Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
एज्रा क जरिये व्यवस्था विधान क बाँचा जाब
8 फुन इस्राएल क सबहिं लोग आपस मँ एकट्ठे भएन। उ पचे सबहिं एक रहेन अउर इ तरह एकमत रहेन जइसे माना उ पचे एक मनई होइँ। जल दुआर क समन्वा क खुले चौक मँ उ पचे आपुस मँ मिलेन। उ पचे लिपिक एज्रा स मूसा क व्यवस्था क किताब क लिआवइ बरे कहेन। इ उहइ व्यवस्था क विधान अहइ जेका इस्राएल क लोग यहोवा क दिहे रहेन। 2 तउ याजक एज्रा आपस मँ एकट्ठे भएन। ओन लोगन क समन्वा व्यवस्था क विधान क किताब क लइ आवा। उ दिन महीने क पहिली तारीख रही अउर उ महीना बरिस क सातवाँ महीना रहा। उ सभा मँ मनसेधू रहेन, मेहररूअन रहिन, अउर उ पचे सबहिं रहेन जउन बातन क सुन अउर समुझ सकत रहेन। 3 एज्रा भिंसारे क तड़के स लइके दोपहर तलक इ व्यवस्था क विधान क किताबे स पाठ किहा। उ समइ एज्रा क मुँह उ खुले चौक क तरफ रहा जउन जल दुआर क समन्वा पड़त रहा। उ सबहिं मनसेधुअन, मेहररूअन अउ ओन सबहिं लोगन क बरे ओका बाँचेस जउन सुन समुझ सकत रहेन। सबहि लोग व्यवस्था क विधान क सावधानी स सुनेन।
5 फुन एज्रा उ किताबे क खोलेस। एज्रा सबहि लोगन क देखाई देत रहा काहेकि उ सब लोगन स ऊपर एक ऊँचे मंच पइ खड़ा रहा। एज्रा व्यवस्था क विधान क किताब क जइसे ही खोलेस, सबहि लोग खड़े होइ गएन। 6 एज्रा महान परमेस्सर यहोवा क प्रसंसा किहस अउर सबहि लोग अपने हाथ ऊपर उठावत भए एक सुर मँ कहेन, “आमीन! आमीन!” अउर फुन सबहि लोग आपन मूँडि खाले निहुराइ दिहन अउर धरती पइ दण्डवत करत भए यहोवा क अराधना किहन।
8 लेवीबंस क एन लोग परमेस्सर क व्यवस्था क विधान क किताब क पाठ किहन। उ पचे ओनकर अइसी स्पस्ट किहेन कि लोग ओका समुझ सकइँ।
9 एकरे पाछे राज्जपाल नहेमायाह याजक अउ सिच्छक एज्रा अउ लेवीबंस क लोग जउन लोगन क सिच्छा देत रहेन, बोलेन। उ पचे कहेन, “आजु क दिन तोहरे परमेस्सर यहोवा क बिसेस दिन अहइ दुःखी जिन ह्वा, बिलाप जिन करा।” उ पचे अइसा एह बरे कहे रहेन कि लोग व्यवस्था क विधान मँ परमेस्सर क संदेसा सुनत भए रोवइ लगे रहेन।
10 नहेमायाह कहेस, “जा, अउर जाइके उत्तिम भोजन अउ सर्बत क आनन्द ल्या। अउर तनिक खाना अउर सर्बत ओन लोगन क भी द्या जउन कउनो खाना नाहीं बनावत ही। आजु यहोवा क खास दिन अहइँ। दुःखी जिन रहा। काहेकि यहोवा क आनन्द तोहका मज़बूत बनाइ देब।”
संगीत निर्देसक बरे दाऊद क एक ठु पद।
1 अकास परमेस्सर क महिमा बखानत ह,
अउ अकासमण्डल परमेस्सर क उत्तिम सबइ रचना क देखाँवत ह।
2 हर नवा दिन ओकर नई कथा कहत ह,
अउ हर रात परमेस्सर क नई-नई सक्तियन क परगट करत ह।
3 हुवाँ न कउनो भासन या सब्दन होइ।
न कउनो आवाज़ सुनाइ पड़त।
4 मुला ओकर “वाणी” भूमण्डल मँ बियापत ह
अउर ओकर “सब्दन” धरती क छोर तलक पहोंचत हीं।
ओनमाँ उ सूरज बरे एक घर जइसा तय्यार किहस ह।
5 सूरज नवखिल दुल्हा क नाई आपन सयन कच्छ स निकरत ह।
सूरज आपन राहे पइ अकास क पार करइ निकरि पड़त ह,
जइसे कउनो खिलाड़ी आपन दउड़ पूरी करइ बरे तइयार होइ।
6 अकासे क एक छोर स सूरज चल पड़त ह अउर ओह पार पहोंचइ क, उ सारी राह दउड़त रहत ह।
अइसी कउनो वस्तु नाहीं जउन आपन क ओकरी गर्मी स छुपाइ लेइ।
यहोवा क उपदेस भी अइसेन ही होत हीं।
7 यहोवा क सिच्छन सम्पूर्ण होत हीं,
इ सबइ भक्त जनन क सक्ती देत हीं।
यहोवा क करार पइ भरोसा कीन्ह जाइ सकत ह।
जेनके लगे बुद्धि नाहीं अहइ इ ओनका सुबुद्धि देत ह।
8 यहोवा क नेम निआव स पूरा होत हीं,
उ सबइ लोगन्क खुसी स भरि देत हीं।
यहोवा क आदेस उत्तिम अहइँ,
उ सबइ मनइयन क जिअइ क नई राह देखाँवत हीं।
9 यहोवा क आराधना प्रकास जइसी होत ह,
इ तउ सदा सर्वदा जोति स भरी रही।
यहोवा क निआव निस्पच्छ होत हीं,
उ सबइ पूरी तरह निआव स पूरा होत हीं।
10 यहोवा क उपदेस उत्तिम सुबरन अउ कुन्दन स भी बढ़िके मनोहर अहइँ,
उ सबइ उत्तिम सहद स भी जियादा मधुर अहइँ, जउन सोझ सहद क छत्ता स टपक आवत ह।
11 हे यहोवा, तोहार उपदेस तोहरे सेवक क आगाह करत हीं।
अउर जउन ओनकइ पालन करत हीं ओनका तउ बरदान मिलत ह।
12 हे यहोवा, आपन सबहिं दोसन क कउनो नाहीं लख पावत।
एह बरे तू मोका ओन पापन्स बचावा जउन एकान्त मँ छुपिके कीन्ह जात हीं।
13 हे यहोवा, मोका ओन पापन्क करइ स बचावा जेनका मइँ करइ चाहत हउँ।
ओन पापन्क मोह पइ सासन न करइ द्या।
अगर तू मोका बचावत ह तउ मइँ इमानदारी स भरि भवा होइ सकत हउँ
अउ बहोत सारा पापन्स मुक्त होइ सकत हउँ।
14 मोका आसा अहइ कि, मोर वचन अउ चिंतन तोहका प्रसन्न करिहीं।
हे यहोवा, तू मोर चट्टान, अउर मोर बचावइवाला अहा।
मसीह क देह
12 जइसेन हममें स हर एक क सरीर तउ एक्कइ बा, पर ओहमाँ अंग कइयउ बाटेन। अउर यद्यपि अंगन क कइयउ रहत भए ओनसे देह एकइ बनत ह वइसेन ही मसीह अहइ। 13 काहेकि चाहे हम यहूदी रहा अही, चाहे गैर यहूदी, सेवक होइ य स्वतन्त्र एकइ सरीर क विभिन्न अंग बनी जाइ क बरे हम सब क एकइ आतिमा द्वारा बपतिस्मा दीन्ह गवा अउर पियास बुझावइ क हम सब क एकइ आतिमा दीन्ह गइ बा।
14 अब देखा, मनई सरीर कउनो एक अंग स ही तउ बना नाहीं होत, बल्कि ओहमाँ बहुत स अंग होत हीं। 15 अगर गोड़ कहई, “काहेकि मइँ हाथ नाहीं हउँ, इही बरे मोर सरीर स कउनउ सम्बन्ध नाहीं।” तउ इही बरे क उ सरीर क अंग न रही। 16 इही तरह अगर कान कहइ, “काहेकि मइँ आँख नाहीं हउँ, एह बरे मइँ सरीर क नाहीं हउँ।” तउ का इही कारण स उ सरीर क अंग न रही? 17 अगर एक आँख ही सब सरीर होत तउ सुना कहाँ स जात? अगर कान ही सब सरीर होत तउ सूँघा कहाँ स जात? 18 मुला परमेस्सर जइसा ठीक समझेस उ सही मँ सरीर मँ वइसेन ही स्थान दिहेस। 19 तउ सरीर क सब अंग एक जइसा ही होइ जात तउ सरीर ही कहाँ होत। 20 मुला स्थिति इ बा कि अंग त कइयउ होत हीं मुला सरीर एक्कइ रहत ह।
21 आँख हाथे स इ नाहीं कहि सकत, “मोका तोहार जरूरत नाहीं बाटइ!” या अइसे ही सिर, गोड़न स इ नाहीं कहि सकत, “हमका तोहार जरूरत नाहीं!” 22 एकरे बिलकूल उल्टा सरीर क अंगन क हम कमजोर समझित ह, उ सबइ बहुत जरूरी होत हीं। 23 अउर सरीर क जउने अंगन क हम कम आदरणीय समझित ह, ओनकर हम जियादा धियान रखित ह। अउर हमार गुप्त अगं अउर जियादा सालीनता पाइ लेत हीं। 24 जब कि हमरे प्रदर्सनीय अंगन क एह तरह क उपचार क जरूरत नाहीं होत। मुला परमेस्सर तउ हमरे सरीर क रचना एह ढंग स किहेस ह जेहसे ओन अंगन क जउन कम सुन्दर बा अउर जियादा आदर मिलइ। 25 ताकि देहे मँ कहूँ कउनउ फूट न पड़इ बल्कि देहे क अंग परस्पर एक दुसरे क समान रूप स धियान रखइँ। 26 अगर सरीर क कउनउ एक अंग दुख पावत ह तउ ओकरे साथे सरीर क अउर सभन अंग दुखी होत हीं। अगर कउनउ एक अंग क मान बढ़वत ह त ओकर खुसी मँ सभन अगं हिस्सा बटाव थीं।
27 एह तरह तू सभन लोग मसीह क देह अहा अउर अलग-अलग रूप मँ ओकर अंग अहा। 28 ऍतना ही नाहीं परमेस्सर तउ कलीसिया मँ पहिले प्रेरितन क, दूसरे नबियन क, तीसरे उपदेसकन क फिन अद्भुत कारजन करइ वालन क, चंगा करइ क सक्ती स युक्त मनइयन क, फिन ओनकर जउन दुसरन क सहायता करत हीं, स्थापित किहे अहइ, फिन अगुवाई करइवालन क अउर फिन ओन्हन लोगन क जउन विभिन्न भाखा बोल सकत हीं। 29 का इ सब लोग प्रेरित अहइँ? का इ सब लोग नबी अहइँ? का इ सब लोग उपदेसक अहइँ? का इ सब लोग अचरज काम करत हीं? 30 का इ सब लोगन क लगे चंगा करइ क सक्ती बाटइ? का इ सब लोग दूसर भाखा बोलत हीं? 31 हाँ, मुला आतिमा क अउर बड़ा बरदान पावइ क बरे यत्न करत रहा। अउर इ सबन क बरे अच्छा रस्ता तू पचन क अब मइँ देखउब।
ईसू का लोगन क उपदेस
(मत्ती 4:12-17; मरकुस 1:14-15)
14 फिन ईसू आतिमा क समर्थ स भरा भवा गलील लौटि आवा अउर उ समूचे पहँटा मँ ओकर चर्चा फैलि गइ। 15 उ ओनके आराधनालय मँ उपदेस दिहेस। सबइ ओकर प्रसंसा करत रहेन।
ईसू क आपन सहर मँ जाब
(मत्ती 13:53-58; मरकुस 6:1-6)
16 फिन उ नासरत आवा जहाँ उ पला अउर बड़ा भवा। आपन आदत क मुताबिक सबित क दिन उ आराधनालय मँ गवा। जबहिं उ पाठ बाँचइ खड़ा भवा। 17 तउ यसायाह नबी क किताब ओका दीन्ह गई। जब उ किताब खोलेस तउ ओका जगह मिला जहाँ लिखा रहा कि:
18 “पर्भू क आतिमा मोरे मँ समाइ गइ
अहइ काहेकि किहेस ह उ मोर अभिसेक कि दीनउँ क सुसमाचार सुनाउब
मइँ, उ मोका पठएस ह बंदीयन क इ बतावइ कि उ पचे अजाद अहइँ।
आँधर क आँखिन मँ जोति सरसावइ,
अउर दलितन क छुटकारा देवॉवइ;
19 पर्भू क अनुग्रह क समइ बतावइ क भेजा अहइ!” (A)
20 फिन उ किताब क बंद कइके परिचारक क हथवा मँ दइ दिहस अउर बैठ गवा। आराधनालय मँ सबइ क आँखिन ओका निहारत रहिन। 21 तब उ ओनसे कहब सुरु किहेस, “आज इ बचन तोहरे काने मँ पूर भवा!”
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.