Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
अराधना के बारे म निरदेस
2 सबले पहिली ए अनुरोध करत हंव कि बिनती, पराथना, निबेदन अऊ धनबाद जम्मो मनखे बर करे जावय – 2 राजा अऊ जम्मो ऊंच पद के मनखे बर ए करे जावय, ताकि हमन सांति अऊ सुख के जिनगी भक्ति अऊ पबितरता के संग जीयन। 3 एह बने बात ए अऊ एह हमर उद्धार करइया परमेसर ला भाथे। 4 ओह चाहथे कि जम्मो मनखेमन के उद्धार होवय अऊ ओमन सत के गियान ला जानंय। 5 काबरकि सिरिप एके परमेसर हवय अऊ परमेसर अऊ मनखेमन के बीच म एकेच बिचवई हवय, याने मसीह यीसू, जऊन ह मनखे अय। 6 ओह जम्मो मनखेमन के पाप के छुटकारा खातिर अपन-आप ला दे दीस अऊ ए गवाही ह ठीक समय म दिये गीस। 7 मेंह सच कहत हंव, लबारी नइं मारत हंव। एकरे खातिर, मेंह सुघर संदेस के परचारक, प्रेरित अऊ आनजातमन बर सही बिसवास के एक गुरू ठहिराय गे हवंव।
चतुर परबंधकर्ता के पटंतर
16 यीसू ह अपन चेलामन ला कहिस, “एक धनी मनखे रिहिस। ओह अपन संपत्ति के देख-रेख करे बर एक परबंधकर्ता रखे रिहिस। अऊ ओला ए बताय गीस कि ओकर परबंधकर्ता ह ओकर संपत्ति ला बरबाद करत हवय। 2 एकरसेति ओह अपन परबंधकर्ता ला बलाईस अऊ कहिस, ‘मेंह तोर बारे म ए का सुनत हवंव? अपन काम के हिसाब-किताब मोला दे, काबरकि तेंह अब मोर परबंधकर्ता नइं रह सकस।’
3 परबंधकर्ता ह अपन-आप ले कहिस, ‘अब मेंह का करंव? मोर मालिक ह मोला मोर काम ले छुट्टी करइया हवय। मोर अतकी ताकत नइं ए कि माटी कोड़ सकंव, अऊ भीख मांगे म मोला सरम आथे। 4 अब मेंह समझ गेंव कि मोला का करना चाही, ताकि जब इहां ले मोला काम ले निकार दिये जावय, त मनखेमन अपन घर म मोर सुवागत करंय।’
5 एकरसेति ओह ओ जम्मो मनखेमन ला बलाईस, जऊन मन ओकर मालिक के उधारी लगत रहंय। ओह पहिली मनखे ले पुछिस, ‘तोर ऊपर मोर मालिक के कतेक उधारी हवय?’
6 ओह कहिस, ‘करीब तीन हजार लीटर जैतून के तेल।’
तब परबंधकर्ता ह ओला कहिस, ‘अपन खाता-बही ला लेके बईठ अऊ तुरते एला डेढ़ हजार लीटर लिख दे।’
7 तब ओह दूसरा मनखे ले पुछिस, ‘तोर ऊपर कतेक उधारी हवय?’
ओह कहिस, ‘एक सौ मन गहूं।’
तब परबंधकर्ता ह ओला कहिस, ‘अपन खाता-बही ला ले अऊ एला अस्सी लिख दे।’
8 मालिक ह ओ बेईमान परबंधकर्ता के बड़ई करिस, काबरकि ओह चतुरई ले काम करे रिहिस। अऊ एह सच ए कि ए संसार के मनखेमन अपन मामला के निपटारा करे म परमेसर के मनखेमन ले जादा चतुर अंय। 9 मेंह तुमन ला कहत हंव कि संसारिक धन ले अपन बर संगवारी बना लेवव, ताकि जब ओ धन ह सिरा जावय, त तुम्हर सुवागत सदाकाल के घर म होवय।
10 जऊन ह बहुंत छोटे चीज म ईमानदार रहिथे, ओह बहुंत म घलो ईमानदार रहिही; अऊ जऊन ह बहुंत छोटे चीज म बेईमान ए, ओह बहुंत चीज म घलो बेईमान होही। 11 एकरसेति यदि तुमन संसारिक धन म ईमानदार नइं अव, त तुमन ला स्वरग के सच्चा धन कोन सऊंपही? 12 अऊ यदि तुमन पराय संपत्ति म ईमानदार नइं ठहरेव, त तुम्हर खुद के संपत्ति तुमन ला कोन दिही?
13 एक सेवक दू झन मालिक के सेवा नइं कर सकय। ओह एक झन ले घिन अऊ दूसर ले मया करही, या फेर ओह एक झन के भक्त होही अऊ दूसर झन ला तुछ समझही। तुमन परमेसर अऊ पईसा दूनों के सेवा नइं कर सकव।”
Copyright: New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) Copyright © 2012, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.