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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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प्रेरित 28:23-31

रोम नगर के यहूदियों के सामने पौलॉस का भाषण

23 तब इसके लिए एक दिन तय किया गया और निर्धारित समय पर बड़ी संख्या में लोग उनके घर पर आए. सुबह से लेकर शाम तक पौलॉस सच्चाई से परमेश्वर के राज्य के विषय में शिक्षा देते रहे तथा मसीह येशु के विषय में मोशेह की व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं के लेखों से स्पष्ट करके उन्हें दिलासा दिलाते रहे. 24 उनकी बातों को सुनकर उनमें से कुछ तो मान गए किन्तु कुछ अन्यों ने इसका विश्वास नहीं किया. 25 जब वे एक दूसरे से सहमत न हो सके तो वे पौलॉस की इस अन्तिम बात को सुन कर जाने लगे: “भविष्यद्वक्ता यशायाह ने पवित्रात्मा के द्वारा आप लोगों के पूर्वजों पर एक ठीक सच्चाई ही प्रकाशित की थी:

26 “‘इन लोगों से जाकर कहो,
“तुम लोग सुनते तो रहोगे, किन्तु समझोगे नहीं.
    तुम लोग देखते भी रहोगे, किन्तु पहचान न सकोगे.”
27 क्योंकि इन लोगों का हृदय जड़ हो चुका है.
    अपने कानों से वे कदाचित ही कुछ सुन पाते हैं
    और आँखें तो उन्होंने मूंद ही रखी हैं,
कि कहीं वे आँखों से देख न लें
    और कानों से सुन न लें
    और अपने हृदय से समझ कर लौट आएँ और मैं, परमेश्वर,
उन्हें स्वस्थ और पूर्ण बना दूँ.’

28 “इसलिए यह सही है कि आपको यह मालूम हो जाए कि परमेश्वर का यह उद्धार अब अन्यजातियों के लिए भी मौजूद है. वे भी इसे स्वीकार करेंगे.” 29 उनकी इन बातों के बाद यहूदी वहाँ से आपस में झगड़ते हुए चले गए.

30 पौलॉस वहाँ अपने भाड़े के मकान में पूरे दो साल रहे. वह भेंट करने आए व्यक्तियों को पूरे दिल से स्वीकार करते थे.

31 वह निडरता से, बिना रोक-टोक के, पूरे साफ़-साफ़ शब्दों में परमेश्वर के राज्य का प्रचार करते और प्रभु मसीह येशु के विषय में शिक्षा देते रहे.

Saral Hindi Bible (SHB)

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