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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 106:40-48

40 परमेश्वर अपने उन लोगों पर कुपित हुआ।
    परमेश्वर उनसे तंग आ चुका था!
41 फिर परमेश्वर ने अपने उन लोगों को अन्य जातियों को दे दिया।
    परमेश्वर ने उन पर उनके शत्रुओं का शासन करा दिया।
42 परमेश्वर के जनों के शत्रुओं ने उन पर अधिकार किया
    और उनका जीना बहुत कठिन कर दिया।
43 परमेश्वर ने निज भक्तों को बहुत बार बचाया, किन्तु उन्होंने परमेश्वर से मुख मोड़ लिया।
    और वे ऐसी बातें करने लगे जिन्हें वे करना चाहते थे।
    परमेश्वर के लोगों ने बहुत बहुत बुरी बातें की।
44 किन्तु जब कभी परमेश्वर के जनों पर विपद पड़ी उन्होंने सदा ही सहायाता पाने को परमेश्वर को पुकारा।
    परमेश्वर ने हर बार उनकी प्रार्थनाएँ सुनी।
45 परमेश्वर ने सदा अपनी वाचा को याद रखा।
    परमेश्वर ने अपने महा प्रेम से उनको सदा ही सुख चैन दिया।
46 परमेश्वर के भक्तों को उन अन्य लोगों ने बंदी बना लिया,
    किन्तु परमेश्वर ने उनके मन में उनके लिये दया उपजाई।
47 यहोवा हमारे परमेश्वर, ने हमारी रक्षा की।
    परमेश्वर उन अन्य देशों से हमको एकत्र करके ले आया,
ताकि हम उसके पवित्र नाम का गुण गान कर सके:
    ताकि हम उसके प्रशंसा गीत गा सकें।
48 इस्राएल के परमेश्वर यहोवा को धन्य कहो।
    परमेश्वर सदा ही जीवित रहता आया है। वह सदा ही जीवित रहेगा।
और सब जन बोले, “आमीन।”

यहोवा के गुण गाओ।

यिर्मयाह 9:12-26

12 क्या कोई व्यक्ति ऐसा बुद्धिमान है जो इन बातों को समझ सके क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जिसे यहोवा से शिक्षा मिली है क्या कोई यहोवा के सन्देश की व्य़ाख्य़ा कर सकता है देश क्यों नष्ट हुआ यह एक सूनी मरुभूमि की तरह क्यों कर दिया गया जहाँ कोई भी नहीं जाता 13 यहोवा ने इन प्रश्नों का उत्तर दिया। उसने कहा, “यह इसलिये हुआ कि यहूदा के लोगों ने मेरी शिक्षा पर चलना छोड़ दिया। मैंने उन्हें अपनी शिक्षा दी, किन्तु उन्होंने मेरी सुनने से इन्कार किया। उन्होंने मेरे उपदेशों का अनुसरण नहीं किया। 14 यहूदा के लोग अपनी राह चले, वे हठी रहे। उन्होंने असत्य देवता बाल का अनुसरण किया। उनके पूर्वजों ने उन्हें असत्य देवताओं के अनुसरण करने की शिक्षा दी।”

15 अत: इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “मैं शीघ्र ही यहूदा के लोगों को कड़वा फल चखाऊँगा। मैं उन्हें जहरीला पानी पिलाऊँगा। 16 मैं यहूदा के लोगों को अन्य राष्ट्रों में बिखेर दूँगा। वे अजनबी राष्ट्रों में रहेंगे। उन्होंने और उनके पूर्वजों ने उन देशों को कभी नहीं जाना। मैं तलवार लिये व्यक्तियों को भेंजूँगा। वे लोग यहूदा के लोगों को मार डालेंगे। वे लोगों को तब तक मारते जाएंगे जब तक वे समाप्त नहीं हो जाएंगे।”

17 सर्वशक्तिमान यहोवा जो कहता है, वह यह है:
    “अब इन सबके बारे में सोचो।
अन्त्येष्टि के समय भाड़े पर रोने वाली स्त्रियों को बुलाओ।
    उन स्त्रियों को बुलाओ जो विलाप करने में चतुर हों।”
18 लोग कहते हैं,
    “उन स्त्रियों को जल्दी से आने और हमारे लिये रोने दो,
तब हमारी आँखे आँसू से भरेंगी
    और पानी की धारा हमारी आँखों से फूट पड़ेगी।”
19 “जोर से रोने की आवाजें सिय्योन से सुनी जा रही हैं।
    ‘हम सचमुच बरबाद हो गए। हम सचमुच लज्जित हैं।
हमें अपने देश को छोड़ देना चाहिये,
    क्योंकि हमारे घर नष्ट और बरबाद हो गये हैं।
हमारे घर अब केवल पत्थरों के ढेर हो गये हैं।’”

20 यहूदा की स्त्रियों, अब यहोवा का सन्देश सुनो।
    यहोवा के मुख से निकले शब्दों को सुनने के लिये अपने कान खोल लो।
यहोवा कहता है अपनी पुत्रियों को जोर से रोना सिखाओ।
    हर एक स्त्री को इस शोक गीत को सीख लेना चाहिये:
21 “मृत्यु हमारी खिड़कियों से चढ़कर आ गई है।
    मृत्यु हमारे महलों में घुस गई है।
सड़क पर खेलने वाले हमारे बच्चों की मृत्यु आ गई है।
    सामाजिक स्थानों में मिलने वाले युवकों की मृत्यु हो गई है।”

22 यिर्मयाह कहो, “जो यहोवा कहता है, ‘वह यह है:
मनुष्यों के शव खेतों में गोबर से पड़े रहेंगे।
    उनके शव जमीन पर उस फसल से पड़े रहेंगे जिन्हें किसान ने काट डाला है।
किन्तु उनको इकट्ठा करने वाला कोई नहीं होगा।’”

23 यहोवा कहता है,
    “बुद्धिमान को अपनी बुद्धिमानी की डींग नहीं मारनी चाहिए।
शक्तिशाली को अपने बल का बखान नहीं करना चाहिए।
    सम्पत्तिशाली को अपनी सम्पत्ति की हवा नहीं बांधनी चाहिए।
24 किन्तु यदि कोई डींग मारना ही चाहता है तो उसे इन चीज़ों की डींग मारने दो:
    उसे इस बैंत की डींग मारने दो कि वह मुझे समझता और जानता है।
उसे इस बात की डींग हाँकने दो कि वह यह समझता है कि मैं यहोवा हूँ।
    उसे इस बात की हवा बांधने दो कि मैं कृपालु और न्यायी हूँ।
उसे इस बात का ढींढोरा पीटने दो कि मैं पृथ्वी पर अच्छे काम करता हूँ।
    मुझे इन कामों को करने से प्रेम है।”
यह सन्देश यहोवा का है।

25 वह समय आ रहा है, यह सन्देश यहोवा का है, “जब मैं उन लोगों को दण्ड दूँगा जो केवल शरीर से खतना कराये हैं। 26 मैं मिस्र, यहूदा, एदोम, अम्मोन तथा मोआब के राष्ट्रों और उन सभी लोगों के बारे में बातें कर रहा हूँ जो मरुभूमि में रहते हैं जो दाढ़ी के किनारों के बालों को काटते हैं। उन सभी देशों के लोगों ने अपने शरीर का खतना नहीं करवाया है। किन्तु इस्राएल के परिवार के लोगों ने हृदय से खतना को नहीं ग्रहण किया है, जैसे कि परमेश्वर के लोगों को करना चाहिए।”

प्रेरितों के काम 4:1-12

पतरस और यूहन्ना: यहूदी सभा के सामने

अभी पतरस और यूहन्ना लोगों से बात कर रहे थे कि याजक, मन्दिर के सिपाहियों का मुखिया और कुछ सदूकी उनके पास आये। वे उनसे इस बात पर चिढ़े हुए थे कि पतरस और यूहन्ना लोगों को उपदेश देते हुए यीशु के मरे हुओं में से जी उठने के द्वारा पुनरुत्थान का प्रचार कर रहे थे। सो उन्होंने उन्हें बंदी बना लिया और क्योंकि उस समय साँझ हो चुकी थी, इसलिये अगले दिन तक हिरासत में रख छोड़ा। किन्तु जिन्होंने वह संदेश सुना उनमें से बहुतों ने उस पर विश्वास किया और इस प्रकार उनकी संख्या लगभग पाँच हजार पुरूषों तक जा पहुँची।

अगले दिन उनके नेता, बुजुर्ग और यहूदी धर्मशास्त्री यरूशलेम में इकट्ठे हुए। महायाजक हन्ना, कैफ़ा, यूहन्ना, सिकन्दर और महायाजक के परिवार के सभी लोग भी वहाँ उपस्थित थे। वे इन प्रेरितों को उनके सामने खड़ा करके पूछने लगे, “तुमने किस शक्ति या अधिकार से यह कार्य किया?”

फिर पवित्र आत्मा से भावित होकर पतरस ने उनसे कहा, “हे लोगों के नेताओ और बुजुर्ग नेताओं! यदि आज हमसे एक लँगड़े व्यक्ति के साथ की गयी भलाई के बारे में यह पूछताछ की जा रही है कि वह अच्छा कैसे हो गया 10 तो तुम सब को और इस्राएल के लोगों को यह पता हो जाना चाहिये कि यह काम नासरी यीशु मसीह के नाम से हुआ है जिसे तुमने क्रूस पर चढ़ा दिया और जिसे परमेश्वर ने मरे हुओं में से पुनर्जीवित कर दिया है। उसी के द्वारा पूरी तरह से ठीक हुआ यह व्यक्ति तुम्हारे सामने खड़ा है। 11 यह यीशु वही,

‘वह पत्थर जिसे तुम राजमिस्त्रियों ने नाकारा ठहराया था,
    वही अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पत्थर बन गया है।’(A)

12 किसी भी दूसरे में उद्धार निहित नहीं है। क्योंकि इस आकाश के नीचे लोगों को कोई दूसरा ऐसा नाम नहीं दिया गया है जिसके द्वारा हमारा उद्धार हो पाये।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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