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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
आमोस 7:7-17

दर्शन में साहुल

यहोवा ने मुझे यह दिखाया: यहोवा एक दीवार के सहारे एक साहुल अपने हाथ में लेकर खड़ा हुआ था। (दीवार साहुल से सीधी की गई थी।) यहोवा ने मुझसे कहा, “आमोस, तुम क्या देखते हो”

मैंने कहा, “साहुल।”

तब मेरे स्वामी ने कहा, “देखो, मैं अपने इस्राएल के लोगों पर साहुल का उपयोग करूँगा। मैं अब और आगे उनके टेढ़ेपन को नजरन्दाज नहीं करूँगा। मैं उन बुरे भागों को काट फेंकूँगा। इसहाक के उच्च स्थान नष्ट किये जायेंगे। इस्राएल के पवित्र स्थान चट्टान की ढेरों में बदल दिये जाएंगे। मैं आक्रमण करूँगा और यारोबाम के परिवार को तलवार के घाट उतारूँगा।”

अमस्याह आमोस को भविष्यवाणी करने से रोकने का प्रयत्न करता है

10 बेतेल के याजक अमस्याह ने इस्राएल के राजा यारोबाम को यह सन्देश भेजा: “आमोस तुम्हारे विरूद्ध षड़यन्त्र रच रहा है। वह इस्राएल के लोगों को तुम्हारे विरूद्ध युद्ध के लिये भड़का रहा है। वह इतना अधिक कह रहा है कि उसके शब्द पूरे देश में भी समा नहीं सकते। 11 आमोस ने कहा है, ‘यारोबाम तलवार के घाट उतरेगा और इस्राएल के लोगों को बन्दी बनाकर अपने देश से बाहर ले जाए जाएंगे।’”

12 अमस्याह ने भी आमोस से कहा, “हे दर्शी, यहूदा जाओ और वहीं खाओ। अपने उपदेश वहीं दो। 13 किन्तु यहाँ बेतेल में और अधिक उपदेश मत दो! यह यारोबाम का पवित्र स्थान है। यह इस्राएल का मन्दिर है!”

14 तब आमोस ने अमस्याह को उत्तर दिया, “मैं पेशेवर नबी नहीं हूँ और मैं नबी के परिवार का नहीं हूँ। मैं पशु पालता हूँ और गूलर के पेड़ों की देखभाल करता हूँ। 15 मैं गड़ेरिया था और यहोवा ने मुझे भेड़ों को चराने से मुक्त किया। यहोवा ने मुझसे कहा, ‘जाओ, मेरे लोग इस्राएलियों में भविष्यवाणी करो।’ 16 इसलिये यहोवा के सन्देश को सुनो। तुम मुझसे कहते हो ‘इस्राएल के विरूद्ध भविष्यवाणी मत करो। इसहाक के परिवार के विरूद्ध उपदेश मत दो।’ 17 किन्तु यहोवा कहता है: ‘तुम्हारी पत्नी नगर में वेश्या बनेगी। तुम्हारे पुत्र और पुत्रियाँ तलवार द्वारा मारे जाएंगे। अन्य लोग तुम्हारी भूमि लेंगे और आपस में बाटेंगे और तुम विदेश में मरोगे। इस्राएल के लोग निश्चय ही, इस देश से बन्दी के रूप में ले जाए जाएंगे।’”

भजन संहिता 82

आसाप का एक स्तुति गीत।

परमेश्वर देवों की सभा के बीच विराजता है।
    उन देवों की सभा का परमेश्वर न्यायाधीश है।
परमेश्वर कहता है, “कब तक तुम लोग अन्यायपूर्ण न्याय करोगे?
    कब तक तुम लोग दुराचारी लोगों को यूँ ही बिना दण्ड दिए छोड़ते रहोगे?”

अनाथों और दीन लोगों की रक्षा कर,
    जिन्हें उचित व्यवहार नहीं मिलता तू उनके अधिकारों कि रक्षा कर।
दीन और असहाय जन की रक्षा कर।
    दुष्टों के चंगुल से उनको बचा ले।

“इस्राएल के लोग नहीं जानते क्या कुछ घट रहा है।
    वे समझते नहीं!
वे जानते नहीं वे क्या कर रहे हैं।
    उनका जगत उनके चारों ओर गिर रहा है।”
मैंने (परमेश्वर) कहा, “तुम लोग ईश्वर हो,
    तुम परम परमेश्वर के पुत्र हो।
किन्तु तुम भी वैसे ही मर जाओगे जैसे निश्चय ही सब लोग मर जाते हैं।
    तुम वैसे मरोगे जैसे अन्य नेता मर जाते हैं।”

हे परमेश्वर, खड़ा हो! तू न्यायाधीश बन जा!
    हे परमेश्वर, तू सारे ही राष्ट्रों का नेता बन जा!

कुलुस्सियों 1:1-14

पौलुस जो परमेश्वर की इच्छानुसार यीशु मसीह का प्रेरित है उसकी, तथा हमारे भाई तिमुथियुस की ओर से।

मसीह में स्थित कुलुस्से में रहने वाले विश्वासी भाइयों और सन्तों के नाम:

हमारे परम पिता परमेश्वर की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शांति मिले।

जब हम तुम्हारे लिये प्रार्थना करते हैं, सदा ही अपने प्रभु यीशु मसीह के परम पिता परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं। क्योंकि हमने मसीह यीशु में तुम्हारे विश्वास तथा सभी संत जनों के प्रति तुम्हारे प्रेम के बारे में सुना है। यह उस आशा के कारण हुआ है जो तुम्हारे लिये स्वर्ग में सुरक्षित है और जिस के विषय में तुम पहले ही सच्चे संदेश अर्थात् सुसमाचार के द्वारा सुन चुके हो। सुसमाचार समूचे संसार में सफलता पा रहा है। यह वैसे ही सफल हो रहा है जैसे तुम्हारे बीच यह उस समय से ही सफल होने लगा था जब तुमने परमेश्वर के अनुग्रह के बारे में सुना था और सचमुच उसे समझा था। हमारे प्रिय साथी दास इपफ्रास से, जो हमारे लिये मसीह का विश्वासी सेवक है, तुमने सुसमाचार की शिक्षा पायी थी। आत्मा के द्वारा उत्तेजित तुम्हारे प्रेम के विषय में उसने भी हमें बताया है।

इसलिए जिस दिन से हमने इसके बारे में सुना है, हमने भी तुम्हारे लिये प्रार्थना करना और यह विनती करना नहीं छोड़ा है:

प्रभु का ज्ञान सब प्रकार की समझ-बूझ जो आत्मा देता, तुम्हे प्राप्त हो। और तुम बुद्धि भी प्राप्त करो, 10 ताकि वैसे जी सको, जैसे प्रभु को साजे। हर प्रकार से तुम प्रभु को सदा प्रसन्न करो। तुम्हारे सब सत्कर्म सतत सफलता पावें, तुम्हारे जीवन से सत्कर्मो के फल लगें तुम प्रभु परमेश्वर के ज्ञान में निरन्तर बढ़ते रहो। 11 वह तुम्हें अपनी महिमापूर्ण शक्ति से सुदृढ़ बनाता जाये ताकि विपत्ति के काल खुशी से महाधैर्य से तुम सब सह लो।

12 उस परम पिता का धन्यवाद करो, जिसने तुम्हें इस योग्य बनाया कि परमेश्वर के उन संत जनों के साथ जो प्रकाश में जीवन जीते हैं, तुम उत्तराधिकार पाने में सहभागी बन सके। 13 परमेश्वर ने अन्धकार की शक्ति से हमारा उद्धार किया और अपने प्रिय पुत्र के राज्य में हमारा प्रवेश कराया। 14 उस पुत्र द्वारा ही हमें छुटकारा मिला है यानी हमें मिली है हमारे पापों की क्षमा।

लूका 10:25-37

अच्छे सामरी की कथा

25 तब एक न्यायशास्त्री खड़ा हुआ और यीशु की परीक्षा लेने के लिये उससे पूछा, “गुरु, अनन्त जीवन पाने के लिये मैं क्या करूँ?”

26 इस पर यीशु ने उससे कहा, “व्यवस्था के विधि में क्या लिखा है, वहाँ तू क्या पढ़ता है?”

27 उसने उत्तर दिया, “‘तू अपने सम्पूर्ण मन, सम्पूर्ण आत्मा, सम्पूर्ण शक्ति और सम्पूर्ण बुद्धि से अपने प्रभु से प्रेम कर।’(A) और ‘अपने पड़ोसी से वैसे ही प्यार कर, जैसे तू अपने आप से करता है।’(B)

28 तब यीशु ने उस से कहा, “तू ने ठीक उत्तर दिया है। तो तू ऐसा ही कर इसी से तू जीवित रहेगा।”

29 किन्तु उसने अपने को न्याय संगत ठहराने की इच्छा करते हुए यीशु से कहा, “और मेरा पड़ोसी कौन है?”

30 यीशु ने उत्तर में कहा, “देखो, एक व्यक्ति यरूशलेम से यरीहो जा रहा था कि वह डाकुओं से घिर गया। उन्होंने सब कुछ छीन कर उसे नंगा कर दिया और मार पीट कर उसे अधमरा छोड़ कर वे चले गये।

31 “अब संयोग से उसी मार्ग से एक याजक जा रहा था। जब उसने इसे देखा तो वह मुँह मोड़कर दूसरी ओर चला गया। 32 उसी रास्ते होता हुआ एक लेवी[a] भी वहीं आया। उसने उसे देखा और वह भी मुँह मोड़कर दूसरी ओर चला गया।

33 “किन्तु एक सामरी भी जाते हुए वहीं आया जहाँ वह पड़ा था। जब उसने उस व्यक्ति को देखा तो उसके लिये उसके मन में करुणा उपजी, 34 सो वह उसके पास आया और उसके घावों पर तेल और दाखरस डाल कर पट्टी बाँध दी। फिर वह उसे अपने पशु पर लाद कर एक सराय में ले गया और उसकी देखभाल करने लगा। 35 अगले दिन उसने दो दीनारी निकाली और उन्हें सराय वाले को देते हुए बोला, ‘इसका ध्यान रखना और इससे अधिक जो कुछ तेरा खर्चा होगा, जब मैं लौटूँगा, तुझे चुका दूँगा।’”

36 यीशु ने उससे कहा, “बता तेरे विचार से डाकुओं के बीच घिरे व्यक्ति का पड़ोसी इन तीनों में से कौन हुआ?”

37 न्यायशास्त्री ने कहा, “वही जिसने उस पर दया की।”

इस पर यीशु ने उससे कहा, “जा और वैसा ही कर जैसा उसने किया!”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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