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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 14

संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का पद।

मूर्ख अपने मनमें कहता है, “परमेश्वर नहीं है।”
    मूर्ख जन तो ऐसे कार्य करते हैं जो भ्रष्ट और घृणित होते हैं।
    उनमें से कोई भी भले काम नहीं करता है।

यहोवा आकाश से नीचे लोगों को देखता है,
    कि कोई विवेकी जन उसे मिल जाये।
    विवेकी मनुष्य परमेश्वर की ओर सहायता पाने के लिये मुड़ता है।
किन्तु परमेश्वर से मुड़ कर सभी दूर हो गये हैं।
    आपस में मिल कर सभी लोग पापी हो गये हैं।
कोई भी जन अच्छे कर्म नहीं कर रहा है!

मेरे लोगों को दुष्टों ने नष्ट कर दिया है। वे दुर्जन परमेश्वर को नहीं जानते हैं।
    दुष्टों के पास खाने के लिये भरपूर भोजन है।
    ये जन यहोवा की उपासना नहीं करते।
ये दुष्ट मनुष्य निर्धन की सम्मति सुनना नहीं चाहते।
    ऐसा क्यों है? क्योंकि दीन जन तो परमेश्वर पर निर्भर है।
किन्तु दुष्ट लोगों पर भय छा गया है।
    क्यों? क्योंकि परमेश्वर खरे लोगों के साथ है।

सिय्योन पर कौन जो इस्राएल को बचाता है? वह तो यहोवा है,
    जो इस्राएल की रक्षा करता है!
यहोवा के लोगों को दूर ले जाया गया और उन्हें बलपूर्वक बन्दी बनाया गया।
    किन्तु यहोवा अपने भक्तों को वापस छुड़ा लायेगा।
    तब याकूब (इस्राएल) अति प्रसन्न होगा।

यिर्मयाह 4:13-21

13 देखो! शत्रु मेघ की तरह उठ रहा है, उसके रथ चक्रवात के समान है।
    उसके घोड़े उकाब से तेज हैं। यह हम सब के लिये बुरा होगा, हम बरबाद हो जाएंगे।
14 यरूशलेम के लोगों, अपने हृदय से बुराइयों को धो डालो।
    अपने हृदयों को पवित्र करो, जिससे तुम बच सको। बुरी योजनायें मत बनाते चलो।
15 दान देश के दूत की वाणी, जो वह बोलता है, ध्यान से सुनो।
    कोई एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश से बुरी खबर ला रहा है।
16 “इस राष्ट्र को इसका विवरण दो।
    यरूशलेम के लोगों में इस खबर को फैलाओ।
शत्रु दूर देश से आ रहे हैं। वे शत्रु यहूदा के नगरों के विरुद्ध युद्ध—उद्घोष कर रहे हैं।
17 शत्रुओं ने यरूशलेम को ऐसे घेरा है जैसे खेत की रक्षा करने वाले लोग हो।
    यहूदा, तुम मेरे विरुद्ध गए, अत: तुम्हारे विरुद्ध शत्रु आ रहे हैं!” यह सन्देश यहोवा का है!

18 “जिस प्रकार तुम रहे और तुमने पाप किया उसी से तुम पर यह विपत्ति आई।
    यह तुम्हारे पाप ही हैं जिसने जीवन को इतना कठिन बनाया है।
यह तुम्हारा पाप ही है जो उस पीड़ा को लाया जो तुम्हारे हृदय को बेधती है।”

यिर्मयाह का रुंदन

19 आह, मेरा दुःख और मेरी परेशानी मेरे पेट में दर्द कर रही हैं।
    मेरा हृदय धड़क रहा है।
हाय, मैं इतना भयभीत हूँ।
    मेरा हृदय मेरे भीतर तड़प रहा है।
मैं चुप नहीं बैठ सकता। क्यों क्योंकि मैंने तुरही का बजना सुना है।
    तुरही सेना को युद्ध के लिये बुला रही है।
20 ध्वंस के पीछे विध्वंस आता है। पूरा देश नष्ट हो गया है।
    अचानक मेरे डेरे नष्ट कर दिये गये हैं, मेरे परदे फाड़ दिये गए हैं।
21 हे यहोवा, मैं कब तक युद्ध पताकायें देखुँगा युद्ध की तुरही को कितने समय सुनूँगा

यिर्मयाह 4:29-31

29 यहूदा के लोग घुड़सवारों और धनुर्धारियों का उद्घोष सुनेंगे, और लोग भाग जायेंगे।
    कुछ लोग गुफाओं में छिपेंगे कुछ झाड़ियों में तथा कुछ चट्टानों पर चढ़ जाएंगे।
यहूदा के सभी नगर खाली हैं।
    उनमें कोई नहीं रहता।

30 हे यहूदा, तुम नष्ट कर दिये गये हो, तुम क्या कर रहे हो तुम अपने सुन्दरतम लाल वस्त्र क्यों पहनते हो
    तुम अपने सोने के आभूषण क्यों पहने हो तुम अपनी आँखों में अन्जन क्यों लगाते हो।
तुम अपने को सुन्दर बनाते हो, किन्तु यह सब व्यर्थ है।
    तुम्हारे प्रेमी तुमसे घृणा करते हैं, वे मार डालने का प्रयत्न कर रहे हैं।
31 मैं एक चीख सुनता हूँ जो उस स्त्री की चीख की तरह है जो बच्चा जन्म रही हो।
    यह चीख उस स्त्री की तरह है जो प्रथम बच्चे को जन्म रही हो।
यह सिय्योन की पुत्री की चीख है।
    वह अपने हाथ प्रार्थना में यह कहते हुए उठा रही है, “आह! मैं मूर्छित होने वाली हूँ, हत्यारे मेरे चारों ओर हैं!”

यूहन्ना 10:11-21

11 “अच्छा चरवाहा मैं हूँ! अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिये अपनी जान दे देता है। 12 किन्तु किराये का मज़दूर क्योंकि वह चरवाहा नहीं होता, भेड़ें उसकी अपनी नहीं होतीं, जब भेड़िये को आते देखता है, भेडों को छोड़कर भाग जाता है। और भेड़िया उन पर हमला करके उन्हें तितर-बितर कर देता है। 13 किराये का मज़दूर, इसलिये भाग जाता है क्योंकि वह दैनिक मज़दूरी का आदमी है और इसीलिए भेड़ों की परवाह नहीं करता।

14-15 “अच्छा चरवाहा मैं हूँ। अपनी भेड़ों को मैं जानता हूँ और मेरी भेड़ें मुझे वैसे ही जानती हैं जैसे परम पिता मुझे जानता है और मैं परम पिता को जानता हूँ। अपनी भेड़ों के लिए मैं अपना जीवन देता हूँ। 16 मेरी और भेड़ें भी हैं जो इस बाड़े की नहीं हैं। मुझे उन्हें भी लाना होगा। वे भी मेरी आवाज सुनेगीं और इसी बाड़े में आकर एक हो जायेंगी। फिर सबका एक ही चरवाहा होगा। 17 परम पिता मुझसे इसीलिये प्रेम करता है कि मैं अपना जीवन देता हूँ। मैं अपना जीवन देता हूँ ताकि मैं उसे फिर वापस ले सकूँ। इसे मुझसे कोई लेता नहीं है। 18 बल्कि मैं अपने आप अपनी इच्छा से इसे देता हूँ। मुझे इसे देने का अधिकार है। यह आदेश मुझे मेरे परम पिता से मिला है।”

19 इन शब्दों के कारण यहूदी नेताओं में एक और फूट पड़ गयी। 20 बहुत से कहने लगे, “यह पागल हो गया है। इस पर दुष्टात्मा सवार है। तुम इसकी परवाह क्यों करते हो।”

21 दूसरे कहने लगे, “ये शब्द किसी ऐसे व्यक्ति के नहीं हो सकते जिस पर दुष्टात्मा सवार हो। निश्चय ही कोई दुष्टात्मा किसी अंधे को आँखें नहीं दे सकती।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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