Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
1 हे यहोवा, मुझको तेरा भरोसा है,
इसलिए मैं कभी निराश नहीं होऊँगा।
2 अपनी नेकी से तू मुझको बचायेगा। तू मुझको छुड़ा लेगा।
मेरी सुन। मेरा उद्धार कर।
3 तू मेरा गढ़ बन।
सुरक्षा के लिए ऐसा गढ़ जिसमें मैं दौड़ जाऊँ।
मेरी सुरक्षा के लिए तू आदेश दे, क्योंकि तू ही तो मेरी चट्टान है; मेरा शरणस्थल है।
4 मेरे परमेश्वर, तू मुझको दुष्ट जनों से बचा ले।
तू मुझको क्रूरों कुटिल जनों से छुड़ा ले।
5 मेरे स्वामी, तू मेरी आशा है।
मैं अपने बचपन से ही तेरे भरोसे हूँ।
6 जब मैं अपनी माता के गर्भ में था, तभी से तेरे भरोसे था।
जिस दिन से मैंने जन्म धारण किया, मैं तेरे भरोसे हूँ।
मैं तेरी प्रर्थना सदा करता हूँ।
शत्रु द्वारा यरूशलेम का घेराव
6 “बिन्यामीन के लोगों, अपनी जान लेकर भागो,
यरूशलेम नगर से भाग चलो!
युद्ध की तुरही तकोआ नगर में बजाओ!
बेथक्केरेम नगर में खतरे का झण्डा लगाओ!
ये काम करो क्योंकि उत्तर की ओर से विपत्ति आ रही है।
तुम पर भयंकर विनाश आ रहा है।
2 सिय्योन की पुत्री,
तुम एक सुन्दर चरागाह के समान हो।
3 गडेरिये यरूशलेम आते हैं, और वे अपनी रेवड़ लाते हैं।
वे उसके चारों ओर अपने डेरे डालते हैं।
हर एक गडेरिया अपनी रेवड़ की रक्षा करता है।”
4 “यरूशलेम नगर के विरुद्ध लड़ने के लिये तैयार हो जाओ!
उठो, हम लोग दोपहर को नगर पर आक्रमण करेंगे, किन्तु पहले ही देर हो चुकी है।”
संध्या की छाया लम्बी हो रही है,
5 अत: उठो! हम नगर पर रात में आक्रमण करेंगे!
हम यरूशलेम के दृढ़ रक्षा—साधनों को नष्ट करेंगे।
6 सर्वशक्तिमान यहोवा जो कहता है, वह यही है:
“यरूशलेम के चारों ओर के पेड़ों को काट डालो
और यरूशलेम के विरुद्ध घेरा डालने का टीला बनाओ।
इस नगर को दण्ड मिलना चाहिये।
इस नगर के भीतर दमन करने के अतिरिक्त कुछ नहीं है।
7 जैसे कुँआ अपना पानी स्वच्छ रखता है उसी प्रकार यरूशलेम अपनी दुष्टता को नया बनाये रखता है।
इस नगर में हिंसा और विध्वंस सुना जाता हैं।
मैं सदैव यरूशलेम की बीमारी और चोटों को देख सकता हूँ।
8 यरूशलेम, इस चेतावनी को सुनो।
यदि तुम नहीं सुनोगे तो मैं अपनी पीठ तुम्हारी ओर कर लूँगा।
मैं तुम्हारे प्रदेश को सूनी मरुभूमि कर दूँगा।
कोई भी व्यक्ति वहाँ नहीं रह पायेगा।”
9 सर्वशक्तिमान यहोवा जो कहता है, वह यह है:
“उन इस्राएल के लोगों को इकट्ठा करो जो अपने देश में बच गए थे।
उन्हें इस प्रकार इकट्ठे करो, जैसे तुम अंगूर की बेल से आखिरी अंगूर इकट्ठे करते हो।
अंगूर इकट्ठे करने वाले की तरह हर एक बेल की जाँच करो।”
10 मैं किससे बात करुँ?
मैं किसे चेतावनी दे सकता हूँ?
मेरी कौन सुनेगा?
इस्राएल के लोगों ने अपने कानो को बन्द किया है।
अत: वे मेरी चेतावनी सुन नहीं सकते।
लोग यहोवा की शिक्षा पसन्द नहीं करते।
वे यहोवा का सन्देश सुनना नहीं चाहते।
11 किन्तु मैं (यिर्मयाह) यहोवा के क्रोध से भरा हूँ।
मैं इसे रोकते—रोकते थक गया हूँ।
“सड़क पर खेलते बच्चों पर यहोवा का क्रोध उंडेलो।
एक साथ एकत्रित युवकों पर इसे उंडेलो।
पति और उसकी पत्नी दोनों पकड़े जाएंगे।
बूढ़े और अति बूढ़े लोग पकड़े जाएंगे।
12 उनके घर दूसरे लोगों को दे दिए जाएंगे।
उनके खेत और उनकी पत्नियाँ दूसरों को दे दी जाएंगी।
मैं अपने हाथ उठाऊँगा और यहूदा देश के लोगों को दण्ड दूँगा।”
यह सन्देश यहोवा का था।
13 “इस्राएल के सभी लोग धन और अधिक धन चाहते हैं।
छोटे से लेकर बड़े तक सभी लालची हैं।
यहाँ तक कि याजक और नबी झूठ पर जीते हैं।
14 मेरे लोग बहुत बुरी तरह चोट खाये हुये हैं।
नबी और याजक मेरे लोगों के घाव भरने का प्रयत्न ऐसे करते हैं, मानों वे छोटे से घाव हों।
वे कहते हैं, ‘यह बहुत ठीक है, यह बिल्कुल ठीक है।’
किन्तु यह सचमुच ठीक नहीं हुआ है।
15 नबियों और याजकों को उस पर लज्जित होना चाहिये, जो बुरा वे करते हैं।
किन्तु वे तनिक भी लज्जित नहीं।
वे तो अपने पाप पर संकोच करना तक भी नहीं जानते।
अत: वे अन्य हर एक के साथ दण्डित होंगे।
जब मैं दण्ड दूँगा, वे जमीन पर फेंक दिये जायेंगे।”
यह सन्देश यहोवा का है।
16 यहोवा यह सब कहता है:
“चौराहों पर खड़े होओ और देखो।
पता करो कि पुरानी सड़क कहाँ थी।
पता करो कि अच्छी सड़क कहाँ है, और उस सड़क पर चलो।
यदि तुम ऐसा करोगे, तुम्हें आराम मिलेगा! किन्तु तुम लोगों ने कहा है,
‘हम अच्छी सड़क पर नहीं चलेंगे!’
17 मैंने तुम्हारी चौकसी के लिये चौकीदार चुने!
मैंने उनसे कहा, ‘युद्ध—तुरही की आवाज पर कान रखो।’
किन्तु उन्होंने कहा, ‘हम नहीं सुनेंगे!’
18 अत: तुम सभी राष्ट्रों, उन देशों के तुम सभी लोगों, सुनो ध्यान दो!
वह सब सुनो जो मैं यहूदा के लोगों के साथ करूँगा।
19 पृथ्वी के लोगों, यह सुनो:
मैं यहूदा के लोगों पर विपत्ति ढाने जा रहा हूँ।
क्यों क्योंकि उन लोगों ने सभी बुरे कामों की योजनायें बनाई।
यह होगा क्योंकि उन्होंने मेरे सन्देशों की ओर ध्यान नहीं दिया है।
उन लोगों ने मेरे नियमों का पालन करने से इन्कार किया है।”
3 उसका ध्यान करो जिसने पापियों का ऐसा विरोध इसलिए सहन किया ताकि थक कर तुम्हारा मन हार न मान बैठे।
परमेश्वर, पिता के समान है
4 पाप के विरुद्ध अपने संघर्ष में तुम्हें इतना नहीं लड़ना पड़ा है कि अपना लहू ही बहाना पड़ा हो। 5 तुम उस साहसपूर्ण वचन को भूल गये हो। जो तुम्हेंपुत्र के नाते सम्बोधित है:
“हे मेरे पुत्र, प्रभु के अनुशासन का तिरस्कार मत कर,
उसकी फटकार का बुरा कभी मत मान,
6 क्योंकि प्रभु उनको डाँटता है जिनसे वह प्रेम करता है।
वैसे ही जैसे पिता उस पुत्र को दण्ड देता, जो उसको अति प्रिय है।”(A)
7 कठिनाई को अनुशासन के रूप में सहन करो। परमेश्वर तुम्हारे साथ अपने पुत्र के समान व्यवहार करता है। ऐसा पुत्र कौन होगा जिसे अपने पिता के द्वारा ताड़ना न दी गई हो? 8 यदि तुम्हें वैसे ही ताड़ना नहीं दी गयी है जैसे सबको ताड़ना दी जाती है तो तुम अपने पिता से पैदा हुए पुत्र नहीं हो और सच्ची संतान नहीं हो। 9 और फिर यह भी कि इन सब को वे पिता भी जिन्होंने हमारे शरीर को जन्म दिया है, हमें ताड़ना देते हैं। और इसके लिए हम उन्हें मान देते हैं तो फिर हमें अपनी आत्माओं के पिता के अनुशासन के तो कितना अधिक अधीन रहते हुए जीना चाहिए। 10 हमारे पिताओं ने थोड़े से समय के लिए जैसा उन्होंने उत्तम समझा, हमें ताड़ना दी, किन्तु परमेश्वर हमें हमारी भलाई के लिये ताड़ना दी है, जिससे हम उसकी पवित्रता के सहभागी हो सकें। 11 जिस समय ताड़ना दी जा रही होती है, उस समय ताड़ना अच्छी नहीं लगती, बल्कि वह दुखद लगती है किन्तु कुछ भी हो, वे जो ताड़ना का अनुभव करते हैं, उनके लिए यह आगे चलकर नेकी और शांति का सुफल प्रदान करता है।
चेतावनी: परमेश्वर को नकारो मत
12 इसलिए अपनी दुर्बल बाहों और निर्बल घुटनों को सबल बनाओ। 13 अपने पैरों के लिए मार्ग बना ताकि जो लँगड़ा है, वह अपंग नहीं, वरन चंगा हो जाए।
14 सभी के साथ शांति के साथ रहने और पवित्र होने के लिए हर प्रकार से प्रयत्नशील रहो; बिना पवित्रता के कोई भी प्रभु का दर्शन नहीं कर पायेगा। 15 इस बात का ध्यान रखो कि परमेश्वर के अनुग्रह से कोई भी विमुख न हो जाए और तुम्हें कष्ट पहुँचाने तथा बहुत लोगों को विकृत करने के लिए कोई झगड़े की जड़ न फूट पड़े। 16 देखो कि कोई भी व्यभिचार न करे अथवा उस एसाव के समान परमेश्वर विहीन न हो जाये जिसे सबसे बड़ा पुत्र होने के नाते उत्तराधिकार पाने का अधिकार था किन्तु जिसने उसे बस एक निवाला भर खाना के लिए बेच दिया। 17 जैसा कि तुम जानते ही हो बाद में जब उसने इस वरदान को प्राप्त करना चाहा तो उसे अयोग्य ठहराया गया। यद्यपि उसने रो-रो कर वरदान पाना चाहा किन्तु वह अपने किये का पश्चाताप नहीं कर पाया।
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