Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
येरूशालेम नगर पर विलाप
31 उसी समय कुछ फ़रीसियों ने उनके पास आ कर उनसे कहा, “यहाँ से चले जाओ क्योंकि हेरोदेस तुम्हारी हत्या कर देना चाहता है.”
32 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “जा कर उस लोमड़ी से कहो, ‘मैं आज और कल प्रेतों को निकालूंगा और लोगों को चँगा करूँगा और तीसरे दिन मैं अपने लक्ष्य पर पहुँच जाऊँगा.’ 33 फिर भी यह ज़रूरी है कि मैं आज, कल और परसों यात्रा करूँ क्योंकि यह हो ही नहीं सकता कि किसी भविष्यद्वक्ता की हत्या येरूशालेम नगर के बाहर हो.
34 “येरूशालेम, ओ येरूशालेम! तुम ऐसे नगर हो, जो भविष्यद्वक्ताओं की हत्या कर देता है तथा उनका पथराव करता है, जो इसके लिए भेजे जाते हैं. कितनी ही बार मैंने यह चाहा कि तुम्हारी संतानो को इकट्ठा करूँ—ठीक वैसे ही, जैसे मुर्गी अपने चूज़ों को अपने पंखों के नीचे इकट्ठा कर लेती है, किन्तु तुम ही ने न चाहा! 35 इसलिए तुम्हारा घर तुम्हारे लिए उजाड़ छोड़ा जा रहा है. जो मैं तुमसे कह रहा हूँ उसे सुनो: तुम मुझे तब तक न देखोगे जब तक वह समय न आए जब तुम यह कहोगे: ‘धन्य है वह, जो प्रभु के नाम में आता है.’”
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