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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 59

संगीत निर्देशक के लिये “नाश मत कर” धुन पर दाऊद का उस समय का एक भक्ति गीत जब शाऊल ने लोगों को दाऊद के घर पर निगरानी रखते हुए उसे मार डालने की जुगत करने के लिये भेजा था।

हे परमेश्वर, तू मुझको मेरे शत्रुओं से बचा ले।
    मेरी सहायता उनसे विजयी बनने में कर जो मेरे विरूद्ध में युद्ध करने आये हैं।
ऐसे उन लोगों से, तू मुझको बचा ले।
    तू उन हत्यारों से मुझको बचा ले जो बुरे कामों को करते रहते हैं।
देख! मेरी घात में बलवान लोग हैं।
    वे मुझे मार डालने की बाट जोह रहे हैं।
    इसलिए नहीं कि मैंने कोई पाप किया अथवा मुझसे कोई अपराध बन पड़ा है।
वे मेरे पीछे पड़े हैं, किन्तु मैंने कोई भी बुरा काम नहीं किया है।
    हे यहोवा, आ! तू स्वयं अपने आप देख ले!
हे परमेश्वर! इस्राएल के परमेश्वर! तू सर्वशक्ति शाली है।
    तू उठ और उन लोगों को दण्डित कर।
उन विश्वासघातियों उन दुर्जनों पर किंचित भी दया मत दिखा।

वे दुर्जन साँझ के होते ही
    नगर में घुस आते हैं।
    वे लोग गुरर्ते कुत्तों से नगर के बीच में घूमते रहते हैं।
तू उनकी धमकियों और अपमानों को सुन।
    वे ऐसी क्रूर बातें कहा करते हैं।
    वे इस बात की चिंता तक नहीं करते कि उनकी कौन सुनता है।

हे यहोवा, तू उनका उपहास करके
    उन सभी लोगों को मजाक बना दे।
हे परमेश्वर, तू मेरी शक्ति है। मैं तेरी बाट जोह रहा हूँ।
    हे परमेश्वर, तू ऊँचे पहाड़ों पर मेरा सुरक्षा स्थान है।
10 परमेश्वर, मुझसे प्रेम करता है, और वह जीतने में मेरा सहाय होगा।
    वह मेरे शत्रुओं को पराजित करने में मेरी सहायता करेगा।
11 हे परमेश्वर, बस उनको मत मार डाल। नहीं तो सम्भव है मेरे लोग भूल जायें।
    हे मेरे स्वमी और संरक्षक, तू अपनी शक्ति से उनको बिखेर दे और हरा दे।
12 वे बुरे लोग कोसते और झूठ बोलते रहते हैं।
    उन बुरी बातों का दण्ड उनको दे, जो उन्होंने कही हैं।
    उनको अपने अभिमान में फँसने दे।
13 तू अपने क्रोध से उनको नष्ट कर।
    उन्हें पूरी तरह नष्ट कर!
लोग तभी जानेंगे कि परमेश्वर, याकूब के लोगों का और वह सारे संसर का राजा है।

14 फिर यदि वे लोग शाम को
    इधर—उधर घूमते गुरर्तें कुत्तों से नगर में आवें,
15 तो वे खाने को कोई वस्तु ढूँढते फिरेंगे,
    और खाने को कुछ भी नहीं पायेंगे और न ही सोने का कोई ठौर पायेंगे।
16 किन्तु मैं तेरी प्रशंसा के गीत गाऊँगा।
    हर सुबह मैं तेरे प्रेम में आनन्दित होऊँगा।
क्यों क्योंकि तू पर्वतों के ऊपर मेरा शरणस्थल है।
    मैं तेरे पास आ सकता हूँ, जब मुझे विपत्तियाँ घेरेंगी।
17 मैं अपने गीतों को तेरी प्रशंसा में गाऊँगा
    क्योंकि पर्वतों के ऊपर मेरा शरणस्थल है।
    तू परमेश्वर है, जो मुझको प्रेम करता है!

2 राजा 9:14-26

येहू यिज्रैल जाता है

14 इसलिये येहू ने, जो निमशी का पौत्र और यहोशापात का पुत्र था योराम के विरुद्ध योजनायें बनाईं।

उस समय योराम और इस्राएली, अराम के राजा हजाएल से, गिलाद के रामोत की रक्षा का प्रयत्न कर रहे थे। 15 किन्तु राजा योराम को अरामियों द्वारा किये गये घाव से स्वस्थ होने के लिये इस्राएल आना पड़ा था। अरामियों ने योराम को तब घायल किया था जब उसने अराम के राजा हजाएल के विरुद्ध युद्ध किया था।

अतः येहू ने अधिकारियों से कहा, “यदि तुम लोग स्वीकार करते हो कि मैं नया राजा हूँ तो नगर से किसी व्यक्ति को यिज्रैल में सूचना देने के लिये बचकर निकलने न दो।”

16 योराम यिज्रैल में आराम कर रहा था। अत: येहू रथ में सवार हुआ और यिज्रैल गया। यहूदा का राजा अहज्याह भी योराम को देखने यिज्रैल आया था।

17 एक रक्षक यिज्रैल में रक्षक स्तम्भ पर खड़ा था। उसने येहू के विशाल दल को आते देखा। उसने कहा, “मैं लोगों के एक विशाल दल को देख रहा हूँ!”

योराम ने कहा, “किसी को उनसे मिलने घोड़े पर भेजो। इस व्यक्ति से यह कहने के लिये कहो, ‘क्या आप शान्ति की इच्छा से आए हैं?’”

18 अतः एक व्यक्ति येहू से मिलने के लिये घोड़े पर सवार होकर गया। घुड़सवार ने कहा, “राजा योराम पूछते हैं, ‘क्या आप शान्ति की इच्छा से आए हैं?’”

येहू ने कहा, “तुम्हें शान्ति से कुछ लेना—देना नहीं। आओ और मेरो पीछे चलो।”

रक्षक ने योराम से कहा, “उस दल के पास सन्देशवाहक गया, किन्तु वह लौटकर अब तक नहीं आया।”

19 तब योराम ने एक दूसरे व्यक्ति को घोड़े पर भेजा। वह व्यक्ति येहू के दल के पास आया और उसने कहा, “राजा योराम कहते हैं, ‘शान्ति।’”

येहू ने उत्तर दिया, “तुम्हें शान्ति से कुछ भी लेना देना नहीं! आओ और मेरे पीछे चलो।”

20 रक्षक ने योराम से कहा, “दूसरा व्यक्ति उस दल के पास गया, किन्तु वह अभी तक लौटकर नहीं आया। रथचालक रथ को निमशी के पौत्र येहू की तरह चला रहा है। वह पागलों जैसा चला रहा है।”

21 योराम ने कहा, “मेरे रथ को तैयार करो!”

इसलिये सेवक ने योराम के रथ को तैयार किया। इस्राएल का राजा योराम तथा यहूदा का राजा अहज्याह निकल गए। हर एक राजा अपने—अपने रथ से येहू से मिलने गए। वे येहू से यिज्रैली नाबोत की भूमि के पास मिले।

22 योराम ने येहू को देखा और उससे पूछा, “येहू क्या तुम शान्ति के इरादे से आए हो”

येहू ने उत्तर दिया, “जब तक तुम्हारी माँ ईज़ेबेल वेश्यावृत्ति और जादू टोना करती रहेगी तब तक शान्ति नहीं हो सकेगी।”

23 योराम ने भाग निकलने के लिये अपने घोड़ों की बाग मोड़ी। योराम ने अहज्याह से कहा, “अहज्याह! यह एक चाल है।”

24 किन्तु येहू ने अपनी पूरी शक्ति से अपने धनुष को खींचा और योराम की पीठ में[a] बाण चला दिया। बाण योराम के हृदय को बेधता हुआ पार हो गया। योराम अपने रथ में मर गया।

25 येहू ने अपने सारथी बिदकर से कहा, “योराम के शव को उठाओ और यिज्रेली नाबोत के खेत में फेंक दो। याद करो, जब हम और तुम योराम के पिता अहाब के साथ चले थे। तब यहोवा ने कहा था कि इसके साथ ऐसा ही होगा। 26 यहोवा ने कहा था, ‘कल मैंने नाबोत और उसके पुत्रों का खून देखा था। अतः मैं अहाब को इसी खेत में दण्ड दूँगा।’ यहोवा ने ऐसा कहा था। अतः जैसा यहोवा ने आदेश दिया है—योराम के शव को खेत में फेंक दो!”

इफिसियों 2:11-22

मसीह में एक

11 इसलिए याद रखो, वे लोग, जो अपने शरीर में मानव हाथों द्वारा किये गये ख़तने के कारण अपने आपको “ख़तना युक्त” बताते हैं, विधर्मी के रूप में जन्मे तुम लोगों को “ख़तना रहित” कहते थे। 12 उस समय तुम बिना मसीह के थे, तुम इस्राएल की बिरादरी से बाहर थे। परमेश्वर ने अपने भक्तों को जो वचन दिए थे उन पर आधारित वाचा से अनजाने थे। तथा इस संसार में बिना परमेश्वर के निराश जीवन जीते थे। 13 किन्तु अब तुम्हें, जो कभी परमेश्वर से बहुत दूर थे, मसीह के बलिदान के द्वारा मसीह यीशु में तुम्हारी स्थिति के कारण, परमेश्वर के निकट ले आया गया है।

14 यहूदी और ग़ैर यहूदी आपस में एक दूसरे से नफ़रत करते थे और अलग हो गये थे। ठीक ऐसे जैसे उन के बीच कोई दीवार खड़ी हो। किन्तु मसीह ने स्वयं अपनी देह का बलिदान देकर नफ़रत की उस दीवार को गिरा दिया। 15 उसने ऐसा तब किया जब अपने समूचे नियमों और व्यवस्थाओं के विधान को समाप्त कर दिया। उसने ऐसा इसलिए किया कि वह अपने में इन दोनों को ही एक में मिला सकें। और इस प्रकार मिलाप करा दे। क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा उसने उस घृणा का अंत कर दिया। और उन दोनों को परमेश्वर के साथ उस एक देह में मिला दिया। 16 और क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा बैर भाव का नाश करके एक ही देह में उन दोनों को संयुक्त करके परमेश्वर से फिर मिला दे। 17 सो आकर उसने तुम्हें, जो परमेश्वर से बहुत दूर थे और जो उसके निकट थे, उन्हें शांति का सुसमाचार सुनाया। 18 क्योंकि उसी के द्वारा एक ही आत्मा से परम पिता के पास तक हम दोनों की पहुँच हुई।

19 परिणामस्वरूप अब तुम न अनजान रहे और न ही पराये। बल्कि अब तो तुम संत जनों के स्वदेशी संगी-साथी हो गये हो। 20 तुम एक ऐसा भवन हो जो प्रेरितों और नबियों की नींव पर खड़ा है। तथा स्वयं मसीह यीशु जिसका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कोने का पत्थर है। 21-22 मसीह में स्थित एक ऐसे स्थान की रचना के रूप में दूसरे लोगों के साथ तुम्हारा भी निर्माण किया जा रहा है, जहाँ आत्मा के द्वारा स्वयं परमेश्वर निवास करता है।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International