि यदि उस नगर में शान्ति रहेगी तो तुम्हें भी शान्ति मिलेगी।”
1 हे धरती की हर वस्तु, आनन्द के साथ परमेश्वर की जय बोलो।
2 उसके माहिमामय नाम की स्तुति करों!
उसका आदर उसके स्तुति गीतों से करों!
3 उसके अति अद्भुत कामों से परमेश्वर को बखानों!
हे परमेश्वर, तेरी शक्ति बहुत बड़ी है। तेरे शत्रु झुक जाते और वे तुझसे डरते हैं।
4 जगत के सभी लोग तेरी उपासना करें
और तेरे नाम का हर कोई गुण गायें।
5 तुम उनको देखो जो आश्चर्यपूर्ण काम परमेश्वर ने किये!
वे वस्तुएँ हमको अचरज से भर देती है।
6 परमेश्वर ने धरती सूखी होने को सागर को विवश किया
और उसके आनन्दित जन पैदल महानद को पार कर गये।
7 परमेश्वर अपनी महाशक्ति से इस संसार का शासन करता है।
परमेश्वर हर कहीं लोगों पर दृष्टि रखता है।
कोई भी व्यक्ति उसके विरूद्ध नहीं हो सकता।
8 लोगों, हमारे परमेश्वर का गुणगान
तुम ऊँचे स्वर में करो।
9 परमेश्वर ने हमको यह जीवन दिया है।
वह हमारी रक्षा करता है।
10 परमेश्वर ने हमारी परीक्षा ली है। परमेश्वर ने हमें वैसे ही परखा, जैसे लोग आग में डालकर चाँदी परखते हैं।
11 है परमेश्वर, तूने हमें फँदों में फँसने दिया।
तूने हम पर भारी बोझ लाद दिया।
12 तूने हमें शत्रुओं से पैरों तले रौदंवाया।
तूने हमको आग और पानी में से घसीटा।
किन्तु तू फिर भी हमें सुरक्षित स्थान पर ले आया।
8 यीशु मसीह का स्मरण करते रहो जो मरे हुओं में से पुरर्जीवित हो उठा है और जो दाऊद का वंशज है। यही उस सुसमाचार का सार है जिसका मैं उपदेश देता हूँ 9 इसी के लिए मैं यातनाएँ झेलता हूँ। यहाँ तक कि एक अपराधी के समान मुझे जंजीरों से जकड़ दिया गया है। किन्तु परमेश्वर का वचन तो बंधन रहित है। 10 इसी कारण परमेश्वर के चुने हुए लोगों के लिये मैं हर दुःख उठाता रहता हूँ ताकि वे भी मसीह यीशु में प्राप्त होने वाले उद्धार को अनन्त महिमा के साथ प्राप्त कर सकें।
11 यह वचन विश्वास के योग्य है कि:
यदि हम उसके साथ मरे हैं, तो उसी के साथ जीयेंगे,
12 यदि दुःख उठाये हैं तो उसके साथ शासन भी करेंगे।
यदि हम उसको छोड़ेंगे, तो वह भी हमको छोड़ देगा,
13 हम चाहे विश्वास हीन हों पर वह सदा सर्वदा विश्वसनीय रहेगा
क्योंकि वह अपना इन्कार नहीं कर सकता।
स्वीकृत कार्यकर्ता
14 लोगों को इन बातों का ध्यान दिलाते रहो और परमेश्वर को साक्षी करके उन्हें सावधान करते रहो कि वे शब्दों को लेकर लड़ाई झगड़ा न करें। ऐसे लड़ाई झगड़ों से कोई लाभ नहीं होता, बल्कि इन्हें जो सुनते हैं, वे भी नष्ट हो जाते हैं। 15 अपने आप को परमेश्वर द्वारा ग्रहण करने योग्य बनाकर एक ऐसे सेवक के रूप में प्रस्तुत करने का यत्न करते रहो जिससे किसी बात के लिए लज्जित होने की आवश्यकता न हो। और जो परमेश्वर के सत्य वचन का सही ढंग से उपयोग करता हो,
आभारी रहो
11 फिर जब यीशु यरूशलेम जा रहा था तो वह सामरिया और गलील के बीच की सीमा के पास से निकला। 12 जब वह एक गाँव में जा रहा था तभी उसे दस कोढ़ी मिले। वे कुछ दूरी पर खड़े थे। 13 वे ऊँचे स्वर में पुकार कर बोले, “हे यीशु! हे स्वामी! हम पर दया कर!”
14 फिर जब उसने उन्हें देखा तो वह बोला, “जाओ और अपने आप को याजकों को दिखाओ।”
वे अभी जा ही रहे थे कि वे कोढ़ से मुक्त हो गये। 15 किन्तु उनमें से एक ने जब यह देखा कि वह शुद्ध हो गया है, तो वह वापस लौटा और ऊँचे स्वर में परमेश्वर की स्तुति करने लगा। 16 वह मुँह के बल यीशु के चरणों में गिर पड़ा और उसका आभार व्यक्त किया। (और देखो, वह एक सामरी था।) 17 यीशु ने उससे पूछा, “क्या सभी दस के दस कोढ़ से मुक्त नहीं हो गये? फिर वे नौ कहाँ हैं? 18 क्या इस परदेसी को छोड़ कर उनमें से कोई भी परमेश्वर की स्तुति करने वापस नहीं लौटा।” 19 फिर यीशु ने उससे कहा, “खड़ा हो और चला जा, तेरे विश्वास ने तुझे अच्छा किया है।”
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