Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
“नाश मत कर” धुन पर संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक भक्ति गीत।
1 न्यायाधीशों, तुम पक्षपात रहित नहीं रहे।
तुम लोगों का न्याय निज निर्णयों में निष्पक्ष नहीं करते हो।
2 नहीं, तुम तो केवल बुरी बातें ही सोचते हो।
इस देश में तुम हिंसापुर्ण अपराध करते हो।
3 वे दुष्ट लोग जैसे ही पैदा होते हैं, बुरे कामों को करने लग जाते हैं।
वे पैदा होते ही झूठ बोलने लग जाते हैं।
4 वे उस भयानक साँप और नाग जैसे होते हैं जो सुन नहीं सकता।
वे दुष्ट जन भी अपने कान सत्य से मूंद लेते हैं।
5 बुरे लोगवैसे ही होते हैं जैसे सपेरों के गीतों को
या उनके संगीतों को काला नाग नहीं सुन सकता।
6 हे यहोवा! वे लोग ऐसे होते हैं जैसे सिंह।
इसलिए हे यहोवा, उनके दाँत तोड़।
7 जैसे बहता जल विलुप्त हो जाता है, वैसे ही वे लोग लुप्त हो जायें।
और जैसे राह की उगी दूब कुचल जाती है, वैसे वे भी कुचल जायें।
8 वे घोंघे के समान हो जो चलने में गल जाते।
वे उस शिशु से हो जो मरा ही पैदा हुआ, जिसने दिन का प्रकाश कभी नहीं देखा।
9 वे उस बाड़ के काँटों की तरह शीघ्र ही नष्ट हो,
जो आग पर चढ़ी हाँड़ी गर्माने के लिए शीघ्र जल जाते हैं।
10 जब सज्जन उन लोगों को दण्ड पाते देखता है
जिन्होंने उसके साथ बुर किया है, वह हर्षित होता है।
वह अपना पाँव उन दुष्टों के खून में धोयेगा।
11 जब ऐसा होता है, तो लोग कहने लगते है, “सज्जनों को उनका फल निश्चय मिलता है।
सचमुच परमेश्वर जगत का न्यायकर्ता है!”
3 “यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को तलाक देता है,
और वह पत्नी उसे छोड़ देती है तथा अन्य व्यक्ति से विवाह कर लेती है
तो क्या वह व्यक्ति अपनी पत्नी के पास फिर आ सकता है नहीं!
यदि वह व्यक्ति उस स्त्री के पास लौटेगा तो देश पूरी तरह गन्दा हो जाएगा।
यहूदा, तुमने वेश्या की तरह अनेक प्रेमियों (असत्य देवताओं) के साथ काम किये
और अब तुम मेरे पास लौटना चाहते हो!” यह सन्देश यहोवा का था।
2 “यहूदा, खाली पहाड़ी की चोटी को देखो।
क्या कोई ऐसी जगह है जहाँ तुम्हारा अपने प्रेमियों (असत्य देवताओं) के साथ शारीरिक सम्बन्ध न चला
तुम सड़क के किनारे प्रेमियों की प्रतीक्षा करती बैठी हो।
तुम वहाँ मरुभूमि में प्रतीक्षा करते अरब की तरह बैठी।
तुमने देश को गन्दा किया है!
कैसे तुमने बहुत से बुरे काम किये
और तुम मेरी अभक्त रही।
3 तुमने पाप किये अत: वर्षा नहीं आई!
बसन्त समय की कोई वर्षा नहीं हुई।
किन्तु अभी भी तुम लज्जित होने से इन्कार करती हो।
4 किन्तु अब तुम मुझे बुलाती हो।
‘मेरे पिता, तू मेरे बचपन से मेरे प्रिय मित्र रहा है।’
5 तुमने ये भी कहा,
‘परमेश्वर सदैव मुझ पर क्रोधित नहीं रहेगा।
परमेश्वर का क्रोध सदैव बना नहीं रहेगा।’
“यहूदा, तुम यह सब कुछ कहती हो,
किन्तु तुम उतने ही पाप करती हो जितने तुम कर सकती हो।”
6 उन दिनों जब योशिय्याह यहूदा राष्ट्र पर शासन कर रहा था। यहोवा ने मुझसे बातें की। यहोवा ने कहा, “यिर्मयाह, तुमने उन बुरे कामों को देखा जो इस्राएल ने किये तुमने देखा कि उसने कैसे मेरे साथ विश्वासघात किया। उसने हर एक पहाड़ी के ऊपर और हर एक हरे पेड़ के नीच झूठी मूर्तियों की पूजा करके व्यभिचार करने का पाप किया। 7 मैंने अपने से कहा, ‘इस्राएल मेरे पास तब लौटेगी जब वह इन बुरे कामों को कर चुकेगी।’ किन्तु वह मेरे पास लौटी नहीं और इस्राएल की अविश्वासी बहन यहूदा ने देखा कि उसने क्या किया है 8 इस्राएल विश्वासघातिनी थी और यहूदा जानती थी कि मैंने उसे क्यों दूर हटाया। यहूदा जानती थी कि मैंने उसको इसलिए अस्वीकृत किया कि उसने व्यभिचार का पाप किया था। किन्तु इसने उसकी विश्वासघाती बहन को डराया नहीं। यहूदा डरी नहीं। यहूदा भी निकल गई और उसने वेश्या की तरह काम किया। 9 यहूदा ने यह ध्यान भी नहीं दिया कि वह वेश्या की तरह काम कर रही है। अत: उसने अपने देश को ‘गन्दा’ किया। उसने लकड़ी और पत्थर की बनी देवमूर्तियों की पूजा करके व्यभिचार का पाप किया। 10 इस्राएल की अविश्वासी बहन (यहूदा) अपने पूरे हृदय से मेरे पास नहीं लौटी। उसने केवल बहाना बनाया कि वह मेरे पास लौटी है।” यह सन्देश यहोवा का था।
11 यहोवा ने मुझसे कहा, “इस्राएल मेरी भक्त नहीं रही। किन्तु उसके पास कपटी यहूदा की अपेक्षा अच्छा बहाना था। 12 यिर्मयाह, उत्तर की ओर देखो और यह सन्देश बोलो:
“‘अविश्वासी इस्राएल के लोगों तुम लौटो।’
यह सन्देश यहोवा का था।
‘मैं तुम पर भौहे चढ़ाना छोड़ दूँगा, मैं दयासागर हूँ।’
यह सन्देश यहोवा का था।
‘मैं सदैव तुम पर क्रोधित नहीं रहूँगा।’
13 तुम्हें केवल इतना करना होगा कि तुम अपने पापों को पहचानो।
तुम यहोवा अपने परमेश्वर के विरुद्ध गए, यह तुम्हारा पाप है।
तुमने अन्य राष्ट्रों के लोगों की देव मूर्तियों को अपना प्रेम दिया।
तुमने देव मूर्तियों की पूजा हर एक हरे पेड़ के नीचे की।
तुमने मेरी आज्ञा का पालन नहीं किया।”
यह सन्देश यहोवा का था।
14 “अभक्त लोगों, मेरे पास लौट आओ।” यह सन्देश यहोवा का था। “मैं तुम्हारा स्वामी हूँ। मैं हर एक नगर से एक व्यक्ति लूँगा और हर एक परिवार से दो व्यक्ति और तुम्हें सिय्योन पर लाऊँगा।
1 पौलुस की ओर से जिसे परमेश्वर के चुने हुए लोगों को उनके विश्वास में सहायता देने के लिये और हमारे धर्म की सच्चाई के सम्पूर्ण ज्ञान की रहनुमाई के लिए भेजा गया है; 2 वह मैं ऐसा इसलिए कर रहा हूँ कि परमेश्वर के चुने हुओं को अनन्त जीवन की आस बँधे। परमेश्वर ने, जो कभी झूठ नहीं बोलता, अनादि काल से अनन्त जीवन का वचन दिया है। 3 उचित समय पर परमेश्वर ने अपने सुसमाचार को उपदेशों के द्वारा प्रकट किया। वही सुसन्देश हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की आज्ञा से मुझे सौंपा गया है।
4 हमारे समान विश्वास में मेरे सच्चे पुत्र तीतुस को:
हमारे परमपिता परमेश्वर और उद्धारकर्ता मसीह यीशु की ओर से अनुग्रह और शांति प्राप्त हो।
क्रेते में तीतुस का कार्य
5 मैंने तुझे क्रेते में इसलिए छोड़ा था कि वहाँ जो कुछ अधूरा रह गया है, तू उसे ठीक-ठाक कर दे और मेरे आदेश के अनुसार हर नगर में बुजुर्गों को नियुक्त करे। 6 उसे नियुक्त तभी किया जाये जब वह निर्दोष हो। एक पत्नी व्रती हो। उसके बच्चे विश्वासी हों और अनुशासनहीनता का दोष उन पर न लगाया जा सके। तथा वे निरकुश भी न हों। 7 निरीक्षक को निर्दोष तथा किसी भी बुराई से अछूता होना चाहिए। क्योंकि जिसे परमेश्वर का काम सौंपा गया है, उसे अड़ियल, चिड़चिड़ा और दाखमधु पीने में उसकी रूचि नहीं होनी चाहिए। उसे झगड़ालू, नीच कमाई का लोलुप नहीं होना चाहिए 8 बल्कि उसे तो अतिथियों की आवभगत करने वाला, नेकी को चाहने वाला, विवेकपूर्ण, धर्मी, भक्त तथा अपने पर नियन्त्रण रखने वाला होना चाहिए। 9 उसे उस विश्वास करने योग्य संदेश को दृढ़ता से धारण किये रहना चाहिए जिसकी उसे शिक्षा दी गयी है, ताकि वह लोगों को सद्शिक्षा देकर उन्हें प्रबोधित कर सके। तथा जो इसके विरोधी हों, उनका खण्डन कर सके।
© 1995, 2010 Bible League International