Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
दाऊद क एक मन्दिर क आरोहण गीत।
1 अगर यहोवा हमरे संग नाहीं होतेन
तउ इस्राएल क कहइ द्या,
2 अगर यहोवा हमरे संग नाहीं होत,
जब हमार बिरोधी हम लोगन पइ हमला किहे रहेन?
3 तब हमार दुस्मन हमका जिअत ही निगल गए होतेन
जब उ पचे गुस्सा भए रहेन।
4 तब हमार सत्रुअन क फउजन
बाढ़ क तरह हमका बहावत भइ
उ नदी क जइसी होइ जातिन जउन हमका बोरत रही होइँ।
5 तब उ सबइ घमण्डी लोग उ पानी जइसे होइ जातेन
जउन हमका बोरत भवा हमरे मुँहना तलक बाढ़त आवति होइ।
6 यहोवा क गुण गावा।
उ हमरे दुस्मनन क हमका धरइ नाहीं दिहस अउर न ही मारइ दिहस।
7 हम पचे जालि मँ फँसा भवा उ पंछी जइसा रहेन जउन फुनि बचि निकरा होइ।
जालि फाटि फुट गवा अउर हम बचिके निकरे।
8 यहोवा जउन सरग अउ धरती क बनाएस ह।
हमार मदद किहेस।
4 “हे लोगो, मइँ तोहका गोहरावत हउँ,
मइ समूची मानवजाति बरे अवाज उठावत हउँ।
5 अरे नादा ने लोगो! बुद्धिमानी स रहइ क सिखा
तू जउन मूरख बना अहा समुझबूझ सिखा।
6 सुना। काहेकि मोरे लगे कहइ क उत्तिम बातन अहइँ,
आपन मुँहन खोलति हउँ, जउन कहइ क उचित बा
7 मेरे मुखे स तउ उहइ निकरत ह जउन फुरइ अहइ,
काहेकि मोरे ओंठन क दुट्ठता स घिन अहइ।
8 मोरे मुँहे स निकलइ वाले सबइ सब्द निआव स पूर्ण अहइ।
ओन मँ स कउनो भी धोका देइ वाला नाहीं अहइ।
9 विचारवान मनई बरे उ सबइ साफ साफ अहइँ
अउर गियानी जन बरे उ सबइ सब दोख रहित अहइँ।
10 चाँदी नाहीं बल्कि तू मोर हिदायत ग्रहण करा
उत्तिम सोना नाहीं बल्कि तू मोर गियान ल्या।
11 सुबुद्धि रत्नन मणि माणिकन स जियादा कीमती अहइँ।
तोहार अइसी मनचाही कउनो वस्तु स ओकर तुलना नाहीं होइ।”
सुबुद्धि का करत ह
12 “मइँ बुद्धि अउर गियान क संग रहत हउँ।
नीक अउर विवेक मोर मीत अहइ।।
13 यहोवा स डरब, बुराई स घिना करब अहइ।
स्वार्थीपन अउर घमण्ड, बुराइ क मारग झुटी मुँह स मइँ घिना करत हउँ।
14 मोर लगे परामर्स अउ गियान अहइ।
मोरे लगे बुद्धि सक्ती अहइ।
15 मोरे ही सहारे राजा राज्ज करत हीं,
अउर सासक नेम रचत हीं, जउन निआउ स पूर्ण अहइ।
16 केवल मोरी ही मदद स
धरती क सबइ नीक सासक राज्ज चलावत हीं।
17 जउन मोहसे पिरेम करत हीं, मइँ भी ओनसे पिरेम करत हउँ,
मोका जउन हेरत हीं, मोका पाइ लेत हीं।
18 सम्पत्तियन अउ आदर मोर संग अहइँ।
मइँ खरी सम्पत्ति अउ जस देत हउँ।
19 मोर फल सोना स उत्तिम अहइँ।
मइँ जउन उपजावत हउँ, उ सुद्ध-चाँदी स जियादा नीक अहइ।
20 मइँ निआउ क मारग क संग संग
सत्य क मारग पइ चलत आवत हउँ।
21 मोहसे जउन पिरेम करतेन ओनका मइँ धन देत हउँ,
अउर ओनकर भंडार भरि देत हउँ।
15 इही बरे सावधानी क साथे देखत रहा कि तू कइसा जीवन जिअत अहा। विवेकहीन क स आचरण न करा, बल्कि बद्धिमान क स आचरण करा। 16 जे हर समइ क अच्छा करम करइ क बरे दीन्ह भए वर्तमान मँ ओकर पूरा उपयोग करत ह, काहेकि इ दिन बुरा बा। 17 मूर्खता स न रहत रहा बल्कि इ जान ल्या कि पर्भू क इच्छा का अहइ। 18 मदिरापान कइके मतवाला जिन बना रहा काहेकि इही स कामुकता पइदा होत ह। एकरे विपरीत आतिमा स परिपूर्ण होइ जा। 19 आपस मँ भजन, स्तुतिगयान अउर आध्यात्मिक गीतन क, परस्पर आदान-प्रदान करत रहा। आपन मने मँ पर्भू क बरे गीत गावत ओकर स्तुति करत रहा। 20 हर कीहीउँ बात क बरे हमार पर्भू ईसू मसीह क नाउँ पइ हमरे परम पिता परमेस्सर क हमेसा धन्यबाद करा।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.