Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
आसाप के भक्ति गीतों में से एक पद।
1 ईश्वरों के परमेश्वर यहोवा ने कहा है,
पूर्व से पश्चिम तक धरती के सब मनुष्यों को उसने बुलाया।
2 सिय्योन से परमेश्वर की सुन्दरता प्रकाशित हो रही है।
3 हमारा परमेश्वर आ रहा है, और वह चुप नही रहेगा।
उसके सामने जलती ज्वाला है,
उसको एक बड़ा तूफान घेरे हुए है।
4 हमारा परमेश्वर आकाश और धरती को पुकार कर
अपने निज लोगों को न्याय करने बुलाता है।
5 “मेरे अनुयायियों, मेरे पास जुटों।
मेरे उपासकों आओ हमने आपस में एक वाचा किया है।”
6 परमेश्वर न्यायाधीश है,
आकाश उसकी धार्मिकता को घोषित करता है।
7 परमेश्वर कहता है, “सुनों मेरे भक्तों!
इस्राएल के लोगों, मैं तुम्हारे विरूद्ध साक्षी दूँगा।
मैं परमेश्वर हूँ, तुम्हारा परमेश्वर।
8 मुझको तुम्हारी बलियों से शिकायत नहीं।
इस्राएल के लोगों, तुम सदा होमबलियाँ मुझे चढ़ाते रहो। तुम मुझे हर दिन अर्पित करो।
22 तुम लोग परमेश्वर को भूल गये हो।
इसके पहले कि मैं तुम्हे चीर दूँ, अच्छी तरह समझ लो।
जब वैसा होगा कोई भी व्यक्ति तुम्हें बचा नहीं पाएगा!
23 यदि कोई व्यक्ति मेरी स्तुति और धन्यवादों की बलि चढ़ाये, तो वह सचमुच मेरा मान करेगा।
यदि कोई व्यक्ति अपना जीवन बदल डाले तो उसे मैं परमेश्वर की शक्ति दिखाऊँगा जो बचाती है।”
परमेश्वर इस्राएल को दण्ड देगा
8 याकूब (इस्राएल) के लोगों के विरूद्ध मेरे यहोवा ने एक आज्ञा दी। इस्राएल के विरूद्ध दी गयी उस आज्ञा का पालन होगा। 9 तब एप्रैम के हर व्यक्ति को और यहाँ तक कि शोमरोन के मुखियाओं तक को यह पता चल जायेगा कि परमेश्वर ने उन्हें दण्ड दिया था।
आज वे लोग बहुत अभिमानी और बडबोला हैं। वे लोग कहा करते हैं, 10 “हो सकता है ईटें गिर जायें किन्तु हम इसका और अधिक मजबूत पत्थरों से निर्माण लेंगे। सम्भव है छोटे—छोटे पेड़ काट गिराये जायें। किन्तु हम वहाँ नये पेड़ खड़े कर देंगे और ये नये पेड़ विशाल तथा मजबूत पेड़ होंगे।” 11 सो यहोवा लोगों को इस्राएल के विरुद्ध युद्ध करने के लिए उकसाएगा। यहोवा रसीन के शत्रुओं को उनके विरोध ले आयेगा। 12 यहोवा पूर्व से आराम के लोगों को और पश्चिम से पलिश्तियों को लायेगा। वे शत्रु अपनी सेना से इस्राएल को हरा देंगे। किन्तु परमेश्वर इस्राएल से तब कुपित रहेगा। यहोवा तब भी लोगों को दण्ड देने को तत्पर रहेगा।
13 परमेश्वर यद्यपि लोगों को दण्ड देगा, किन्तु वे फिर भी पाप करना नहीं छोंड़ेंगे। वे परमेश्वर की ओर नहीं मुड़ेंगे। वे सर्वशक्तिमान यहोवा का अनुसरण नहीं करेंगे। 14 सो यहोवा इस्राएल का सिर और पूँछ काट देगा। एक ही दिन में यहोवा उसकी शाखा और उसके तने को ले लेगा। 15 (यहाँ सिर का अर्थ है अग्रज तथा महत्वपूर्ण अगुवा लोग और पूँछ से अभिप्राय है ऐसे नबी जो झूठ बोला करते हैं।)
16 वे लोग जो लोगों की अगुवाई करते हैं, उन्हें बुरे मार्ग पर ले जाते हैं। सो ऐसे लोग जो उनके पीछे चलते हैं, नष्ट कर दिये जायेंगे। 17 ये सभी लोग दुष्ट हैं। इसलिये यहोवा इन युवकों से प्रसन्न नहीं है। यहोवा उनकी विधवाओं और उनके अनाथ बच्चों पर दया नहीं करेगा। क्यों क्योंकि ये सभी लोग दुष्ट हैं। ये लोग ऐसे काम करते हैं जो परमेश्वर के विरुद्ध हैं। ये लोग झूठ बोलते हैं।
सो परमेश्वर इन लोगों के प्रति कुपित बना रहेगा और उन्हें दण्ड देता रहेगा।
परमेश्वर और यहूदी लोग
9 मसीह में मैं सच कह रहा हूँ। मैं झूठ नहीं कहता और मेरी चेतना जो पवित्र आत्मा के द्वारा प्रकाशित है, मेरे साथ मेरी साक्षी देती है, 2 कि मुझे गहरा दुःख है और मेरे मन में निरन्तर पीड़ा है। 3 काश मैं चाह सकता कि अपने भाई बहनों और दुनियावी सम्बन्धियों के लिए मैं मसीह का शाप अपने ऊपर ले लेता और उससे अलग हो जाता। 4 जो इस्राएली हैं और जिन्हें परमेश्वर की संपालित संतान होने का अधिकार है, जो परमेश्वर की महिमा का दर्शन कर चुके है, जो परमेश्वर के करार के भागीदार हैं। जिन्हें मूसा की व्यवस्था, सच्ची उपासना और वचन प्रदान किया गया है। 5 पुरखे उन्हीं से सम्बन्ध रखते हैं और मानव शरीर की दृष्टि से मसीह उन्हीं में पैदा हुआ जो सब का परमेश्वर है और सदा धन्य है! आमीन।
6 ऐसा नहीं है कि परमेश्वर ने अपना वचन पूरा नहीं किया है क्योंकि जो इस्राएल के वंशज हैं, वे सभी इस्राएली नहीं है। 7 और न ही इब्राहीम के वंशज होने के कारण वे सब सचमुच इब्राहीम की संतान है। बल्कि जैसा परमेश्वर ने कहा, “तेरे वंशज इसहाक के द्वारा अपनी परम्परा बढ़ाएंगे।”(A) 8 अर्थात यह नहीं है कि प्राकृतिक तौर पर शरीर से पैदा होने वाले बच्चे परमेश्वर के वंशज है, बल्कि परमेश्वर के वचन से प्रेरित होने वाले उसके वंशज माने जाते हैं। 9 वचन इस प्रकार कहा गया था: “निश्चित समय पर मैं लौटूँगा और सारा पुत्रवती होगी।”(B)
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