Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
जाइन्
49 हे यहोवा, अपना वचन याद कर जो तूने मुझको दिया।
वही वचन मुझको आज्ञा दिया करता है।
50 मैं संकट में पड़ा था, और तूने मुझे चैन दिया।
तेरे वचनो ने फिर से मुझे जीने दिया।
51 लोग जो स्वयं को मुझसे उत्तम सोचते हैं, निरन्तर मेरा अपमान कर रहे हैं,
किन्तु हे यहोवा मैंने तेरी शिक्षाओं पर चलना नहीं छोड़ा।
52 मैं सदा तेरे विवेकपूर्ण निर्णयों का ध्यान करता हूँ।
हे यहोवा तेरे विवेकपूर्ण निर्णय से मुझे चैन है।
53 जब मैं ऐसे दुष्ट लोगों को देखता हूँ,
जिन्होंने तेरी शिक्षाओं पर चलना छोड़ा है, तो मुझे क्रोध आता है।
54 तेरी व्यवस्थायें मुझे ऐसी लगती है,
जैसे मेरे घर के गीत।
55 हे यहोवा, रात में मैं तेरे नाम का ध्यान
और तेरी शिक्षाएँ याद रखता हूँ।
56 इसलिए यह होता है कि मैं सावधानी से तेरे आदेशों को पालता हूँ।
16 नेरिय्याह के पुत्र बारुक को पट्टा देने के बाद मैंने यहोवा से प्रार्थना की। मैंने कहा:
17 “परमेश्वर यहोवा, तूने पृथ्वी और आकाश बनाया। तूने उन्हें अपनी महान शक्ति से बनाया। तेरे लिये कुछ भी करना अति कठिन नहीं है। 18 यहोवा, तू हज़ारों व्यक्तियों का विश्वासपात्र और उन पर दयालु है। किन्तु तू व्यक्तियों को उनके पूर्वजों के पापों के लिए भी दण्ड देता है। महान और शक्तिशाली परमेश्वर, तेरा नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है। 19 हे यहोवा, तू महान कार्यों की योजना बनाता और उन्हें करता है। तू वह सब देखता है जिन्हें लोग करते हैं और उन्हें पुरस्कार देता है जो अच्छे काम करते हैं तथा उन्हें दण्ड देता है जो बुरे काम करते हैं, तू उन्हें वह देता है जिनके वे पात्र हैं। 20 हे यहोवा, तूने मिस्र देश में अत्यन्त प्रभावशाली चमत्कार किया। तूने आज तक भी प्रभावशाली चमत्कार किया है। तूने ये चमत्कार इस्राएल में दिखाया और तूने इन्हें वहाँ भी दिखाये जहाँ कहीं मनुष्य रहते हैं। तू इन चमत्कारों के लिये प्रसिद्ध है। 21 हे यहोवा, तूने प्रभावशाली चमत्कारों का प्रयोग किया और अपने लोग इस्राएल को मिस्र से बाहर ले आया। तूने उन चमत्कारों को करने के लिये अपने शक्तिशाली हाथों का उपयोग किया। तेरी शक्ति आश्चर्यजनक रही!
22 “हे यहोवा, तूने यह धरती इस्राएल के लोगों को दी। यह वही धरती है जिसे तूने उनके पूर्वजों को देने का वचन बहुत पहले दिया था। यह बहुत अच्छी धरती है। यह बहुत सी अच्छी चीज़ों वाली अच्छी धरती है। 23 इस्राएल के लोग इस धरती में आये और उन्होंने इसे अपना बना लिया। किन्तु उन लोगों ने तेरी आज्ञा नहीं मानी। वे तेरे उपदेशों के अनुसार न चले। उन्होंने वह नहीं किया जिसके लिये तूने आदेश दिया। अत: तूने इस्राएल के लोगों पर वे भयंकर विपत्तियाँ ढाई।
24 “अब शत्रु ने नगर पर घेरा डाला है। वे ढाल बना रहे हैं जिससे वे यरूशलेम की चहारदीवारी पर चढ़ सकें और उस पर अधिकार कर लें। अपनी तलवारों का उपयोग करके तथा भूख और भयंकर बीमारी के कारण बाबुल की सेना यरूशलेम नगर को हरायेगी। बाबुल की सेना अब नगर पर आक्रमण कर रही है। यहोवा तूने कहा था कि यह होगा, और अब तू देखता है कि यह घटित हो रहा है।
25 “मेरे स्वामी यहोवा, वे सभी बुरी घटनायें घटित हो रही हैं। किन्तु तू अब मुझसे कह रहा है, ‘यिर्मयाह, चाँदी से खेत खरीदो और खरीद की साक्षी के लिये कुछ लोगों को चुनो।’ तू यह उस समय कह रहा है जब बाबुल की सेना नगर पर अधिकार करने को तैयार है। मैं अपने धन को उस तरह बरबाद क्यों करूँ?”
26 तब यहोवा का सन्देश यिर्मयाह को मिला: 27 “यिर्मयाह, मैं यहोवा हूँ। मैं पृथ्वी के हर एक व्यक्ति का परमेश्वर हूँ। यिर्मयाह, तुम जानते हो कि मेरे लिये कुछ भी असंभव नहीं है।” 28 यहोवा ने यह भी कहा, “मैं शीघ्र ही यरूशलेम नगर को बाबुल की सेना और बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को दे दूँगा। वह सेना नगर पर अधिकार कर लेगी। 29 बाबुल की सेना पहले से ही यरूशलेम नगर पर आक्रमण कर रही है। वे शीघ्र ही नगर में प्रवेश करेंगे और आग लगा देंगे। वे इस नगर को जला कर राख कर देंगे। इस नगर में ऐसे मकान हैं जिनमें यरूशलेम के लोगों ने असत्य देवता बाल को छतों पर बलि भेंट दे कर मुझे क्रोधित किया है और लोगों ने अन्य देवमूर्तियों को मदिरा भेंट चढ़ाई। बाबुल की सेना उन मकानों को जला देगी। 30 मैंने इस्राएल और यहूदा के लोगों पर नजर रखी है। वे जो कुछ करते हैं, बुरा है। वे तब से बुरा कर रहे हैं जब से वे युवा थे। इस्राएल के लोगों ने मुझे बहुत क्रोधित किया। उन्होंने मुझे क्रोधित किया क्योंकि उन्होंने उन देवमूर्तियों की पूजा की जिन्हें उन्होंने अपने हाथों से बनाया।” यह सन्देश यहोवा का है। 31 “जब से यरूशलेम नगर बसा तब से अब तक इस नगर के लोगों ने मुझे क्रोधित किया है। इस नगर ने मुझे इतना क्रोधित किया है कि मुझे इसे अपनी नजर के सामने से दूर कर देना चाहिये। 32 यहूदा और इस्राएल के लोगों ने जो बुरा किया है, उसके लिये, मैं यरूशलेम को नष्ट करुँगा। जनसाधारण उनके राजा, प्रमुख, उनके याजक और नबी यहूदा के पुरुष और यरूशलेम के लोग, सभी ने मुझे क्रोधित किया है।
33 “उन लोगों को सहायता के लिये मेरे पास आना चाहिये था। लेकिन उन्होंने मुझसे अपना मुँह मोड़ा। मैंने उन लोगों को बार—बार शिक्षा देनी चाही किन्तु उन्होंने मेरी एक न सुनी। मैंने उन्हें सुधारना चाहा किन्तु उन्होंने अनसुनी की। 34 उन लोगों ने अपनी देवमूर्तियाँ बनाई हैं और मैं उन देवमूर्तियों से घृणा करता हूँ। वे उन देवमूर्तियों को उस मन्दिर में रखते हैं जो मेरे नाम पर है। इस तरह उन्होंने मेरे मन्दिर को अपवित्र किया है।
35 “बेनहिन्नोम की घाटी में उन लोगों ने असत्य देवता बाल के लिये उच्च स्थान बनाए। उन्होंने वे पूजा स्थान अपने पुत्र—पुत्रियों को शिशु बलिभेंट के रूप में जला सकने के लिये बनाए। मैंने उनको कभी ऐसे भयानक काम करने के लिये आदेश नहीं दिये। मैंने यह कभी सोचा तक नहीं कि यहूदा के लोग ऐसा भयंकर पाप करेंगे।
लौदीकिया की कलीसिया को मसीह के सन्देश
14 “लौदीकिया की कलीसिया के स्वर्गदूत को यह लिख:
“जो आमीन[a] है, विश्वासपूर्ण है तथा सच्चा साक्षी है, जो परमेश्वर की सृष्टि का शासक है, इस प्रकार कहता है:
15 “मैं तेरे कर्मों को जानता हूँ और यह भी कि न तो तू शीतल होता है और न गर्म। 16 इसलिए क्योंकि तू गुनगुना है न गर्म और न ही शीतल, मैं तुझे अपने मुख से उगलने जा रहा हूँ। 17 तू कहता है, मैं धनी हो गया हूँ और मुझे किसी वस्तु की आवश्यकता नहीं है किन्तु तुझे पता नहीं है कि तू अभागा है, दयनीय है, दीन है, अंधा है और नंगा है। 18 मैं तुझे सलाह देता हूँ कि तू मुझसे आग में तपाया हुआ सोना मोल ले ले ताकि तू सचमुच धनवान हो जाए। पहनने के लिए श्वेत वस्त्र भी मोल ले ले ताकि तेरी लज्जापूर्ण नग्नता का तमाशा न बने। अपने नेत्रों में आँजने के लिए तू अंजन भी ले ले ताकि तू देख पाए।
19 “उन सभी को जिन्हें मैं प्रेम करता हूँ, मैं डाँटता हूँ और अनुशासित करता हूँ। तो फिर कठिन जतन और मनफिराव कर। 20 सुन, मैं द्वार पर खड़ा हूँ और खटखटा रहा हूँ। यदि कोई मेरी आवाज़ सुनता है और द्वार खोलता है तो मैं उसके घर में प्रवेश करूँगा तथा उसके साथ बैठकर खाना खाऊँगा और वह मेरे साथ बैठकर खाना खाएगा।
21 “जो विजयी होगा मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठने का गौरव प्रदान करूँगा। ठीक वैसे ही जैसे मैं विजयी बनकर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठा हूँ। 22 जो सुन सकता है सुने, कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कह रही है।”
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