Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
आराधना में सुव्यवस्था की महत्ता
26 तब, प्रियजन, निष्कर्ष क्या निकला? जब तुम आराधना के लिए इकट्ठा होते हो तो तुममें से कोई तो गीत प्रस्तुत करता है, कोई उपदेश देता है, कोई प्रभु के द्वारा दिया गया प्रकाशन प्रस्तुत करता है, कोई अन्य भाषा में बातें करता तथा कोई उसका अनुवाद करता है. प्रियजन, तुम जो कुछ करो वह कलीसिया की उन्नति के लिए हो. 27 जहाँ तक अन्य भाषा में बातें करने का प्रश्न है, अधिक से अधिक दो या तीन व्यक्ति ही क्रमानुसार यह करें तथा कोई व्यक्ति उसका अनुवाद भी करे. 28 यदि वहाँ कोई अनुवाद करने वाला न हो तो वे चुप रहें और उनकी बातें उनके तथा परमेश्वर के बीच सीमित रहे.
29 भविष्यवाणी मात्र दो या तीन व्यक्ति ही करें और बाकी उनके वचन को परखें. 30 यदि उसी समय किसी पर ईश्वरीय प्रकाशन हो, तो वह, जो इस समय भविष्यवाणी कर रहा है, शान्त हो जाए, 31 तुम सब एक-एक करके भविष्यवाणी कर सकते हो कि सभी को शिक्षा और प्रोत्साहन प्राप्त हो सके. 32 भविष्यद्वक्ताओं का अपनी आत्मा पर पूरा नियन्त्रण रहता है. 33 परमेश्वर गड़बड़ी के नहीं, शान्ति के परमेश्वर हैं.
पवित्र लोगों की सभी आराधना-सभाओं के लिए सही यही है 34 कि सभाओं में स्त्रियाँ चुप रहें—उनको वहाँ बात करने की अनुमति नहीं है. व्यवस्था के अनुसार सही है कि वे अधीन बनी रहें. 35 यदि वास्तव में उनकी जिज्ञासा का कोई विषय हो तो वे घर पर अपने पति से पूछ लिया करें; क्योंकि आराधना सभा में स्त्री का कुछ भी बोलना ठीक नहीं है.
36 क्या परमेश्वर का वचन तुमसे निकला है? या सिर्फ तुम पर ही परमेश्वर के वचन का प्रकाशन हुआ है? 37 यदि कोई स्वयं को भविष्यद्वक्ता या आत्मिक व्यक्ति समझता है तो वह यह जान ले कि मैं तुम्हें जो कुछ लिख रहा हूँ, वे सब प्रभु की आज्ञाएं हैं. 38 यदि कोई इस सच्चाई को नहीं मानता है, वह स्वयं भी माना न जाएगा.
39 इसलिए, प्रियजन, भविष्यवाणी करने की क्षमता की इच्छा करते रहो, अन्य भाषा बोलने से मना न करो. 40 तुम जो कुछ करो, वह शालीनता तथा व्यवस्थित रूप में किया जाए.
New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.