Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
23 जो मैंने प्रभु से प्राप्त किया, वह मैंने तुम्हें भी सौंप दिया: प्रभु मसीह येशु ने, जिस रात उन्हें पकड़वाया जा रहा था, रोटी ली, 24 धन्यवाद देने के बाद उसे तोड़ा और कहा, “तुम्हारे लिए यह मेरा शरीर है. यह मेरी याद में किया करना.” 25 इसी प्रकार भोजन के बाद उन्होंने प्याला लेकर कहा, “यह प्याला मेरे लहू में स्थापित नई वाचा है. जब-जब तुम इसे पियो, यह मेरी याद में किया करना.” 26 इसलिए जब-जब तुम यह रोटी खाते हो और इस प्याले में से पीते हो, प्रभु के आगमन तक उनकी मृत्यु का प्रचार करते हो.
मसीह येशु द्वारा शिष्यों का पद-प्रक्षालन
13 फ़सह उत्सव के पूर्व ही मसीह येशु को यह पता था कि उनका संसार को छोड़ कर पिता परमेश्वर के पास लौट जाने का समय पास आ गया है. वह उनसे हमेशा प्रेम करते रहे, जो संसार में उनके अपने थे किन्तु अब उन्होंने उनसे अन्त तक वैसा ही प्रेम रखा.
2 शिमोन के पुत्र कारियोतवासी यहूदाह के मन में शैतान यह विचार डाल चुका था कि वह मसीह येशु के साथ धोखा करे. 3 भोज के समय मसीह येशु ने भली-भांति यह जानते हुए कि पिता ने सब कुछ उनके हाथ में कर दिया है और यह भी कि वह परमेश्वर की ओर से आए हैं और परमेश्वर के पास लौट रहे हैं, 4 भोजन की मेज़ से उठ कर अपने बाहरी कपड़े उतारे, कमर में अंगोछा बान्ध लिया 5 और एक बर्तन में जल उण्डेल कर शिष्यों के पांव धोने और कमर में बँधे अँगोछे से पोंछने लगे.
6 जब वह शिमोन पेतरॉस के पास आए तो पेतरॉस ने उनसे कहा, “प्रभु, आप मेरे पांव धोएंगे?”
7 मसीह येशु ने उत्तर दिया, “जो मैं कर रहा हूँ, तुम उसे इस समय नहीं, कुछ समय बाद समझोगे.” 8 पेतरॉस ने कहा, “नहीं, प्रभु, आप मेरे पांव कभी भी न धोएंगे.” “यदि मैं तुम्हारे पांव न धोऊँ तो तुम्हारा मेरे साथ कोई सम्बन्ध नहीं रह जाएगा,” मसीह येशु ने कहा.
9 इस पर शिमोन पेतरॉस ने मसीह येशु से कहा, “प्रभु, तब तो मेरे पांव ही नहीं, हाथ और सिर भी धो दीजिए.”
10 मसीह येशु ने कहा, “जो स्नान कर चुका है, वह पूरी तरह साफ़ हो चुका है, उसे ज़रूरत है मात्र पांव धोने की; तुम लोग साफ़ हो परन्तु सबके सब साफ़ नहीं.” 11 मसीह येशु यह जानते थे कि कौन उनके साथ धोखा कर रहा है इसीलिए उन्होंने यह कहा: “परन्तु सब के सब साफ़ नहीं.”
12 जब मसीह येशु शिष्यों के पांव धो कर, अपने बाहरी कपड़े दोबारा पहन कर भोजन के लिए बैठ गए तो उन्होंने शिष्यों से कहा, “तुम समझ रहे हो कि मैंने तुम्हारे साथ यह क्या किया है?” 13 “तुम लोग मुझे ‘गुरु’ और ‘प्रभु’, कहते हो, सही ही है—क्योंकि मैं वह हूँ. 14 इसलिए यदि मैंने प्रभु और गुरु हो कर तुम्हारे पांव धोए हैं तो सही है कि तुम भी एक दूसरे के पांव धोओ. 15 मैंने तुम्हारे सामने एक आदर्श प्रस्तुत किया है—तुम भी वैसा ही करो, जैसा मैंने तुम्हारे साथ किया है. 16 मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: दास अपने स्वामी से बढ़कर नहीं होता और न ही कोई भेजा हुआ अपने भेजनेवाले से. 17 ये सब तो तुम जानते ही हो. सुखद होगा तुम्हारा जीवन यदि तुम इनका पालन भी करो.
निकट आती विदाई तथा एक नई आज्ञा
31 जब यहूदाह बाहर चला गया तो मसीह येशु ने कहा, “अब मनुष्य का पुत्र महिमित हुआ है और उसमें परमेश्वर महिमित हुए हैं. 32 यदि उसमें परमेश्वर महिमित हुए हैं तो परमेश्वर भी उसे स्वयं महिमित करेंगे और शीघ्र ही महिमित करेंगे.
33 “मैं बस अब थोड़ी ही देर तुम्हारे साथ हूँ, तुम मुझे ढूंढ़ोगे और जैसा मैंने यहूदियों से कहा है, वैसा मैं तुमसे भी कहता हूँ, ‘जहाँ मैं जा रहा हूँ वहाँ तुम नहीं आ सकते.’
34 “मैं तुम्हें एक नई आज्ञा दे रहा हूँ: एक दूसरे से प्रेम करो—जैसे मैंने तुमसे प्रेम किया है, वैसे ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम करो. 35 यदि तुम एक दूसरे से प्रेम करोगे तो यह सब जान लेंगे कि तुम मेरे चेले हो.”
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