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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
यशायाह 5:1-7

इस्राएल परमेश्वर का विशेष उपवन

अब मैं अपने मित्र (परमेश्वर) के लिए गीत गाऊँगा। अपने अंगूर के बगीचे (इस्राएल के लोग) के विषय में यह मेरे मित्र का गीत है।

मेरे मित्र का बहुत उपजाऊ पहाड़ी पर
    एक अंगूर का बगीचा है।
मेरे मित्र ने धरती खोदी और कंकड़ पत्थर हटा कर उसे साफ किया
    और वहाँ पर अंगूर की उत्तम बेलें रोप दीं।
फिर खेत के बीच में
    उसने अंगूर के रस निकालने को कुंड बनाये।
मित्र को आशा थी कि वहाँ उत्तम अंगूर होंगे
    किन्तु वहाँ जो अंगूर लगे थे वे बुरे थे।

सो परमेश्वर ने कहा: “हे यरूशलेम के लोगों, और ओ यहूदा के वासियों,
    मेरे और मेरे अंगूर के बाग के बारे में निर्णय करो।
मैं और क्या अपने अंगूर के बाग के लिये कर सकता था
    मैंने वह सब किया जो कुछ भी मैं कर सकता था।
मुझे उत्तम अंगूरों के लगने की आशा थी
    किन्तु वहाँ अंगूर बुरे ही लगे।
    यह ऐसा क्यों हुआ

“अब मैं तुझको बताऊँगा कि अपने अंगूर के बगीचे के लिये मैं क्या कुछ करुँगा:
वह कंटीली झाड़ी जो खेत की रक्षा करती है मैं उखाड़ दूँगा,
    और उन झाड़ियों को आग में जला दूँगा।
पत्थर का परकोटा तोड़ कर गिरा दूँगा।
    बगीचे को रौंद दिया जायेगा।
अंगूर के बगीचे को मैं खाली खेत में बदल दूँगा।
    कोई भी पौधे की रखवाली नहीं करेगा।
    उस खेत में कोई भी व्यक्ति काम नहीं करेगा।
वहाँ केवल काँटे और खरपतवार उगा करेंगे।
    मैं बादलों को आदेश दूँगा कि वे वहाँ न बरसें।”

सर्वशक्तिशाली यहोवा का अँगूर का बगीचा इस्राएल का राष्ट्र है और अंगूर की बेलें जिन्हें यहोवा प्रेम करता है, यहूदा के लोग हैं।

यहोवा ने न्याय की आशा की थी,
    किन्तु वहाँ हत्या बस रही।
यहोवा ने निष्पक्षता की आशा की,
    किन्तु वहाँ बस सहायता माँगने वालों का रोना रहा जिनके साथ बुरा किया गया था।

भजन संहिता 80:1-2

वाचा की कुमुदिनी धुन पर संगीत निर्देशक के लिये आसाप का एक स्तुति गीता।

हे इस्राएल के चरवाहे, तू मेरी सुन ले।
    तूने यूसुफ के भेड़ों (लोगों) की अगुवाई की।
तू राजा सा करूब पर विराजता है।
    हमको निज दर्शन दे।
हे इस्राएल के चरवाहे, एप्रैम, बिन्यामीन और मनश्शे के सामने तू अपनी महिमा दिखा,
    और हमको बचा ले।

भजन संहिता 80:8-19

प्रचीन काल में, तूने हमें एक अति महत्वपूर्ण पौधे सा समझा।
    तू अपनी दाखलता मिस्र से बाहर लाया।
तूने दूसरे लोगों को यह धरती छोड़ने को विवश किया
    और यहाँ तूने अपनी निज दाखलता रोप दी।
तूने दाखलता रोपने को धरती को तैयार किया, उसकी जड़ों को पक्की करने के लिये तूने सहारा दिया
    और फिर शीघ्र ही दाखलता धरती पर हर कहीं फैल गई।
10 उसने पहाड़ ढक लिया।
    यहाँ तक कि उसके पतों ने विशाल देवदार वृक्ष को भी ढक लिया।
11     इसकी दाखलताएँ भूमध्य सागर तक फैल गई।
    इसकी जड़ परात नदी तक फैल गई।
12 हे परमेश्वर, तूने वे दीवारें क्यों गिरा दी, जो तेरी दाखलता की रक्षा करती थी।
    अब वह हर कोई जो वहाँ से गुजरता है, वहाँ से अंगूर को तोड़ लेते हैं।
13 बनैले सूअर आते हैं, और तेरी दाखलता को रौदते हुए गुजर जाते हैं।
    जंगली पशु आते हैं, और उसकी पत्तियाँ चर जाते हैं।
14 सर्वशक्तिमान परमेश्वर, वापस आ।
    अपनी दाखलता पर स्वर्ग से नीचे देख, और इसकी रक्षा कर।
15 हे परमेश्वर, अपनी उस दाखलता को देख जिसको तूने स्वयं निज हाथों से रोपा था।
    इस बच्चे पौधे को देख जिसे तूने बढ़ाया।
16 तेरी दाखलता को सूखे हुए उपलों सा आग में जलाया गया।
    तू इससे क्रोधित था और तूने उजाड़ दिया।

17 हे परमेश्वर, तू अपना हाथ उस पुत्र पर रख जो तेरे दाहिनी ओर खड़ा है।
    उस पुत्र पर हाथ रख जिसे तूने उठाया।
18 फिर वह कभी तुझको नहीं त्यागेगा।
    तू उसको जीवित रख, और वह तेरे नाम की आराधना करेगा।
19 सर्वशक्तिमान यहोवा परमेश्वर, हमारे पास लौट आ
    हमको अपना ले, और हमारी रक्षा कर।

इब्रानियों 11:29-12:2

29 विश्वास के कारण ही, लोग लाल सागर से ऐसे पार हो गए जैसे वह कोई सूखी धरती हो। किन्तु जब मिस्र के लोगों ने ऐसा करना चाहा तो वे डूब गए।

30 विश्वास के कारण ही, यरिहो का नगर-परकोटा लोगों के सात दिन तक उसके चारों ओर परिक्रमा कर लेने के बाद ढह गया।

31 विश्वास के कारण ही, राहब नाम की वेश्या आज्ञा का उल्लंघन करने वालों के साथ नहीं मारी गयी थी क्योंकि उसने गुप्तचरों का स्वागत सत्कार किया था।

32 अब मैं और अधिक क्या कहूँ। गिदोन, बाराक, शिमशोन, यिफतह, दाऊद, शमुएल तथा उन नबियों की चर्चा करने का मेरे पास समय नहीं है 33 जिन्होंने विश्वास से, राज्यों को जीत लिया, धार्मिकता के कार्य किए तथा परमेश्वर ने जो देने का वचन दिया था, उसे प्राप्त किया। जिन्होंने सिंहों के मुँह बंद कर दिए, 34 लपलपाती लपटों के क्रोध को शांत किया तथा तलवार की धार से बच निकले; जिनकी दुर्बलता ही शक्ति में बदल गई; और युद्ध में जो शक्तिशाली बने तथा जिन्होंने विदेशी सेनाओं को छिन्न-भिन्न कर डाला। 35 स्त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर से जीवित पाया। बहुतों को सताया गया, किन्तु उन्होंने छुटकारा पाने से मना कर दिया ताकि उन्हें एक और अच्छे जीवन में पुनरूत्थान मिल सके। 36 कुछ को उपहासों और कोड़ों का सामना करना पड़ा जबकि कुछ को ज़ंजीरों से जकड़ कर बंदीगृह में डाल दिया गया। 37 कुछ पर पथराव किया गया। उन्हें आरे से चीर कर दो फाँक कर दिया गया, उन्हें तलवार से मौत के घाट उतार दिया गया। वे ग़रीब थे, उन्हें यातनाएँ दी गई और उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया। वे भेड़-बकरियों की खालें ओढ़े इधर-उधर भटकते रहे। 38 यह संसार उनके योग्य नहीं था। वे बियाबानों, और पहाड़ों में घूमते रहे और गुफाओं और धरती में बने बिलों में, छिपते-छिपाते फिरे।

39 अपने विश्वास के कारण ही, इन सब को सराहा गया। फिर भी परमेश्वर को जिसका महान वचन उन्हें दिया था, उसे इनमें से कोई भी नहीं पा सका। 40 परमेश्वर के पास अपनी योजना के अनुसार हमारे लिए कुछ और अधिक उत्तम था जिससे उन्हें भी बस हमारे साथ ही सम्पूर्ण सिद्ध किया जाए।

परमेश्वर अपने पुत्रों को सिधाता है

12 क्योंकि हम साक्षियों की ऐसी इतनी बड़ी भीड़ से घिरे हुए हैं, जो हमें विश्वास का अर्थ क्या है इस की साक्षी देती है। इसलिए आओ बाधा पहुँचाने वाली प्रत्येक वस्तु को और उस पाप को जो सहज में ही हमें उलझा लेता है झटक फेंके और वह दौड़ जो हमें दौड़नी है, आओ धीरज के साथ उसे दौड़ें। हमारे विश्वास के अगुआ और उसे सम्पूर्ण सिद्ध करने वाले यीशु पर आओ हम दृष्टि लगायें। जिसने अपने सामने उपस्थित आनन्द के लिए क्रूस की यातना झेली, उसकी लज्जा की कोई चिंता नहीं की और परमेश्वर के सिंहासन के दाहिने हाथ विराजमान हो गया।

लूका 12:49-56

यीशु के साथ असहमति

(मत्ती 10:34-36)

49 “मैं धरती पर एक आग भड़काने आया हूँ। मेरी कितनी इच्छा है कि वह कदाचित् अभी तक भड़क उठती। 50 मेरे पास एक बपतिस्मा है जो मुझे लेना है जब तक यह पूरा नहीं हो जाता, मैं कितना व्याकुल हूँ। 51 तुम क्या सोचते हो मैं इस धरती पर शान्ति स्थापित करने के लिये आया हूँ? नहीं, मैं तुम्हें बताता हूँ, मैं तो विभाजन करने आया हूँ। 52 क्योंकि अब से आगे एक घर के पाँच आदमी एक दूसरे के विरुद्ध बट जायेंगे। तीन दो के विरोध में और दो तीन के विरोध में हो जायेंगे।

53 पिता, पुत्र के विरोध में,
    और पुत्र, पिता के विरोध में,
माँ, बेटी के विरोध में,
    और बेटी, माँ के विरोध में,
सास, बहू के विरोध में,
    और बहू, सास के विरोध में हो जायेंगी।”

समय की पहचान

(मत्ती 16:2-3)

54 फिर वह भीड़ से बोला, “जब तुम पश्चिम की ओर से किसी बादल को उठते देखते हो तो तत्काल कह उठते हो, ‘वर्षा आ रही है’ और फिर ऐसा ही होता है। 55 और फिर जब दक्षिणी हवा चलती है, तुम कहते हो, ‘गर्मी पड़ेगी’ और ऐसा ही होता है। 56 अरे कपटियों तुम धरती और आकाश के स्वरूपों की व्याख्या करना तो जानते हो, फिर ऐसा क्योंकि तुम वर्तमान समय की व्याख्या करना नहीं जानते?

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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