Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
एलिय्याह को अपने पास लेने की यहोवा की योजना
2 यह लगभग वह समय था जब यहोवा ने एक तूफान के द्वारा एलिय्याह को स्वर्ग में बुला लिया। एलिय्याह एलीशा के साथ गिलगाल गया।
2 एलिय्याह ने एलीशा से कहा, “कृपया यहीं रुको, क्योंकि यहोवा ने मुझे बेतेल जाने को कहा है।”
किन्तु एलीशा ने कहा, “जैसा कि यहोवा की सत्ता शाश्वत है और आप जीवित हैं, इसको साक्षी कर मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं आपका साथ नहीं छोड़ूँगा।” इसलिये दोनों लोग बेतेल तक गये।
6 एलिय्याह ने एलीशा से कहा, “कृपया यहीं ठहरो क्योंकि यहोवा ने मुझे यरदन नदी तक जाने को कहा है।”
एलीशा ने उत्तर दिया, “जैसा कि यहोवा की सत्ता शाश्वत है और आप जीवित हैं, इसको साक्षी करके प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं आपका साथ नहीं छोड़ूँगा!” अतः दोनों व्यक्ति चलते चले गए।
7 नबियों के समूह में से पचास व्यक्तियों ने उनका अनुसरण किया। एलिय्याह और एलीशा यरदन नदी पर रुक गए। पचास व्यक्ति एलिय्याह और एलीशा से बहुत दूर खड़े रहे। 8 एलिय्याह ने अपना अंगरखा उतारा, उसे तह किया और उससे पानी पर चोट की। पानी दायीं और बायीं ओर को फट गया। एलिय्याह और एलीशा ने सूखी भूमि पर चलकर नदी को पार किया।
9 जब उन्होंने नदी को पार कर लिया तब एलिय्याह ने एलीशा से कहा, “इससे पहले कि परमेश्वर मुझे तुमसे दूर ले जाए, तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिए करुँ।”
एलीशा ने कहा, “मैं आपके आत्मा का दुगना अपने ऊपर चाहता हूँ।”
10 एलिय्याह ने कहा, “तुमने कठिन चीज़ माँगी है। यदि तुम मुझे उस समय देखोगे जब मुझे ले जाया जाएगा तो वही होगा। किन्तु यदि तुम मुझे नहीं देख पाओगे तो वह नहीं होगा।”
परमेश्वर एलिय्याह को स्वर्ग में ले जाता है
11 एलिय्याह और एलीशा एक साथ बातें करते हुए टहल रहे थे। अचानक कुछ घोड़े और एक रथ आया और उन्होंने एलिय्याह को एलीशा से अलग कर दिया। घोड़े और रथ आग के समान थे। तब एलिय्याह एक बवंडर में स्वर्ग को चला गया।
12 एलीशा ने इसे देखा और जोर से पुकारा, “मेरे पिता! मेरे पिता! इस्राएल के रथ और उसके अश्वारोही सैनिक!”[a]
एलीशा ने एलिय्याह को फिर कभी नहीं देखा। एलीशा ने अपने वस्त्रों को मुट्ठी में भरा, और अपना शोक प्रकट करने के लिये उन्हें फाड़ डाला। 13 एलिय्याह का अंगरखा भूमि पर गिर पड़ा था अतः एलीशा ने उसे उठा लिया। एलीशा ने पानी पर चोट की और कहा, “एलिय्याह का परमेश्वर यहोवा, कहाँ है” 14 जैसे ही एलीशा ने पानी पर चोट की, पानी दाँयी और बांयी ओर को फट गया और एलीशा ने नदी पार की।
यदूतून राग पर संगीत निर्देशक के लिये आसाप का एक पद।
1 मैं सहायता पाने के लिये परमेश्वर को पुकारूँगा।
हे परमेश्वर, मैं तेरी विनती करता हूँ, तू मेरी सुन ले!
2 हे मेरे स्वामी, मुझ पर जब दु:ख पड़ता है, मैं तेरी शरण में आता हूँ।
मैं सारी रात तुझ तक पहुँचने में जुझा हूँ।
मेरा मन चैन पाने को नहीं माना।
11 याद करो वे शाक्ति भरे काम जिनको यहोवा ने किये।
हे परमेश्वर, जो काम तूने बहुत समय पहले किये मुझको याद है।
12 मैंने उन सभी कामों को जिनको तूने किये है मनन किया।
जिन कामों को तूने किया मैंने सोचा है।
13 हे परमेश्वर, तेरी राहें पवित्र हैं।
हे परमेश्वर, कोई भी महान नहीं है, जैसा तू महान है।
14 तू ही वह परमेश्वर है जिसने अद्भुत कार्य किये।
तू ने लोगों को अपनी निज महाशक्ति दर्शायी।
15 तूने निज शक्ति का प्रयोग किया और भक्तों को बचा लिया।
तूने याकूब और यूसुफ की संताने बचा ली।
16 हे परमेश्वर, तुझे सागर ने देखा और वह डर गया।
गहरा समुद्र भय से थर थर काँप उठा।
17 सघन मेघों से उनका जल छूट पड़ा था।
ऊँचे मेघों से तीव्र गर्जन लोगों ने सुना।
फिर उन बादलों से बिजली के तेरे बाण सारे बादलों में कौंध गये।
18 कौंधती बिजली में झँझावान ने तालियाँ बजायी जगत चमक—चमक उठा।
धरती हिल उठी और थर थर काँप उठी।
19 हे परमेश्वर, तू गहरे समुद्र में ही पैदल चला। तूने चलकर ही सागर पार किया।
किन्तु तूने कोई पद चिन्ह नहीं छोड़ा।
20 तूने मुसा और हारून का उपयोग निज भक्तों की अगुवाई
भेड़ों के झुण्ड की तरह करने में किया।
स्वतन्त्र बने रहो
5 मसीह ने हमें स्वतन्त्र किया है, ताकि हम स्वतन्त्रता का आनन्द ले सकें। इसलिए अपने विश्वास को दृढ़ बनाये रखो और फिर से व्यवस्था के विधान के जुए का बोझ मत उठाओ।
13 किन्तु भाईयों, तुम्हें परमेश्वर ने स्वतन्त्र रहने को चुना है। किन्तु उस स्वतन्त्रता को अपने आप पूर्ण स्वभाव की पूर्ति का साधन मत बनने दो, इसके विपरीत प्रेम के कारण परस्पर एक दूसरे की सेवा करो। 14 क्योंकि समूचे व्यवस्था के विधान का सार संग्रह इस एक कथन में ही है: “अपने साथियों से वैसे ही प्रेम करो, जैसे तुम अपने आप से करते हो।”(A) 15 किन्तु आपस में काट करते हुए यदि तुम एक दूसरे को खाते रहोगे तो देखो! तुम आपस में ही एक दूसरे को समाप्त कर दोगे।
मानव-प्रकृति और आत्मा
16 किन्तु मैं कहता हूँ कि आत्मा के अनुशासन के अनुसार आचरण करो और अपनी पाप पूर्ण प्रकृति की इच्छाओं की पूर्ति मत करो। 17 क्योंकि शारीरिक भौतिक अभिलाषाएँ पवित्र आत्मा की अभिलाषाओं के और पवित्र आत्मा की अभिलाषाएँ शारीरिक भौतिक अभिलाषाओं के विपरीत होती हैं। इनका आपस में विरोध है। इसलिए तो जो तुम करना चाहते हो, वह कर नहीं सकते। 18 किन्तु यदि तुम पवित्र आत्मा के अनुशासन में चलते हो तो फिर व्यवस्था के विधान के अधीन नहीं रहते।
19 अब देखो! हमारे शरीर की पापपूर्ण प्रकृति के कामों को तो सब जानते हैं। वे हैं: व्यभिचार अपवित्रता, भोगविलास, 20 मूर्ति पूजा, जादू-टोना, बैर भाव, लड़ाई-झगड़ा, डाह, क्रोध, स्वार्थीपन, मतभेद, फूट, ईर्ष्या, 21 नशा, लंपटता या ऐसी ही और बातें। अब मैं तुम्हें इन बातों के बारे में वैसे ही चेता रहा हूँ जैसे मैंने तुम्हें पहले ही चेता दिया था कि जो लोग ऐसी बातों में भाग लेंगे, वे परमेश्वर के राज्य का उत्तराधिकार नहीं पायेंगे। 22 जबकि पवित्र आत्मा, प्रेम, प्रसन्नता, शांति, धीरज, दयालुता, नेकी, विश्वास, 23 नम्रता और आत्म-संयम उपजाता है। ऐसी बातों के विरोध में कोई व्यवस्था का विधान नहीं है। 24 उन लोगों ने जो यीशु मसीह के हैं, अपने पापपूर्ण मानव-स्वभाव को वासनाओं और इच्छाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है। 25 क्योंकि जब हमारे इस नये जीवन का स्रोत आत्मा है तो आओ आत्मा के ही अनुसार चलें।
एक सामरी नगर
51 अब ऐसा हुआ कि जब उसे ऊपर स्वर्ग में ले जाने का समय आया तो वह यरूशलेम जाने का निश्चय कर चल पड़ा। 52 उसने अपने दूतों को पहले ही भेज दिया था। वे चल पड़े और उसके लिये तैयारी करने को एक सामरी गाँव में पहुँचे। 53 किन्तु सामरियों ने वहाँ उसका स्वागत सत्कार नहीं किया क्योंकि वह यरूशलेम को जा रहा था। 54 जब उसके शिष्यों याकूब और यूहन्ना ने यह देखा तो वे बोले, “प्रभु क्या तू चाहता है कि हम आदेश दें कि आकाश से अग्नि बरसे और उन्हें भस्म कर दे?”[a]
55 इस पर वह उनकी तरफ़ मुड़ा और उनको डाँटा फटकारा,[b] 56 फिर वे दूसरे गाँव चले गये।
यीशु का अनुसरण
(मत्ती 8:19-22)
57 जब वे राह किनारे चले जा रहे थे किसी ने उससे कहा, “तू जहाँ कहीं भी जाये, मैं तेरे पीछे चलूँगा।”
58 यीशु ने उससे कहा, “लोमड़ियों के पास खोह होते हैं। और आकाश की चिड़ियाओं के भी घोंसले होते हैं किन्तु मनुष्य के पुत्र के पास सिर टिकाने तक को कोई स्थान नहीं है।”
59 उसने किसी दूसरे से कहा, “मेरे पीछे हो ले।”
किन्तु वह व्यक्ति बोला, “हे प्रभु, मुझे जाने दे ताकि मैं पहले अपने पिता को दफ़न कर आऊँ।”
60 तब यीशु ने उससे कहा, “मरे हुओं को अपने मुर्दे गाड़ने दे, तू जा और परमेश्वर के राज्य की घोषणा कर।”
61 फिर किसी और ने भी कहा, “हे प्रभु, मैं तेरे पीछे चलूँगा किन्तु पहले मुझे अपने घर वालों से विदा ले आने दे।”
62 इस पर यीशु ने उससे कहा, “ऐसा कोई भी जो हल पर हाथ रखने के बाद पीछे देखता है, परमेश्वर के राज्य के योग्य नहीं है।”
© 1995, 2010 Bible League International