Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
28 जब ओमन ए सुनिन, त अब्बड़ गुस्सा होईन अऊ चिचिया-चिचियाके कहिन, “इफिसीमन के अरतिमिस देवी महान ए।” 29 अऊ जम्मो सहर म कोलाहल मच गीस। मनखेमन मकिदुनिया के गयुस अऊ अरिसतर्खुस ला, जऊन मन पौलुस के संगी यातरी रिहिन, पकड़ लीन, अऊ एक संग नाचा-घर म दऊड़ गीन। 30 पौलुस ह भीड़ करा जाय बर चाहत रिहिस, पर चेलामन ओला जावन नइं दीन। 31 ओ प्रदेस के कुछू अधिकारीमन पौलुस के संगी रिहिन। ओमन ओकर करा बिनती करके ए खबर पठोईन कि ओह नाचा-घर म झन जावय।
32 सभा म गड़बड़ी होवत रिहिस। कोनो मन कुछू चीज बर चिचियावत रहंय, त कोनो मन आने चीज बर। जादा मनखेमन तो ए नइं जानत रहंय कि ओमन उहां काबर जुरे रिहिन। 33 भीड़ के कुछू मनखेमन सिकन्दर ला उकसाईन, जऊन ला यहूदीमन आघू म कर दे रहंय। सिकन्दर ह इसारा करिस कि जम्मो चुप हो जावंय ताकि ओह मनखेमन के आघू म जबाब दे सकय। 34 पर जब मनखेमन ए जानिन कि ओह यहूदी अय, त ओमन जम्मो झन लगभग दू घंटा तक ए कहिके चिचियाईन, “इफिसीमन के अरतिमिस महान ए।”
35 तब सहर के बाबू साहेब ह भीड़ ला सांत करके कहिस, “हे इफिसुस के मनखेमन! जम्मो संसार ह जानत हवय कि इफिसुस सहर ह महान अरतिमिस के मंदिर अऊ अकास ले गिरे ओकर मूरती के संरछक ए। 36 ए बात ला कोनो इनकार नइं कर सकंय, त तुमन सांत रहव अऊ बिगर सोचे बिचारे कुछू झन करव। 37 तुमन ए मनखेमन ला इहां लाने हवव, जऊन मन न मंदिर ला लूटे हवंय अऊ न हमर देवी के निन्दा करे हवंय। 38 यदि देमेतिरियुस अऊ ओकर संगी कारीगरमन ला काकरो बिरोध म कोनो सिकायत हवय, त कचहरी खुला हवय अऊ उहां हाकिममन हवंय। ओमन उहां नालिस कर सकथें। 39 यदि तुमन कोनो अऊ बात के बारे म पुछे चाहत हव, त ओकर फैसला ठहराय गे सभा म करे जाही। 40 आज के घटना के कारन हमर ऊपर दंगा करवाय के दोस लगे के खतरा हवय। ए हो-हल्ला करे के, हमर करा कोनो कारन नइं ए। हमन एकर बारे म कोनो जबाब नइं दे सकन।” 41 ए कहे के बाद, ओह सभा ला बिदा कर दीस।
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