Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
1 दूसरे देशों के लोग क्यों इतनी हुल्लड़ मचाते हैं
और लोग व्यर्थ ही क्यों षड़यन्त्र रचते हैं?
2 ऐसे दशों के राजा और नेता यहोवा और उसके चुने हुए राजा
के विरुद्ध होने को आपस में एक हो जाते हैं।
3 वे नेता कहते हैं, “आओ परमेश्वर से और उस राजा से जिसको उसने चुना है, हम सब विद्रोह करें।
आओ उनके बन्धनों को हम उतार फेंके।”
4 किन्तु मेरा स्वामी, स्वर्ग का राजा, उन लोगों पर हँसता है।
5 परमेश्वर क्रोधित है और,
यही उन नेताओं को भयभीत करता है।
6 वह उन से कहता है, “मैंने इस पुरुष को राजा बनने के लिये चुना है,
वह सिय्योन पर्वत पर राज करेगा, सिय्योन मेरा विशेष पर्वत है।”
7 अब मै यहोवा की वाचा के बारे में तुझे बताता हूँ।
यहोवा ने मुझसे कहा था, “आज मैं तेरा पिता बनता हूँ
और तू आज मेरा पुत्र बन गया है।
8 यदि तू मुझसे माँगे, तो इन देशों को मैं तुझे दे दूँगा
और इस धरती के सभी जन तेरे हो जायेंगे।
9 तेरे पास उन देशों को नष्ट करने की वैसी ही शक्ति होगी
जैसे किसी मिट्टी के पात्र को कोई लौह दण्ड से चूर चूर कर दे।”
10 इसलिए, हे राजाओं, तुम बुद्धिमान बनो।
हे शासकों, तुम इस पाठ को सीखो।
11 तुम अति भय से यहोवा की आज्ञा मानों।
12 स्वयं को परमेश्वर के पुत्र का विश्वासपात्र दिखओ।
यदि तुम ऐसा नहीं करते, तो वह क्रोधित होगा और तुम्हें नष्ट कर देगा।
जो लोग यहोवा में आस्था रखते हैं वे आनन्दित रहते हैं, किन्तु अन्य लोगों को सावधान रहना चाहिए।
यहोवा अपना क्रोध बस दिखाने ही वाला है।
यिर्मयाह और पशहूर
20 पशहूर नामक एक व्यक्ति याजक था। वह यहोवा के मन्दिर में उच्चतम अधिकारी था। पशहूर इम्मेर नामक व्यक्ति का पुत्र था। पशहूर ने यिर्मयाह को मन्दिर के आँगन में उन बातों का उपदेश करते सुना। 2 इसलिये उसने यिर्मयाह नबी को पिटवा दिया और उसने यिर्मयाह के हाथ और पैरों को विशाल काष्ठ के लट्ठों के बीच बन्द कर दिया। यह मन्दिर के ऊपरी बिन्यामीन द्वार पर था। 3 अगले दिन पशहूर ने यिर्मयाह को काष्ठ के लट्ठों के बीच से निकाला। तब यिर्मयाह ने पशहूर से कहा, “यहोवा का दिया तुम्हारा नाम पशहूर नहीं है। अब यहोवा की ओर से तुम्हारा नाम सर्वत्र आतंक है। 4 यही तुम्हारा नाम है, क्योंकि यहोवा कहता है, ‘मैं शीघ्र ही तुमको अपने आपके लिये आतंक बनाऊँगा। मैं शीघ्र ही तुम्हें तुम्हारे सभी मित्रों के लिये आतंक बनाऊँगा। तुम शत्रुओं द्वारा अपने मित्रों को तलवार के घाट उतारते देखोगे। मैं यहूदा के सभी लोगों को बाबुल के राजा को दे दूँगा। वह यहूदा के लोगों को बाबुल देश को ले जाएगा और उसकी सेना यहूदा के लोगों को अपनी तलवार के घाट उतारेगी। 5 यहूदा के लोगों ने चीज़ों को बनाने में कठिन परिश्रम किया और धनी हो गए। किन्तु मैं वे सारी चीज़ें उनके शत्रुओं को दे दूँगा। यरूशलेम के राजा के पास बहुत से धन भण्डार हैं। किन्तु मैं उन सभी धन भण्डारों को शत्रु को दें दूँगा। शत्रु उन चीज़ों को लेगा और उन्हें बाबुल देश को ले जाएगा। 6 और पशहूर तुम और तुम्हारे घर में रहने वाले सभी लोग यहाँ से ले जाए जाओगे। तुमको जाने को और बाबुल देश में रहने को विवश किया जायेगा। तुम बाबुल में मरोगे और तुम उस विदेश में दफनाए जाओगे। तुमने अपने मित्रों को झूठा उपदेश दिया। तुमने कहा कि ये घटनायें नहीं घटेंगीं। किन्तु तुम्हारे सभी मित्र भी मरेंगे और बाबुल में दफनाए जायेंगे।’”
यिर्मयाह की पाँचवीं शिकायत
7 हे यहोवा, तूने मुझे धोखा दिया
और मैं निश्चय ही मूर्ख बनाया गया।
तू मुझसे अधिक शक्तिशाली है अत: तू विजयी हुआ।
मैं मजाक बन कर रह गया हूँ।
लोग मुझ पर हँसते हैं
और सारा दिन मेरा मजाक उड़ाते हैं।
8 जब भी मैं बोलता हूँ, चीख पड़ता हूँ।
मैं लगातार हिंसा और तबाही के बारे में चिल्ला रहा हूँ।
मैं लोगों को उस सन्देश के बारे में बताता हूँ
जिसे मैंने यहोवा से प्राप्त किया।
किन्तु लोग केवल मेरा अपमान करते हैं
और मेरा मजाक उड़ाते हैं।
9 कभी—कभी मैं अपने से कहता हूँ:
“मैं यहोवा के बारे में भूल जाऊँगा।
मैं अब आगे यहोवा के नाम पर नहीं बोलूँगा।”
किन्तु यदि मैं ऐसा कहता हूँ तो यहोवा का सन्देश
मेरे भीतर भड़कती ज्वाला सी हो जाती है।
मुझे ऐसा लगता है कि यह अन्दर तक मेरी हड्डियों को जला रही है।
मैं अपने भीतर यहोवा के सन्देश को रोकने के प्रयत्न में थक जाता हूँ
और अन्तत: मैं इसे अपने भीतर रोकने में समर्थ नहीं हो पाता।
10 मैं अनेक लोगों को दबी जुबान अपने विरुद्ध बातें करता सुनता हूँ।
सर्वत्र मैं वह सब सुनता हूँ जो मुझे भयभीत करते हैं।
यहाँ तक कि मेरे मित्र भी मेरे विरुद्ध बातें करते हैं।
चलो हम अधिकारियों को इसके बारे में सूचित करें।
लोग केवल इस प्रतीक्षा में हैं कि मैं कोई गलती करूँ।
वे कह रहे हैं, “आओ हम झूठ बोलें
और कहें कि उसने कुछ बुरे काम किए हैं।
सम्भव है हम यिर्मयाह को धोखा दे सकें।
तब वह हमारे साथ होगा। अन्तत: हम उससे छुटकारा पायेंगे।
तब हम उसे दबोच लेंगे और उससे अपना बदला ले लेंगे।”
11 किन्तु यहोवा मेरे साथ है।
यहोवा एक दृढ़ सैनिक सा है।
अत: जो लोग मेरा पीछा करते हैं, मुँह की खायेंगे।
वे लोग मुझे पराजित नहीं कर सकेंगे।
वे लोग असफल होंगे। वे निराश होंगे।
वे लोग लज्जित होंगे और लोग उस लज्जा को कभी नहीं भूलेंगे।
12 सर्वशक्तिमान यहोवा तू अच्छे लोगों की परीक्षा लेता है।
तू व्यक्ति के दिल और दिमाग को गहराई से देखता है।
मैंने उन व्यक्तियों के विरुद्ध तूझे अनेकों तर्क दिये हैं।
अत: मुझे यह देखना है कि तू उन्हें वह दण्ड देता है
कि नहीं जिनके वे पात्र हैं।
13 यहोवा के लिये गाओ!
यहोवा की स्तुति करो!
यहोवा दीनों के जीवन की रक्षा करता है!
वह उन्हें दुष्ट लोगों की शक्ति से बचाता है!
यिर्मयाह की छठी शिकायत
14 उस दिन को धिक्कार है जिस दिन मेरा जन्म हुआ।
उस दिन को बधाई न दो जिस दिन मैं माँ की कोख में आया।
15 उस व्यक्ति को अभिशाप दो जिसने मेरे पिता को यह सूचना दी कि मेरा जन्म हुआ है।
उसने कहा था, “तुम्हारा लड़का हुआ है, वह एक लड़का है।”
उसने मेरे पिता को बहुत प्रसन्न किया था जब उसने उनसे यह कहा था।
16 उस व्यक्ति को वैसा ही होने दो जैसे वे नगर जिन्हें यहोवा ने नष्ट किया।
यहोवा ने उन नगरों पर कुछ भी दया नहीं की।
उस व्यक्ति को सवेरे युद्ध का उद्घोष सुनने दो,
और दोपहर को युद्ध की चीख सुनने दो।
17 तूने मुझे माँ के पेट में ही, क्यों न मार डाला
तब मेरी माँ की कोख कब्र बन जाती,
और मैं कभी जन्म नहीं ले सका होता।
18 मुझे माँ के पेट से बाहर क्यों आना पड़ा
जो कुछ मैंने पाया है वह परेशानी और दु:ख है
और मेरे जीवन का अन्त लज्जाजनक होगा।
एक धनिक का यीशु से प्रश्न
(मत्ती 19:16-30; मरकुस 10:17-31)
18 फिर किसी यहूदी नेता ने यीशु से पूछा, “हे उत्तम गुरु, अनन्त जीवन का अधिकार पाने के लिये मुझे क्या करना चाहिये?”
19 यीशु ने उससे कहा, “तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? केवल परमेश्वर को छोड़ कर और कोई भी उत्तम नहीं है। 20 तू व्यवस्था के आदेशों को तो जानता है, ‘व्यभिचार मत कर, हत्या मत कर, चोरी मत कर, झूठी गवाही मत दे, अपने पिता और माता का आदर कर।’(A)”
21 वह यहूदी नेता बोला, “मैं इन सब बातों को अपने लड़कपन से ही मानता आया हूँ।”
22 यीशु ने जब यह सुना तो वह उससे बोला, “अभी भी एक बात है जिसकी तुझ में कमी है। तेरे पास जो कुछ है, सब कुछ को बेच डाल और फिर जो मिले, उसे गरीबों में बाँट दे। इससे तुझे स्वर्ग में भण्डार मिलेगा। फिर आ और मेरे पीछे हो ले।” 23 सो जब उस यहूदी नेता ने यह सुना तो वह बहुत दुखी हुआ, क्योंकि उसके पास बहुत सारी सम्पत्ति थी।
24 यीशु ने जब यह देखा कि वह बहुत दुखी है तो उसने कहा, “उन लोगों के लिये जिनके पास धन है, परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर पाना कितना कठिन है! 25 हाँ, किसी ऊँट के लिये सूई के नकुए से निकल जाना तो सम्भव है पर किसी धनिक का परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर पाना असम्भव है।”
उद्धार किसका होगा
26 वे लोग जिन्होंने यह सुना, बोले, “फिर भला उद्धार किसका होगा?”
27 यीशु ने कहा, “वे बातें जो मनुष्य के लिए असम्भव हैं, परमेश्वर के लिए सम्भव हैं।”
28 फिर पतरस ने कहा, “देख, हमारे पास जो कुछ था, तेरे पीछे चलने के लिए हमने वह सब कुछ त्याग दिया है।”
29 तब यीशु उनसे बोला, “मैं सच्चाई के साथ तुमसे कहता हूँ, ऐसा कोई नहीं है जिसने परमेश्वर के राज्य के लिये घर-बार या पत्नी या भाई-बंधु या माता-पिता या संतान का त्याग कर दिया हो, 30 और उसे इसी वर्तमान युग में कई गुणा अधिक न मिले और आने वाले काल में वह अनन्त जीवन को न पा जाये।”
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