Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
30 जब चालीस साल बीत गे, तब एक स्वरगदूत ह सीनै पहाड़ के लकठा म निरजन प्रदेस म मूसा ला बरत झाड़ी के आगी म दरसन दीस। 31 मूसा ह ओ दरसन ला देखके अचम्भो करिस। जब ओह ओला देखे बर अऊ लकठा म गीस, तब ओह परभू के ए अवाज सुनिस, 32 ‘मेंह तोर पुरखा – अब्राहम, इसहाक अऊ याकूब के परमेसर अंव।’[a] एला सुनके मूसा ह डर के मारे कांपे लगिस, अऊ ओह ऊपर देखे के घलो हिम्मत नइं करिस।
33 तब परभू ह मूसा ला कहिस, ‘अपन पांव के पनही ला उतार, काबरकि जऊन ठऊर म तेंह ठाढ़े हवस, ओह पबितर भुइयां ए। 34 मेंह सही म मिसर देस म अपन मनखेमन के दुरदसा ला देखे हवंव। मेंह ओमन के दुःख अऊ रोवई सुने हवंव। एकरसेति, मेंह ओमन ला छोंड़ाय बर उतरे हवंव। अब तेंह आ, मेंह तोला मिसर देस वापिस पठोहूं।’[b]
Copyright: New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) Copyright © 2012, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.