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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 132:1-12

मन्दिर का आरोहण गीत।

हे यहोवा, जैसे दाऊद ने यातनाएँ भोगी थी, उसको याद कर।
किन्तु दाऊद ने यहोवा की एक मन्नत मानी थी।
    दाऊद ने इस्राएल के पराक्रमी परमेश्वर की एक मन्नत मानी थी।
दाऊद ने कहा था: “मैं अपने घर में तब तक न जाऊँगा,
    अपने बिस्तर पर न ही लेटूँगा,
न ही सोऊँगा।
    अपनी आँखों को मैं विश्राम तक न दूँगा।
इसमें से मैं कोई बात भी नहीं करूँगा जब तक मैं यहोवा के लिए एक भवन न प्राप्त कर लूँ।
    मैं इस्राएल के शक्तिशाली परमेश्वर के लिए एक मन्दिर पा कर रहूँगा!”

एप्राता में हमने इसके विषय में सुना,
    हमें किरीयथ योरीम के वन में वाचा की सन्दूक मिली थी।
आओ, पवित्र तम्बू में चलो।
    आओ, हम उस चौकी पर आराधना करें, जहाँ पर परमेश्वर अपने चरण रखता है।
हे यहोवा, तू अपनी विश्राम की जगह से उठ बैठ,
    तू और तेरी सामर्थ्यवान सन्दूक उठ बैठ।
हे यहोवा, तेरे याजक धार्मिकता धारण किये रहते हैं।
    तेरे जन बहुत प्रसन्न रहते हैं।
10 तू अपने चुने हुये राजा को
    अपने सेवक दाऊद के भले के लिए नकार मत।
11 यहोवा ने दाऊद को एक वचन दिया है कि दाऊद के प्रति वह सच्चा रहेगा।
    यहोवा ने वचन दिया है कि दाऊद के वंश से राजा आयेंगे।
12 यहोवा ने कहा था, “यदि तेरी संतानें मेरी वाचा पर और मैंने उन्हें जो शिक्षाएं सिखाई उन पर चलेंगे तो
    फिर तेरे परिवार का कोई न कोई सदा ही राजा रहेगा।”

भजन संहिता 132:13-18

13 अपने मन्दिर की जगह के लिए यहोवा ने सिय्योन को चुना था।
    यह वह जगह है जिसे वह अपने भवन के लिये चाहता था।
14 यहोवा ने कहा था, “यह मेरा स्थान सदा सदा के लिये होगा।
    मैंने इसे चुना है ऐसा स्थान बनने को जहाँ पर मैं रहूँगा।
15 भरपूर भोजन से मैं इस नगर को आशीर्वाद दूँगा,
    यहाँ तक कि दीनों के पास खाने को भर—पूर होगा।
16 याजकोंको मैं उद्धार का वस्त्र पहनाऊँगा,
    और यहाँ मेरे भक्त बहुत प्रसन्न रहेंगे।
17 इस स्थान पर मैं दाऊद को सुदृढ करुँगा।
    मैं अपने चुने राजा को एक दीपक दूँगा।
18 मैं दाऊद के शत्रुओं को लज्जा से ढक दूँगा
    और दाऊद का राज्य बढाऊँगा।”

2 राजा 23:1-14

लोग नियम को सुनते हैं

23 राजा योशिय्याह ने यहूदा और इस्राएल के सभी प्रमुखों से आने और उससे मिलने के लिये कहा। तब राजा यहोवा के मन्दिर गया। सभी यहूदा के लोग और यरूशलेम में रहने वाले लोग उसके साथ गए। याजक, नबी, और सभी व्यक्ति, सबसे अधिक महत्वपूर्ण से सबसे कम महत्व के सभी उसके साथ गए। तब उसने साक्षीपत्र की पुस्तक पढ़ी। यह वही नियम की पुस्तक थी जो यहोवा के मन्दिर में मिली थी। योशिय्याह ने उस पुस्तक को इस प्रकार पढ़ा कि सभी लोग उसे सुन सकें।

राजा स्तम्भ के पास खड़ा हुआ और उसने यहोवा के साथ वाचा की। उसने यहोवा का अनुसरण करना, उसकी आज्ञा, वाचा और नियमों का पालन करना स्वीकार किया। उसने पूरी आत्मा और हृदय से यह करना स्वीकार किया। उसने उस पुस्तक में लिखी वाचा को मानना स्वीकार किया। सभी लोग यह प्रकट करने के लिये खड़े हुए कि वे राजा की वाचा का समर्थन करते हैं।

तब राजा ने महायाजक हिलकिय्याह, अन्य याजकों और द्वारपालों को बाल, अशेरा और आकाश के नक्षत्रों के सम्मान के लिये बनी सभी चीज़ों को यहोवा के मन्दिर के बाहर लाने का आदेश दिया। तब योशिय्याह ने उन सभी को यरूशलेम के बाहर किद्रोन के खेतों में जला दिया। तब राख को वे बेतेल ले गए।

यहूदा के राजाओं ने कुछ सामान्य व्यक्तियों को याजकों के रूप में सेवा के लिये चुना था। ये लोग हारून के परिवार से नहीं थे! वे बनावटी याजक यहूदा के सभी नगरों और यरूशलेम के चारों ओर के नगरों में उच्च स्थानों पर सुगन्धि जला रहे थे। वे बाल, सूर्य, चन्द्र, राशियों (नक्षत्रों के समूह) और आकाश के सभी नक्षत्रों के सम्मान में सुगन्धि जला रहे थे। किन्तु योशिय्याह ने उन बनावटी याजकों को रोक दिया।

योशिय्याह ने अशेरा स्तम्भ को यहोवा के मन्दिर से हटाया। वह अशेरा स्तम्भ को नगर के बाहर किद्रोन घाटी को ले गया और उसे वहीं जला दिया। तब उसने जले खण्ड़ों को कूटा तथा उस राख को साधारण लोगों की कब्रों पर बिखेरा।[a]

तब राजा योशिय्याह ने यहोवा के मन्दिर में बने पुरषगामियों के कोठों को गिरवा दिया। स्त्रियाँ भी उन घरों का उपयोग करती थीं और असत्य देवी अशेरा के सम्मान के लिये डेरे के आच्छादन बनाती थीं।

8-9 उस समय याजक बलि यरूशलेम को नहीं लाते थे और उसे मन्दिर की वेदी पर नहीं चढ़ाते थे। याजक सारे यहूदा के नगरों में रहते थे और वे उन नगरों में उच्च स्थानों पर सुगन्धि जलाते तथा बलि भेंट करते थे। वे उच्च स्थान गेबा से लेकर बेर्शेबा तक हर जगह थे। याजक अपनी अखमीरी रोटी उन नगरों में साधारण लोगों के साथ खाते थे, किन्तु यरूशलेम के मन्दिर में बने याजकों के लिये विशेष स्थान पर नहीं। परन्तु राजा योशिय्याह ने उन उच्च स्थानों को भ्रष्ट (नष्ट) कर डाला और याजकों को यरूशलेम ले गया। योशिय्याह ने उन उच्च स्थानों को भी नष्ट किया था जो यहोशू—द्वार के पास बायीं ओर थे। (यहोशू नगर का प्रशासक था।)

10 तोपेत “हिन्नोम के पुत्र की घाटी” में एक स्थान था जहाँ लोग अपने बच्चों को मारते थे और असत्य देवता मोलेक के सम्मान में उन्हें वेदी पर जलाते थे।[b] योशिय्याह ने उस स्थान को इतना भ्रष्ट (नष्ट) कर डाला कि लोग उस स्थान का फिर प्रयोग न कर सकें। 11 बीते समय में यहूदा के राजाओं ने यहोवा के मन्दिर के द्वार के पास कुछ घोड़े और रथ रख छोड़े थे। यह नतन्मेलेख नामक महत्वपूर्ण अधिकारी के कमरे के पास था। घोड़े और रथ सूर्य देव के सम्मान के लिये थे। योशिय्याह ने घोड़ों को हटाया और रथ को जला दिया।

12 बीते समय में यहूदा के राजाओं ने अहाब की इमारत की छत पर वेदियाँ बना रखी थीं। राजा मनश्शे ने भी यहोवा के मन्दिर के दो आँगनों में वेदियाँ बना रखी थीं। योशिय्याह ने उन वेदियों को तोड़ डाला और उनके टूटे टुकड़ों को किद्रोन की घाटी में फेंक दिया। 13 बीते समय में राजा सुलैमान ने यरूशलेम के निकट विध्वंसक पहाड़ी पर कुछ उच्च स्थान बनाए थे। उच्च स्थान उस पहाड़ी की दक्षिण की ओर थे। राजा सुलैमान ने पूजा के उन स्थानों में से एक को, सीदोन के लोग जिस भयंकर चीज़ अशतोरेत की पूजा करते थे, उसके सम्मान के लिये बनाया था। सुलैमान ने मोआब लोगों द्वारा पूजित भयंकर कमोश के सम्मान के लिये भी एक वेदी बनाई थी और राजा सुलैमान ने अम्मोन लोगों द्वारा पूजित भयंकर चीज मिल्कोम के सम्मान के लिये एक उच्च स्थान बनाया था। किन्तु राजा योशिय्याह ने उन सभी पूजा स्थानों को भ्रष्ट (नष्ट) कर दिया। 14 राजा योशिय्याह ने सभी स्मृति पत्थरों और अशेरा स्तम्भों को तोड़ डाला। तब उसने उस स्थानों के ऊपर मृतकों की हड्डियाँ बिखेरीं।[c]

यूहन्ना 3:31-36

वह जो स्वर्ग से उतरा

31 “जो ऊपर से आता है वह सबसे महान् है। वह जो धरती से है, धरती से जुड़ा है। इसलिये वह धरती की ही बातें करता है। जो स्वर्ग से उतरा है, सबके ऊपर है; 32 उसने जो कुछ देखा है, और सुना है, वह उसकी साक्षी देता है पर उसकी साक्षी को कोई ग्रहण नहीं करना चाहता। 33 जो उसकी साक्षी को मानता है वह प्रमाणित करता है कि परमेश्वर सच्चा है। 34 क्योंकि वह, जिसे परमेश्वर ने भेजा है, परमेश्वर की ही बातें बोलता है। क्योंकि परमेश्वर ने उसे आत्मा का अनन्त दान दिया है। 35 पिता अपने पुत्र को प्यार करता है। और उसी के हाथों में उसने सब कुछ सौंप दिया है। 36 इसलिए वह जो उसके पुत्र में विश्वास करता है अनन्त जीवन पाता है पर वह जो परमेश्वर के पुत्र की बात नहीं मानता उसे वह जीवन नहीं मिलेगा। इसके बजाय उस पर परम पिता परमेश्वर का क्रोध बना रहेगा।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International