Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
दाऊद के अन्तिम शब्द
23 यिशै के पुत्र दाऊद के अन्तिम शब्द हैं, दाऊद ने यह गीत गाया:
“परमेश्वर द्वारा महान बना व्यक्ति कहता है,
वह याकूब के परमेश्वर द्वारा चुना गया राजा है,
वह इस्राएल का मधुर गायक है।
2 यहोवा की आत्मा मेरे माध्यम से बोला।
उसके शब्द मेरी जीभ पर थे।
3 इस्राएल के परमेश्वर ने बातें कीं।
इस्राएल की आश्रय, चट्टान ने मुझसे कहा,
‘वह व्यक्ति जो लोगों पर न्यायपूर्ण शासन करता है,
वह व्यक्ति जो परमेश्वर को सम्मान देकर शासन करता है।
4 वह उषाकाल के प्रकाश—सा होगा,
वह व्यक्ति मेघहीन प्रात: की तरह होगा,
वह व्यक्ति उस वर्षा के बाद की धूप सा होगा;
वर्षा जो भूमि में कोमल घासें उगाती है।’
5 “परमेश्वर ने मेरे परिवार को शक्तिशाली बनाया था।
परमेश्वर ने मेरे साथ सदैव के लिये एक वाचा की,
परमेश्वर ने यह वाचा पक्की की, और वह इसे नहीं तोड़ेगा,
यह वाचा मेरी मुक्ति है, यह वाचा वह सब है,
जो मैं चाहता हूँ।
सत्य ही, यहोवा मेरे परिवार को शक्तिशाली बनने देगा।
6 “किन्तु सभी बुरे व्यक्ति काँटों की तरह हैं।
लोग काँटों को धारण नहीं करते,
वे उन्हें दूर फेंक देते हैं।
7 यदि कोई व्यक्ति उन्हें छूता है,
तो वे उस भाले के दंड की तरह चुभते हैं जो लकड़ी तथा लोहे से बना हो।
वे लोग काँटो की तरह होंगे।
वे आग में फेंक दिये जाएंगे,
और वे पूरी तरह भस्म हो जायेंगे।”
मन्दिर का आरोहण गीत।
1 हे यहोवा, जैसे दाऊद ने यातनाएँ भोगी थी, उसको याद कर।
2 किन्तु दाऊद ने यहोवा की एक मन्नत मानी थी।
दाऊद ने इस्राएल के पराक्रमी परमेश्वर की एक मन्नत मानी थी।
3 दाऊद ने कहा था: “मैं अपने घर में तब तक न जाऊँगा,
अपने बिस्तर पर न ही लेटूँगा,
4 न ही सोऊँगा।
अपनी आँखों को मैं विश्राम तक न दूँगा।
5 इसमें से मैं कोई बात भी नहीं करूँगा जब तक मैं यहोवा के लिए एक भवन न प्राप्त कर लूँ।
मैं इस्राएल के शक्तिशाली परमेश्वर के लिए एक मन्दिर पा कर रहूँगा!”
6 एप्राता में हमने इसके विषय में सुना,
हमें किरीयथ योरीम के वन में वाचा की सन्दूक मिली थी।
7 आओ, पवित्र तम्बू में चलो।
आओ, हम उस चौकी पर आराधना करें, जहाँ पर परमेश्वर अपने चरण रखता है।
8 हे यहोवा, तू अपनी विश्राम की जगह से उठ बैठ,
तू और तेरी सामर्थ्यवान सन्दूक उठ बैठ।
9 हे यहोवा, तेरे याजक धार्मिकता धारण किये रहते हैं।
तेरे जन बहुत प्रसन्न रहते हैं।
10 तू अपने चुने हुये राजा को
अपने सेवक दाऊद के भले के लिए नकार मत।
11 यहोवा ने दाऊद को एक वचन दिया है कि दाऊद के प्रति वह सच्चा रहेगा।
यहोवा ने वचन दिया है कि दाऊद के वंश से राजा आयेंगे।
12 यहोवा ने कहा था, “यदि तेरी संतानें मेरी वाचा पर और मैंने उन्हें जो शिक्षाएं सिखाई उन पर चलेंगे तो
फिर तेरे परिवार का कोई न कोई सदा ही राजा रहेगा।”
13 अपने मन्दिर की जगह के लिए यहोवा ने सिय्योन को चुना था।
यह वह जगह है जिसे वह अपने भवन के लिये चाहता था।
14 यहोवा ने कहा था, “यह मेरा स्थान सदा सदा के लिये होगा।
मैंने इसे चुना है ऐसा स्थान बनने को जहाँ पर मैं रहूँगा।
15 भरपूर भोजन से मैं इस नगर को आशीर्वाद दूँगा,
यहाँ तक कि दीनों के पास खाने को भर—पूर होगा।
16 याजकोंको मैं उद्धार का वस्त्र पहनाऊँगा,
और यहाँ मेरे भक्त बहुत प्रसन्न रहेंगे।
17 इस स्थान पर मैं दाऊद को सुदृढ करुँगा।
मैं अपने चुने राजा को एक दीपक दूँगा।
18 मैं दाऊद के शत्रुओं को लज्जा से ढक दूँगा
और दाऊद का राज्य बढाऊँगा।”
कलीसियाओं के नाम यूहन्ना का सन्देश
4 यूहन्ना की ओर से
एशिया प्रान्त[a] में स्थित सात कलीसियाओं के नाम:
उस परमेश्वर की ओर से जो वर्तमान है, जो सदा-सदा से था और जो आनेवाला है, उन सात आत्माओं की ओर से जो उसके सिंहासन के सामने हैं 5 एवं उस यीशु मसीह की ओर से जो विश्वासपूर्ण साक्षी, मरे हुओं में से पहला जी उठने वाला तथा धरती के राजाओं का भी राजा है, तुम्हें अनुग्रह और शांति प्राप्त हो।
वह जो हमसे प्रेम करता है तथा जिसने अपने लहू से हमारे पापों से हमें छुटकारा दिलाया है। 6 उसने हमें एक राज्य तथा अपने परम पिता परमेश्वर की सेवा में याजक होने को रचा। उसकी महिमा और सामर्थ्य सदा-सर्वदा होती रहे। आमीन!
7 देखो, मेघों के साथ मसीह आ रहा है। हर एक आँख उसका दर्शन करेगी। उनमें वे भी होंगे, जिन्होंने उसे बेधा[b] था। तथा धरती के सभी लोग उसके कारण विलाप करेंगे। हाँ! हाँ निश्चयपूर्वक ऐसा ही हो-आमीन!
8 प्रभु परमेश्वर वह जो है, जो था और जो आनेवाला है, जो सर्वशक्तिमान है, यह कहता है, “मैं ही अलफा और ओमेगा हूँ।”[c]
33 तब पिलातुस महल में वापस चला गया। और यीशु को बुला कर उससे पूछा, “क्या तू यहूदियों का राजा है?”
34 यीशु ने उत्तर दिया, “यह बात क्या तू अपने आप कह रहा है या मेरे बारे में यह औरों ने तुझसे कही है?”
35 पिलातुस ने उत्तर दिया, “क्या तू सोचता है कि मैं यहूदी हूँ? तेरे लोगों और महायाजकों ने तुझे मेरे हवाले किया है। तूने क्या किया है?”
36 यीशु ने उत्तर दिया, “मेरा राज्य इस जगत का नहीं है। यदि मेरा राज्य इस जगत का होता तो मेरी प्रजा मुझे यहूदियों को सौंपे जाने से बचाने के लिए युद्ध करती। किन्तु वास्तव में मेरा राज्य यहाँ का नहीं है।”
37 इस पर पिलातुस ने उससे कहा, “तो तू राजा है?”
यीशु ने उत्तर दिया, “तू कहता है कि मैं राजा हूँ। मैं इसीलिए पैदा हुआ हूँ और इसी प्रयोजन से मैं इस संसार में आया हूँ कि सत्य की साक्षी दूँ। हर वह व्यक्ति जो सत्य के पक्ष में है, मेरा वचन सुनता है।”
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