Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
19 हे यहोवा, तू मेरे दुखिया पन याद कर,
और यह कि कैसा मेरा घर नहीं रहा।
याद कर उस कड़वे पेय को और उस जहर को जो तूने मुझे पीने को दिया था।
20 मुझको तो मेरी सारी यातनाएँ याद हैं
और मैं बहुत ही दु:खी हूँ।
21 किन्तु उसी समय जब मैं सोचता हूँ, तो मुझको आशा होने लगती हैं।
मैं ऐसा सोचा करता हूँ:
22 यहोवा के प्रेम और करुणा का तो अत कभी नहीं होता।
यहोवा की कृपाएं कभी समाप्त नहीं होती।
23 हर सुबह वे नये हो जाते हैं!
हे यहोवा, तेरी सच्चाई महान है!
24 मैं अपने से कहा करता हूँ, “यहोवा मेरे हिस्से में है।
इसी कारण से मैं आशा रखूँगा।”
25 यहोवा उनके लिये उत्तम है जो उसकी बाट जोहते हैं।
यहोवा उनके लिये उत्तम है जो उसकी खोज में रहा करते हैं।
26 यह उत्तम है कि कोई व्यक्ति चुपचाप यहोवा की प्रतिक्षा करे कि
वह उसकी रक्षा करेगा।
12 बाबुल के राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक नबूजरदान यरूशलेम आया। नबूकदनेस्सर के राज्यकाल के उन्नीसवें वर्ष के पाँचवें महीने के दसवें दिन यह हुआ। नबूजरदान बाबुल का महत्वपूर्ण अधिनायक था। 13 नबूजरदान ने यहोवा के मन्दिर को जला डाला। उसने राजमहल तथा यरूशलेम के अन्य घरों को भी जला दिया। 14 पूरी कसदी सेना ने यरूशलेम की चाहरदीवारी को तोड़ गिराया। यह सेना उस समय राजा के विशेष रक्षकों के अधिनायक के अधीन थी। 15 अधिनायक नबूजरदान ने अब तक यरूशलेम में बचे लोगों को भी बन्दी बना लिया। वह उन्हें भी ले गया जिन्होंने पहले ही बाबुल के राजा को आत्मसमर्पण कर दिया था। वह उन कुशल कारीगरों को भी ले गया जो यरूशलेम में बचे रह गए थे। 16 किन्तु नबूजरदान ने कुछ अति गरीब लोगों को देश में पीछे छोड़ दिया था। उसने उन लोगों को अंगूर के बागों और खेतों में काम करने के लिए छोड़ा था।
17 कसदी सेना ने मन्दिर के काँसे के स्तम्भों को तोड़ दिया। उन्होंने यहोवा के मन्दिर के काँसे के तालाब और उसके आधार को भी तोड़ा। वे उस सारे काँसे को बाबुल ले गए। 18 बाबुल की सेना इन चीज़ों को भी मन्दिर से ले गई: बर्तन, बेलचे, दीपक जलाने के यन्त्र, बड़े कटोरे, कड़ाहियाँ और काँसे की वे सभी चीज़ें जिनका उपयोग मन्दिर की सेवा में होता था। 19 राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक इन चीजों को ले गया: चिलमची, अंगीठियाँ, बड़े कटोरे, बर्तन, दीपाधार, कड़ाहियाँ और दाखमधु के लिये काम में आने वाले पड़े प्याले। वह उन सभी चीज़ों को जो सोने और चाँदी की बनी थीं, ले गया। 20 दो स्तम्भ सागर तथा उसके नीचे के बारह काँसे के बैल तथा सरकने वाले आधार बहुत भारी थे। राजा सुलैमान ने यहोवा के मन्दिर के लिये ये चीज़ें बनायी थी। वह काँसा जिससे वे चीज़ें बनी थीं, इतना भारी था कि तौला नहीं जा सकता था।
21 काँसे का हर एक स्तम्भ अट्ठारह हाथ ऊँचा था। हर एक स्तम्भ बारह हाथपरिधि वाला था। हर एक स्तम्भ खोखला था। हर एक स्तम्भ की दीवार चार ईंच मोटी थी। 22 पहले स्तम्भ के ऊपर जो काँसे का शीर्ष था वह पाँच हाथ ऊँचा था। यह चारों ओर जाल के अलंकरण और काँसे के अनार से सजा था। अन्य स्तम्भों पर भी अनार थे। यह पहले स्तम्भ की तरह था। 23 स्तम्भों की बगल में छियानवे अनार थे। स्तम्भों के चारों ओर बने जाल के अलंकार पर सब मिला कर सौ अनार थे।
24 राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक सरायाह और सपन्याह को बन्दी के रूप में ले गया। सरायाह महायाजक था और सपन्याह उससे दूसरा। तीन चौकीदार भी बन्दी बनाए गए। 25 राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक लड़ने वाले व्यक्तियों के अधीक्षक को भी ले गया। उसने राजा के सात सलाहकारों को भी बन्दी बनाया। वे लोग उस समय तक यरूशलेम में थे। उसने उस शास्त्री को भी लिया जो व्यक्तियों को सेना में रखने का अधिकारी था और उसने साठ साधारण व्यक्तियों को लिया जो तब तक नगर में थे। 26-27 अधिनायक नबूजरदान ने उन सभी अधिकारियों को लिया। वह उन्हें बाबुल के राजा के सामने लाया। बाबुल का राजा रिबला नगर में था। रिबला हमात देश में है। वहाँ उस रिबला नगर में राजा ने उन अधिकारियों को मार डालने का आदेश दिया।
इस प्रकार यहूदा के लोग अपने देश से ले जाए गए। 28 इस प्रकार नबूकदनेस्सर बहुत से लोगों को बन्दी बनाकर ले गया।
राजा नबूकदनेस्सर के शासन के सातवें वर्ष में:
यहूदा के तीन हज़ार तेईस पुरुष।
29 नबूकदनेस्सर के शासन के अट्ठारहवें वर्ष में: यरूशलेम से आठ सौ बत्तीस लोग।
30 नबूकदनेस्सर के शासन के तेईसवें वर्ष में: नबूजरदान ने यहूदा के सात सौ पैंतालीस व्यक्ति बन्दी बनाए। नबूजरदान राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक था।
सब मिलाकर चार हज़ार छ: सौ लोग बन्दी बनाए गए थे।
पिरगमुन की कलीसिया को मसीह का सन्देश
12 “पिरगमुन की कलीसिया के स्वर्गदूत को यह लिख:
“वह जो तेज दोधारी तलवार को धारण करता है, इस प्रकार कहता है:
13 “मैं जानता हूँ तू कहाँ रह रहा है। तू वहाँ रह रहा है जहाँ शैतान का सिंहासन है और मैं यह भी जानता हूँ कि तू मेरे नाम को थामे हुए है तथा तूने मेरे प्रति अपने विश्वास को कभी नहीं नकारा है। तुम्हारे उस नगर में जहाँ शैतान का निवास है, मेरा विश्वासपूर्ण साक्षी अन्तिपास मार दिया गया था।
14 “कुछ भी हो, मेरे पास तेरे विरोध में कुछ बातें हैं। तेरे यहाँ कुछ ऐसे लोग भी हैं जो बिलाम की सीख पर चलते हैं। उसने बालाक को सिखाया था कि वह इस्राएल के लोगों को मूर्तियों का चढ़ावा खाने और व्यभिचार करने को प्रोत्साहित करे। 15 इसी प्रकार तेरे यहाँ भी कुछ ऐसे लोग हैं जो नीकुलइयों की सीख पर चलते हैं। 16 इसलिए मन फिरा नहीं तो मैं जल्दी ही तेरे पास आऊँगा और उनके विरोध में उस तलवार से युद्ध करूँगा जो मेरे मुख से निकलती है।
17 “जो सुन सकता है, वह सुने कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कह रहा है!
“जो विजयी होगा, मैं उसे स्वर्ग में छिपा मन्ना दूँगा। मैं उसे एक श्वेत पत्थर भी दूँगा जिस पर एक नया नाम अंकित होगा। जिसे उसके सिवा और कोई नहीं जानता जिसे वह दिया गया है।
थूआतीरा की कलीसिया को मसीह का सन्देश
18 “थूआतीरा की कलीसिया के स्वर्गदूत के नाम:
“परमेश्वर का पुत्र, जिसके नेत्र धधकती आग के समान हैं, तथा जिसके चरण शुद्ध काँसे के जैसे हैं, इस प्रकार कहता है:
19 “मैं तेरे कर्मों, तेरे विश्वास, तेरी सेवा तथा तेरी धैर्यपूर्ण सहनशक्ति को जानता हूँ। मैं जानता हूँ कि अब तू जितना पहले किया करता था, उससे अधिक कर रहा है। 20 किन्तु मेरे पास तेरे विरोध में यह है: तू इजेबेल नाम की उस स्त्री को सह रहा है जो अपने आपको नबी कहती है। अपनी शिक्षा से वह मेरे सेवकों को व्यभिचार के प्रति तथा मूर्तियों का चढ़ावा खाने को प्रेरित करती है। 21 मैंने उसे मन फिराने का अवसर दिया है किन्तु वह परमेश्वर के प्रति व्यभिचार के लिए मन फिराना नहीं चाहती।
22 “इसलिए अब मैं उसे पीड़ा की शैया पर डालने ही वाला हूँ। तथा उन्हें भी जो उसके साथ व्यभिचार में सम्मिलित हैं। ताकि वे उस समय तक गहन पीड़ा का अनुभव करते रहें जब तक वे उसके साथ किए अपने बुरे कर्मों के लिए मन न फिरावें। 23 मैं महामारी से उसके बच्चों को मार डालूँगा और सभी कलीसियाओं को यह पता चल जाएगा कि मैं वही हूँ जो लोगों के मन और उनकी बुद्धि को जानता है। मैं तुम सब लोगों को तुम्हारे कर्मो के अनुसार दूँगा।
24 “अब मुझे थूआतीरा के उन शेष लोगों से कुछ कहना है जो इस सीख पर नहीं चलते और जो शैतान के तथा कथित गहन रहस्यों को नहीं जानते। मुझे तुम पर कोई और बोझ नहीं डालना है। 25 किन्तु जो तुम्हारे पास है, उस पर मेरे आने तक चलते रहो।
26 “जो विजय प्राप्त करेगा और जिन बातों का मैंने आदेश दिया है, अंत तक उन पर टिका रहेगा, मैं उन्हें जातियों पर अधिकार दूँगा। 27 तथा वह उन पर लोहे के डण्डे से शासन करेगा। वह उन्हें माटी के भाँड़ों की तरह चूर-चूर कर देगा।[a] 28 यह वही अधिकार है जिसे मैंने अपने परम पिता से पाया है। मैं भी उस व्यक्ति को भोर का तारा दूँगा। 29 जिसके पास कान हैं, वह सुने कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कह रहा है।
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