Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
दाऊद क आरोहण गीत।
1 इ फुरइ नीक अउ सुखदायी अहइ
जब भाइयन आपुस मँ मिलिजुलिके रहइँ।
2 इ वइसे महकउआ तेल जइसा होत ह जेका हारून क मूँड़ी पइ उड़ेरा गवा रहा।
इ, उ तेल जइसा होत ह जउन हारून क दाढ़ी क पइ बहत होइ।
इ, उ तेल जइसा होत ह जउन हारून क खास ओढ़नन पइ बहत रहा।
3 इ उ कोमल बर्खा क बूँदन क समान अहइ जउन हेर्मोन क पहाड़ी स आवति हीं अउ सिय्योन क पहाड़ पइ गिरत हीं,
काहेकि हुवँइ यहोवा आपन अनन्तकालीन जिन्नगी क आसीस दिहे रहा।
9 “जबहिं तू कटनी क समइ आपन फसल काट्या तउ तू पचे सब कइँती स खेत क कोनन ताई जिन काट्या अउर अगर अन्न जमीन पइ गिरि जात ह तउ तू पचन्क ओका बटोरइ नाहीं चाही। 10 आपन अंगूरे क बगिया क सारा अंगूर जिन तोड़्या। जउन अंगूर भुइँया पइ गिरि जाइँ ओनका जिन उठावा। काहेकि तू पचन्क उ सबइ चीजन गरीब लोगन अउर जउन तोहार बीच रहइवाला बिदेसियन बाटइ ओनके बरे छोड़इ चाही। मइँ यहोवा तोहार परमेस्सर अहउँ!
11 “तू पचन्क चोरी नाहीं करइ चाही। तू पचन्क लोगन्क ठगी नाहीं करइ चाही। तू पचन्क आपुस मँ झूठ नाहीं बोलइ चाही। 12 तू पचन्क मोरे नाउँ पइ झूठा बचन नाहीं देइ चाही। अगर तू पचे अइसा करत ह्या तउ तू पचे आपन परमेस्सर क नाउँ क अपमान करत ह। मइँ यहोवा तोहार परमेस्सर अहउँ!
13 “तू पचन्क आपन पड़ोसी क धोखा नाहीं देइ चाही। तू पचन्क ओकर चोरी नाहीं करइ चाही। तू पचन्क मजदूर क मजदूरी पूरी रात, भिन्सारे तलक नाहीं रोकइ चाही।[a]
14 “तू पचन्क कउनो बहिरे मनई क सरापइ नाहीं चाही। तू पचन्क कउनो आँधर क भहरावइ बरे ओकरे अगवा कउनो चीज नाहीं रखइ चाही। मुला तू पचन्क आपन परमेस्सर यहोवा क सम्मान करइ चाही। मइँ यहोवा अहउँ!
15 “तू पचन्क क निआव करइ मँ ईमानदार होइ चाही। न तउ तू पचन्क गरीबन क संग खास पच्छपात करइ चाही अउ न ही बड़कन अउ धनी मनइयन बरे कउनो आदर देखावइ चाही। तू पचन्क आपन पड़ोसी क संग निआव करत समइ ईमानदार होइ चाही। 16 तू पचन्क दूसर लोगन्क खिलाफ चारिहुँ कइँती अफवाह सँचरावत भए नाहीं चलइ चाही। अइसा कछू जिन करा जउन तू पचन्क पड़ोसी क खतरा मँ डाइ देइ। मइँ यहोवा अहउँ!
17 “तू पचन्क आपन हिरदइ मँ आपन भाइयन स घिना नाहीं करइ चाही। अगर तोहार पड़ोसी कछू बुरा करत ह तउ एकरे बारे मँ ओका समझावा। मुला ओका छिमा करा! 18 लोग, जउन तोहार बुरा करइँ, ओका बिसरि जा। ओसे बदला लेइ क कोसिस जिन करा। आपन पड़ोसी स वइसेन ही पिरेम करा जइसे अपने आप स करत ह्या। मइँ यहोवा अहउँ!
नीक सामरी क कथा
25 तब एक धरम सास्तरी खड़ा भवा अउर ईसू क परीच्छा लेइ बरे ओसे पूछेस, “गुरु, अनन्त जीवन पावइ बरे मइँ का करउँ?”
26 ऍह पइ ईसू ओनसे कहेस, “व्यवस्था मँ का लिखा बाटइ? तू हुवाँ का पढ़त ह?”
27 धरम सास्तरी उत्तर दिहस, “‘तू आपन समूचा मन, सारी आतिमा, सारी सक्ती अउर सारी बुद्धि क संग आपन पर्भू स पिरेम करा।’(A) अउर ‘आपन पड़ोसी स भी वइसे ही पिआर करा, जइसे तू आपन खुद स करत ह।’”
28 तब ईसू ओसे कहेस, “तू ठीक जवाब दिहा ह। तउ तू अइसा ही करा अउर ऍहसे तू जीवित रहब्या।”
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.