Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
जाइन्
49 हे यहोवा, अपना वचन याद कर जो तूने मुझको दिया।
वही वचन मुझको आज्ञा दिया करता है।
50 मैं संकट में पड़ा था, और तूने मुझे चैन दिया।
तेरे वचनो ने फिर से मुझे जीने दिया।
51 लोग जो स्वयं को मुझसे उत्तम सोचते हैं, निरन्तर मेरा अपमान कर रहे हैं,
किन्तु हे यहोवा मैंने तेरी शिक्षाओं पर चलना नहीं छोड़ा।
52 मैं सदा तेरे विवेकपूर्ण निर्णयों का ध्यान करता हूँ।
हे यहोवा तेरे विवेकपूर्ण निर्णय से मुझे चैन है।
53 जब मैं ऐसे दुष्ट लोगों को देखता हूँ,
जिन्होंने तेरी शिक्षाओं पर चलना छोड़ा है, तो मुझे क्रोध आता है।
54 तेरी व्यवस्थायें मुझे ऐसी लगती है,
जैसे मेरे घर के गीत।
55 हे यहोवा, रात में मैं तेरे नाम का ध्यान
और तेरी शिक्षाएँ याद रखता हूँ।
56 इसलिए यह होता है कि मैं सावधानी से तेरे आदेशों को पालता हूँ।
परमेश्वर की प्रतिज्ञा
33 यिर्मयाह को दूसरी बार यहोवा का सन्देश मिला। यिर्मयाह अभी भी रक्षक प्रांगण में ताले के अन्दर बन्दी था। 2 “यहोवा ने पृथ्वी को बनाया और उसकी वह रक्षा करता है। उसका नाम यहोवा है। यहोवा कहता है, 3 ‘यहूदा, मुझसे प्रार्थना करो और मैं उसे पूरा करूँगा। मैं तुम्हें महत्वपूर्ण रहस्य बताऊँगा। तुमने उन्हें कभी पहले नहीं सुना है।’ 4 इस्राएल का परमेश्वर यहोवा है। यहोवा यरूशलेम के मकानों और यहूदा के राजाओं के महलों के बारे में यह कहता है। ‘शत्रु उन मकानों को ध्वस्त कर देगा। शत्रु नगर की चहारदीवारियों के ऊपर तक ढाल बनायेगा। शत्रु तलवार का उपयोग करेगा और इन नगरों के लोगों के साथ युद्ध करेगा।’”
5 “‘यरूशलेम के लोगों ने बहुत बुरे काम किये हैं। मैं उन लोगों पर क्रोधित हूँ। मैं उनके विरुद्ध हो गया हूँ। इसलिये वहाँ मैं असंख्य लोगों को मार डालूँगा। बाबुल की सेना यरूशलेम के विरुद्ध लड़ने के लिये आएगी। यरूशलेम के घरों में असंख्य शव होंगे।
6 “‘किन्तु उसके बाद मैं उस नगर में लोगों को स्वस्थ बनाऊँगा। मैं उन लोगों को शान्ति और सुरक्षा का आनन्द लेने दूँगा। 7 मैं इस्राएल और यहूदा में फिर से सब कुछ अच्छा घटित होने दूँगा। मैं उन लोगों को अतीत की तरह शक्तिशाली बनाऊँगा। 8 उन्होंने मेरे विरुद्ध पाप किये, किन्तु मैं उस पाप को धो दूँगा। वे मेरे विरुद्ध लड़े, किन्तु मैं उन्हें क्षमा कर दूँगा। 9 तब यरूशलेम आश्चर्यचकित करने वाला स्थान हो जायेगा। लोग सुखी होंगे और अन्य राष्ट्रों के लोग इसकी प्रशंसा करेंगे। यह उस समय होगा जब लोग यह सुनेंगे कि वहाँ सब अच्छा हो रहा है। वे उन अच्छे कामों को सुनेंगे जिन्हें मैं यरूशलेम के लिये कर रहा हूँ।’
10 “तुम लोग यह कह रहे हो, ‘हमारा देश सूनी मरुभूमि है। वहाँ कोई व्यक्ति या कोई जानवर जीवित नहीं रहे।’ अब यरूशलेम की सड़कों और यहूदा के नगरों में निर्जन शान्ति है। किन्तु वहाँ शीघ्र ही चहल—पहल होगी। 11 वहाँ सुख और आनन्द की किलोलें होंगी। वहाँ वर—वधु की उमंग भरी चुहल होगी। वहाँ यहोवा के मन्दिर में अपनी भेंट लाने वाले की मधुर वाणी होगी। वे लोग कहेंगे, सर्वशक्तिमान यहोवा की स्तुति करो! यहोवा दयालु है! यहोवा की दया सदा बनी रहती है! लोग ये बातें कहेंगे क्योंकि मैं फिर यहूदा के लिये अच्छे काम करुँगा। यह वैसा ही होगा जैसा आरम्भ में था।” ये बातें यहोवा ने कही।
12 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “यह स्थान अब सूना है। यहाँ कोई लोग या जानवर नहीं रह रहें। किन्तु अब यहूदा के सभी नगरों में लोग रहेंगे। वहाँ गडरिये होंगे और चरागाहें होंगी जहाँ वे अपनी रेवड़ों को आराम करने देंगे। 13 गडरिये अपनी भेड़ों को तब गिनते हैं जब भेड़ें उनके आगे चलती हैं। लोग अपनी भेड़ों को पूरे देश में चारों ओर पहाड़ी प्रदेश, पश्चिमी पर्वत चरण, नेगव और यहूदा के सभी नगरों में गिनेंगे।”
एक महत्वपूर्ण प्रश्न
(मरकुस 10:17-31; लूका 18:18-30)
16 वहीं एक व्यक्ति था। वह यीशु के पास आया और बोला, “गुरु अनन्त जीवन पाने के लिए मुझे क्या अच्छा काम करना चाहिये?”
17 यीशु ने उससे कहा, “अच्छा क्या है, इसके बारे में तू मुझसे क्यों पूछ रहा है? क्योंकि अच्छा तो केवल एक ही है! फिर भी यदि तू अनन्त जीवन में प्रवेश करना चाहता है, तो तू आदेशों का पालन कर।”
18 उसने यीशु से पूछा, “कौन से आदेश?”
तब यीशु बोला, “हत्या मत कर। व्यभिचार मत कर। चोरी मत कर। झूठी गवाही मत दे। 19 ‘अपने पिता और अपनी माता का आदर कर’(A) और ‘जैसे तू अपने आप को प्यार करता है, वैसे ही अपने पड़ोसी से भी प्यार कर।’[a]”
20 युवक ने यीशु से पूछा, “मैंने इन सब बातों का पालन किया है। अब मुझ में किस बात की कमी है?”
21 यीशु ने उससे कहा, “यदि तू संपूर्ण बनना चाहता तो जा और जो कुछ तेरे पास है, उसे बेचकर धन गरीबों में बाँट दे ताकि स्वर्ग में तुझे धन मिल सके। फिर आ और मेरे पीछे हो ले!”
22 किन्तु जब उस नौजवान ने यह सुना तो वह दुःखी होकर चला गया क्योंकि वह बहुत धनवान था।
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