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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 85

संगीत निर्देशक के लिये कोरह वंशियों का एक स्तुति गीत।

हे यहोवा, तू अपने देश पर कृपालु हो।
    विदेश में याकूब के लोग कैदी बने हैं। उन बंदियों को छुड़ाकर उनके देश में वापस ला।
हे यहोवा, अपने भक्तों के पापों को क्षमा कर।
    तू उनके पाप मिटा दे।

हे यहोवा, कुपित होना त्याग।
    आवेश से उन्मत मत हो।
हमारे परमेश्वर, हमारे संरक्षक, हम पर तू कुपित होना छोड़ दे
    और फिर हमको स्वीकार कर ले।
क्या तू सदा के लिये हमसे कुपित रहेगा?
कृपा करके हमको फिर जिला दे!
    अपने भक्तों को तू प्रसन्न कर दे।
हे यहोवा, तू हमें दिखा दे कि तू हमसे प्रेम करता है।
    हमारी रक्षा कर।

जो परमेश्वर ने कहा, मैंने उस पर कान दिया।
    यहोवा ने कहा कि उसके भक्तों के लिये वहाँ शांति होगी।
    यदि वे अपने जीवन की मूर्खता की राह पर नहीं लौटेंगे तो वे शांति को पायेंगे।
परमेश्वर शीघ्र अपने अनुयायियों को बचाएगा।
    अपने स्वदेश में हम शीघ्र ही आदर के साथ वास करेंगे।
10 परमेश्वर का सच्चा प्रेम उनके अनुयायियों को मिलेगा।
    नेकी और शांति चुम्बन के साथ उनका स्वागत करेगी।
11 धरती पर बसे लोग परमेश्वर पर विश्वास करेंगे,
    और स्वर्ग का परमेश्वर उनके लिये भला होगा।
12 यहोवा हमें बहुत सी उत्तम वस्तुएँ देगा।
    धरती अनेक उत्तम फल उपजायेगी।
13 परमेश्वर के आगे आगे नेकी चलेगी,
    और वह उसके लिये राह बनायेगी।

होशे 1:11-2:15

11 “इसके बाद यहूदा और इस्राएल के लोग एक साथ इकट्ठे किये जायेंगे। वे अपने लिये एक शासक का चुनाव करेंगे। उस धरती के हिसाब से उनकी प्रजा अधिक हो जायेगी! यिज्रेल का दिन वास्तव में एक महान दिन होगा।”

“फिर तुम अपने भाई—बंधुओं से कहा करोगे, ‘तुम मेरी प्रजा हो’ और अपनी बहनों को बताया करोगे, ‘उसने मुझ पर दया दिखाई है।’”

“अपनी माँ के साथ विवाद करो! क्योंकि वह मेरी पत्नी नहीं है! और नही मैं उसका पति हूँ! उससे कहो कि वह वेश्या न बनी रहे। उससे कहो कि वह अपने प्रेमियों को अपनी छातियों के बीच से दूर हटा दे। यदि वह अपने इस व्यभिचार को छोड़ने से मना करे तो मैं उसे एक दम नंगा कर दूँगा। मैं उसे वैसा करके छोड़ूँगा जैसा वह उस दिन थी, जब वह पैदा हुई थी। मैं उसके लोगों को उससे छींन लूँगा और वह ऐसी हो जायेगी जैसे कोई वीरान रेगिस्तान होता है। मैं उसे प्यासा मार दूँगा। मैं उसकी संतानों पर कोई दया नहीं दिखाऊँगा क्योंकि वे व्यभिचार की संताने होंगी। उनकी माँ ने वेश्या का सा आचरण किया है। उनकी माँ को, जो काम उसने किये हैं, उनके लिये लज्जित होना चाहिये। उसने कहा था, ‘मैं अपने प्रेमियों के पास चली जाऊँगी। मेरे प्रेमी मुझे खाने और पीने को देते हैं। वे मुझे ऊन और सन देते हैं। वे मुझे दाखमधु और जैतून का तेल देते हैं।’

“इसलिये, मैं (यहोवा) तेरी (इस्राएल) राह काँटों से भर दूँगा। मैं एक दीवार खड़ी कर दूँगा। जिससे उसे अपना रास्ता ही नहीं मिल पायेगा। वह अपने प्रेमियों के पीछे भागेगी किन्तु वह उन्हें प्राप्त नही कर सकेगी। वह अपने प्रेमियों को ढूँढ़ती फिरेगी किन्तु उन्हे ढूँढ़ नहीं पायेगी। फिर वह कहेगी, ‘मैं अपने पहले पति (परमेश्वर) के पास लौट जाऊँगी। जब मैं उसके साथ थी, मेरी जीवन बहुत अच्छा था। आज की अपेक्षा, उन दिनों मेरा जीवन अधिक सुखी था।’

“वह (इस्राएल) यह नहीं जानती थी कि मैं (यहोवा) ही उसे अन्न, दाखमधु और तेल दिया करता था। मैं उसे अधिक से अधिक चाँदी और सोना देता रहता था। किन्तु इस्राएल के लोगों ने उस चाँदी और सोने का प्रयोग बाल की मूर्तियाँ बनाने में किया। इसलिये मैं (यहोवा) वापस आऊँगा और अपने अनाज को उस समय वापस ले लूँगा जब वह पक कर कटनी के लिये तैयार होगा। मैं उस समय अपने दाखमधु को वापस ले लूँगा जब अँगूर पक कर तैयार होंगे। अपनी ऊन और सन को भी मैं वापस ले लूँगा। ये वस्तुएँ मैंने उसे इसलिये दी थीं कि वह अपने नंगे तन को ढक ले। 10 अब मैं उसे वस्त्र विहीन करके नंगा कर दूँगा ताकि उसके सभी प्रेमी उसे देख सकें। कोई भी व्यक्ति उसे मेरी शक्ति से बचा नही पायेगा। 11 मैं (परमेश्वर) उससे उसकी सारी हँसी खुशी छींन लूँगा। मैं उसके वार्षिक उत्सवों, नये चाँद की दावतों और विश्राम के दिनों के उत्सवों का अंत कर दूँगा। मैं उसकी सभी विशेष दावतों को रोक दूँगा। 12 उसकी अँगूर की बेलों और अंजीर के वृक्षों को मैं नष्ट कर दूँगा। उसने कहा था, ‘ये वस्तुएँ मेरे प्रेमियों ने मुझे दी थीं।’ किन्तु अब मैं उसके बगीचों को बदल डालूँगा। वे किसी उजड़े जंगल जैसा हो जायेंगे। उन वृक्षों से जंगली जानवर आकर अपनी भूख मिटाया करेंगे।

13 “वह बाल की सेवा किया करती थी, इसलिये मैं उसे दण्ड दूँगा। वह बाल देवताओं के आगे धूप जलाया करती थी। वह आभूषणों से सजती और नथ पहना करती थी। फिर वह अपने प्रेमियों के पास जाया करती और मुझे भूल जाती।” यहोवा ने यह कहा था।

14 “इसलिये मैं (यहोवा) उसकी मनुहार करूँगा। मैं उसे रेगिस्तान में ले जाऊँगा। मैं उसके साथ दयापूर्वक बाते करूँगा। 15 वहाँ मैं उसे अंगूर के बगीचे दूँगा। आशा के द्वार के रूप में मैं उसे आकोर की घाटी दे दूँगा। फिर वह मुझे उसी प्रकार उत्तर देगी जैसे उस समय दिया करती थी, जव वह मिस्र से बाहर आयी थी।”

लूका 8:22-25

शिष्यों को यीशु की शक्ति का दर्शन

(मत्ती 8:23-27; मरकुस 4:35-41)

22 तभी एक दिन ऐसा हुआ कि वह अपने शिष्यों के साथ एक नाव पर चढ़ा और उनसे बोला, “आओ, झील के उस पार चलें।” सो उन्होंने पाल खोल दी। 23 जब वे नाव चला रहे थे, यीशु सो गया। झील पर आँधी-तूफान उतर आया। उनकी नाव में पानी भरने लगा। वे ख़तरे में पड़ गये। 24 सो वे उसके पास आये और उसे जगाकर कहने लगे, “स्वामी! स्वामी! हम डूब रहे हैं।”

फिर वह खड़ा हुआ और उसने आँधी तथा लहरों को डाँटा। वे थम गयीं और वहाँ शान्ति छा गयी। 25 फिर उसने उनसे पूछा, “कहाँ गया तुम्हारा विश्वास?”

किन्तु वे डरे हुए थे और अचरज में पड़ें थे। वे आपस में बोले, “आखिर यह है कौन जो हवा और पानी दोनों को आज्ञा देता है और वे उसे मानते हैं?”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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