Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
संगीत निर्देशक के लिए कोरह परिवर का एक भक्ति गीत।
1 हे परमेश्वर, हमने तेरे विषय में सुना है।
हमारे पूर्वजों ने उनके दिनों में जो काम तूने किये थे उनके बारे में हमें बताया।
उन्होंने पुरातन काल में जो तूने किये हैं, उन्हें हमें बाताया।
2 हे परमेस्वर, तूने यह धरती अपनी महाशक्ति से पराए लोगों से ली
और हमको दिया।
उन विदेशी लोगों को तूने कुचल दिय,
और उनको यह धरती छोड़ देने का दबाव डाला।
3 हमारे पूर्वजों ने यह धरती अपने तलवारों के बल नहीं ली थी।
अपने भुजदण्डों के बल पर विजयी नहीं हुए।
यह इसलिए हुआ था क्योंकि तू हमारे पूर्वजों के साथ था।
हे परमेश्वर, तेरी महान शक्ति ने हमारे पूर्वजों की रक्षा की। क्योंकि तू उनसे प्रेम किया करता था!
4 हे मेरे परमेश्वर, तू मेरा राजा है।
तेरे आदेशों से याकूब के लोगों को विजय मिली।
5 हे मेरे परमेश्वर, तेरी सहायता से, हमने तेरा नाम लेकर अपने शत्रुओं को धकेल दिया
और हमने अपने शत्रु को कुचल दिया।
6 मुझे अपने धनुष और बाणों पर भरोसा नहीं।
मेरी तलवार मुझे बचा नहीं सकती।
7 हे परमेश्वर, तूने ही हमें मिस्र से बचाया।
तूने हमारे शत्रुओं को लज्जित किया।
8 हर दिन हम परमेश्वर के गुण गाएंगे।
हम तेरे नाम की स्तुति सदा करेंगे।
9 किन्तु, हे यहोवा, तूने हमें क्यों बिसरा दिया? तूने हमको गहन लज्जा में डाला।
हमारे साथ तू युद्ध में नहीं आया।
10 तूने हमें हमारे शत्रुओं को पीछे धकेलने दिया।
हमारे शत्रु हमारे धन वैभव छीन ले गये।
11 तूने हमें उस भेड़ की तरह छोड़ा जो भोजन के समान खाने को होती है।
तूने हमें राष्ट्रो के बीच बिखराया।
12 हे परमेश्वर, तूने अपने जनों को यूँ ही बेच दिया,
और उनके मूल्य पर भाव ताव भी नहीं किया।
13 तूने हमें हमारे पड़ोसियों में हँसी का पात्र बनाया।
हमारे पड़ोसी हमारा उपहास करते हैं, और हमारी मजाक बनाते हैं।
14 लोग हमारी भी काथा उपहास कथाओं में कहते हैं।
यहाँ तक कि वे लोग जिनका आपना कोई राष्ट्र नहीं है, अपना सिर हिला कर हमारा उपहास करते हैं।
15 मैं लज्जा में डूबा हूँ।
मैं सारे दिन भर निज लज्जा देखता रहता हूँ।
16 मेरे शत्रु ने मुझे लज्जित किया है।
मेरी हँसी उड़ाते हुए मेरा शत्रु, अपना प्रतिशोध चाहता हैं।
17 हे परमेश्वर, हमने तुझको बिसराया नहीं।
फिर भी तू हमारे साथ ऐसा करता है।
हमने जब अपने वाचा पर तेरे साथ हस्तक्षर की थी, झूठ नहीं बोला था!
18 हे परमेश्वर, हमने तो तुझसे मुख नहीं मोड़ा।
और न ही तेरा अनुसरण करना छोड़ा है।
19 किन्तु, हे यहोवा, तूने हमें इस स्थान पर ऐसे ठूँस दिया है जहाँ गीदड़ रहते हैं।
तूने हमें इस स्थान में जो मृत्थु की तरह अंधेरा है मूँद दिया है।
20 क्या हम अपने परमेश्वर का नाम भूले?
क्या हम विदेशी देवों के आगे झुके? नहीं!
21 निश्चय ही, परमेश्वर इन बातों को जानता है।
वह तो हमारे गहरे रहस्य तक जानता है।
22 हे परमेश्वर, हम तेरे लिये प्रतिदिन मारे जा रहे हैं।
हम उन भेड़ों जैसे बने हैं जो वध के लिये ले जायी जा रहीं हैं।
23 मेरे स्वामी, उठ!
नींद में क्यों पड़े हो? उठो!
हमें सदा के लिए मत त्याग!
24 हे परमेश्वर, तू हमसे क्यों छिपता है?
क्या तू हमारे दु:ख और वेदनाओं को भूल गया है?
25 हमको धूल में पटक दिया गया है।
हम औंधे मुँह धरती पर पड़े हुए हैं।
26 हे परमेस्वर, उठ और हमको बचा ले!
अपने नित्य प्रेम के कारण हमारी रक्षा कर!
11 यहूदा, तेरे लिये भी एक कटनी का समय है।
यह उस समय होगा, जब मैं अपने लोगों को बंधुआयी से लौटा कर लाऊँगा।
7 “मैं इस्राएल को चंगा करूँगा!
लोग एप्रैम के पाप जान जायेंगे,
लोगों के सामने शोमरोन के झूठ उजागर होंगे।
लोग उन चारों के बारे में जान जायेंगे जो नगर में आते जाते रहते हैं।
2 लोगों को विश्वास नहीं है कि मैं उनके अपराधों की याद करूँगा।
वे सब ओर से अपने किये बुरे कामों से घिरे हैं।
मुझको उनके वे बुरे कर्म साफ—साफ दिख रहे हैं।
3 वे अपने कुकर्मों से निज राजा को प्रसन्न रखते हैं।
वे झूठे देवों की पूजा कर के अपने मुखियाओं को खुश करते हैं।
4 तंदूर पर पकाने वाला रोटी के लिये आटा गूँथता है।
वह तंदूर में रोटी रखा करता है।
किन्तु वह आग को तब तक नहीं दहकाता
जब तक की रोटी फूल नहीं जाती है।
किन्तु इस्राएल के लोग उस नान बाई से नहीं हैं।
इस्राएल के लोग हर समय अपनी आग दहकाये रखते हैं।
5 हमारे राजा के दिन वे अपनी आग दहकाते हैं, अपनी दाखमधु की दावतें वे दिया करते हैं।
मुखिया दाखमधु की गर्मी से दुखिया गये हैं।
सो राजाओं ने उन लोगों के साथ हाथ मिलाया है जो परमेश्वर की हँसी करते हैं।
6 लोग षडयंत्र रचा करते हैं।
उनके उत्तेजित मन भाड़ से धधकते हैं।
उनकी उत्तेजनायें सारी रात धधका करती हैं,
और सुबह होते होते वह जलती हुई आग सी तेज हो जाती हैं।
7 वे सारे लोग भभकते हुये भाड़ से हैं,
उन्होंने अपने राजाओं को नष्ट किया था।
उनके सब शासको का पतन हुआ था।
उनमें से कोई भी मेरी शरण में नहीं आया था।”
इस्राएल अपने नाश से बेसुध
8 एप्रैम दूसरी जातियों के संग मिला जुला करता है।
एप्रैम उस रोटी सा है जिसे दोनो ओर से वहीं सेका गया है।
9 एप्रैम का बल गैरों ने नष्ट किया है
किन्तु एप्रैम को इसका पता नहीं है।
सफेद बाल भी एप्रैम पर छिटका दिये गये हैं
किन्तु एप्रैम को इसका पता नहीं है।
10 एप्रैम का अहंकार उसके विरोध में बोलता है।
लोगों ने बहुतेरी यातनायें झेली हैं
किन्तु वे अब भी अपने परमेश्वर यहोवा के पास नहीं लौटे हैं।
लोग उसकी शरण में नहीं गये थे।
11 एप्रैम उस भोले कपोत सा बन गया है जिसके पास कुछ भी समझ नहीं होती है।
लोगों ने मिस्र से सहायता मांगी
और लोग अश्शूर की शरण में गये।
12 वे उन देशों की शरण में जाते हैं
किन्तु मैं जाल में उनको फसाऊँगा,
मैं अपना जाल उनके ऊपर फेंकूँगा।
मैं उनको ऐसे नीचे खींच लूँगा जैसे गगन के पक्षी खेंच लिये जाते हैं।
मैं उनको उनकी वाचाओं का दण्ड दूँगा।
13 यह उनके लिये बुरा होगा
उन्होंने मुझको मेरी बात मानने से इनकार किया।
इसलिये उनको मिटा दिया जायेगा।
मैंने उन लोगों को बचाया था किन्तु वे मेरे विरोध में झूठ बोलते हैं।
14 वे कभी मन से मुझे नहीं पुकारते हैं।
हाँ, बिस्तर में पड़े हुए वे पुकारा करते हैं।
जब वे नया अन्न और नयी दाखमधु मांगते हैं तब पूजा के अंग के रूप में वे अपने अगों को स्वंय काटा करते हैं।
किन्तु वे अपने हृदय में मुझ से दूर हुये हैं।
15 मैंने उन्हें सधाया था और उनकी भुजा बलशाली बनायी थी,
किन्तु उन्हेंने मेरे विरोध में षड़यंत्र रचे।
16 वे झूठे देवों की ओर मुड़ गये।
वे उस धुनष के समान बने जो झूठे लक्ष्य भेद करता है।
उनके मुखियालोग अपनी ही शक्ति की शेखी बघारते थे,
किन्तु उन्हें तलवार के घाट उतारा जायेगा।
फिर लोग मिस्र में उन पर हँसेंगे।
सबसे प्रेम रखो
(लूका 6:27-28, 32-36)
43 “तुमने सुना है: कहा गया है ‘तू अपने पड़ौसी से प्रेम कर(A) और शत्रु से घृणा कर।’ 44 किन्तु मैं कहता हूँ अपने शत्रुओं से भी प्यार करो। जो तुम्हें यातनाएँ देते हैं, उनके लिये भी प्रार्थना करो। 45 ताकि तुम स्वर्ग में रहने वाले अपने पिता की सिद्ध संतान बन सको। क्योंकि वह बुरों और भलों सब पर सूर्य का प्रकाश चमकाता है। पापियों और धर्मियों, सब पर वर्षा कराता है। 46 यह मैं इसलिये कहता हूँ कि यदि तू उन्हीं से प्रेम करेगा जो तुझसे प्रेम करते हैं तो तुझे क्या फल मिलेगा। क्या ऐसा तो कर वसूल करने वाले भी नहीं करते? 47 यदि तू अपने भाई बंदों का ही स्वागत करेगा तो तू औरों से अधिक क्या कर रहा है? क्या ऐसा तो विधर्मी भी नहीं करते? 48 इसलिये परिपूर्ण बनो, वैसे ही जैसे तुम्हारा स्वर्ग-पिता परिपूर्ण है।
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