Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
खलिहान
3 तब रूत की सास नाओमी ने उससे कहा, “मेरी पुत्री, संभव है कि मैं तेरे लिए एक अच्छा घर पा सकूँ। यह तेरे लिये अच्छा होगा। 2 बोअज उपयुक्त व्यक्ति हो सकता है। बोअज़ हमारा निकट का सम्बन्धि है। तुमने उसकी दासियों के साथ काम किया है। आज रात वह खलिहान में काम कर रहा होगा। 3 जाओ, नहाओ और अच्छे वस्त्र पहनो। सुगन्ध द्रव्य लगाओ और खलिहान में जाओ। किन्तु बोअज़ के सामने तब तक न पड़ो जब तक वह रात्रि का भोजन न कर ले। 4 भोजन करने के बाद, वह आराम करने के लिये लेटेगा। देखती रहो जिस से तुम यह जान सको कि वह कहाँ लेटा है। वहाँ जाओ और उसके पैर के वस्त्र उघाड़ो।[a] तब बोअज़ के साथ सोओ। वह बताएगा कि तुम्हें विवाह के लिये क्या करना होगा।”
5 तब रूत ने उत्तर दिया, “आप जो करने को कहती हैं, मैं करूँगी।”
13 इस प्रकार बोअज ने रूत से विवाह किया। यहोवा ने रूत को गर्भवती होने दिया और रूत ने एक पुत्र को जन्म दिया। 14 नगर की स्त्रियों ने नाओमी से कहा,
“उस यहोवा का आभार मानो जिसने तुम्हें ऐसा पुत्र दिया।
यहोवा करे वह, इस्राएल में प्रसिद्ध हो।
15 वह तुम्हें फिर देगा एक जीवन!
और बुढ़ापे में तुम्हारा वह रखेगा ध्यान।
तुम्हारी बहू के कारण घटना घटी है
यह गर्भ में धारण किया उसने यह बच्चा तुम्हारे लिए।
प्यार वह करती है तुमसे
और वह उत्तम है तम्हारे लिए सात बेटों से अधिक।”
16 नाओमी ने लड़के को लिया, उसे अपनी बाहों में उठा लिया, तथा उसका पालन—पोषण किया। 17 पड़ोसियों ने बच्चे का नाम रखा। उन स्त्रियों ने कहा, “अब नाओमी के पास एक पुत्र है!” पड़ोसियों ने उसका नाम ओबेद रखा। ओबेद यिशै का पिता था और यिशै, राजा दाऊद का पिता था।
सुलैमान का मन्दिर का आरोहण गीत।
1 यदि घर का निर्माता स्वयं यहोवा नहीं है,
तो घर को बनाने वाला व्यर्थ समय खोता है।
यदि नगर का रखवाला स्वयं यहोवा नहीं है,
तो रखवाले व्यर्थ समय खोते हैं।
2 यदि सुबह उठ कर तुम देर रात गए तक काम करो।
इसलिए कि तुम्हें बस खाने के लिए कमाना है,
तो तुम व्यर्थ समय खोते हो।
परमेश्वर अपने भक्तों का उनके सोते तक में ध्यान रखता है।
3 बच्चे यहोवा का उपहार है,
वे माता के शरीर से मिलने वाले फल हैं।
4 जवान के पुत्र ऐसे होते हैं
जैसे योद्धा के तरकस के बाण।
5 जो व्यक्ति बाण रुपी पुत्रों से तरकस को भरता है वह अति प्रसन्न होगा।
वह मनुष्य कभी हारेगा नहीं।
उसके पुत्र उसके शत्रुओं से सर्वजनिक स्थानों पर
उसकी रक्षा करेंगे।
24 मसीह ने मनुष्य के हाथों के बने परम पवित्र स्थान में, जो सच्चे परम पवित्र स्थान की एक प्रतिकृति मात्र था, प्रवेश नहीं किया। उसने तो स्वयं स्वर्ग में ही प्रवेश किया ताकि अब वह हमारी ओर से परमेश्वर की उपस्थिति में प्रकट हो।
25 और न ही अपना बार-बार बलिदान चढ़ाने के लिए उसने स्वर्ग में उस प्रकार प्रवेश किया जैसे महायाजक उस लहू के साथ, जो उसका अपना नहीं है, परम पवित्र स्थान में हर साल प्रवेश करता है। 26 नहीं तो फिर मसीह को सृष्टि के आदि से ही अनेक बार यातनाएँ झेलनी पड़तीं। किन्तु अब देखो, इतिहास के चरम बिन्दु पर अपने बलिदान के द्वारा पापों का अंत करने के लिए वह सदा सदा के लिए एक ही बार प्रकट हो गया है।
27 जैसे एक बार मरना और उसके बाद न्याय का सामना करना मनुष्य की नियति है। 28 सो वैसे ही मसीह को, एक ही बार अनेक व्यक्तियों के पापों को उठाने के लिए बलिदान कर दिया गया। और वह पापों को वहन करने के लिए नहीं, बल्कि जो उसकी बाट जोह रहे हैं, उनके लिए उद्धार लाने को फिर दूसरी बार प्रकट होगा।
धर्मशास्त्रियों के विरोध में यीशु की चेतावनी
(मत्ती 23:1-36; लूका 20:45-47)
38 अपने उपदेश में उसने कहा, “धर्मशास्त्रियों से सावधान रहो। वे अपने लम्बे चोगे पहने हुए इधर उधर घूमना पसंद करते हैं। बाजारों में अपने को नमस्कार करवाना उन्हें भाता है। 39 और आराधनालयों में वे महत्वपूर्ण आसनों पर बैठना चाहते हैं। वे जेवनारों में भी अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान पाने की इच्छा रखते हैं। 40 वे विधवाओं की सम्पति हड़प जाते हैं। दिखावे के लिये वे लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ बोलते हैं। इन लोगों को कड़े से कड़ा दण्ड मिलेगा।”
सच्चा दान
(लूका 21:1-4)
41 यीशु दान-पात्र के सामने बैठा हुआ देख रहा था कि लोग दान पात्र में किस तरह धन डाल रहे हैं। बहुत से धनी लोगों ने बहुत सा धन डाला। 42 फिर वहाँ एक गरीब विधवा आयी और उसने उसमें दो दमड़ियाँ डालीं जो एक पैसे के बराबर भी नहीं थीं।
43 फिर उसने अपने चेलों को पास बुलाया और उनसे कहा, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ, धनवानों द्वारा दान-पात्र में डाले गये प्रचुर दान से इस निर्धन विधवा का यह दान कहीं महान है। 44 क्योंकि उन्होंने जो कुछ उनके पास फालतु था, उसमें से दान दिया, किन्तु इसने अपनी दीनता में जो कुछ इसके पास था सब कुछ दे डाला। इसके पास इतना सा ही था जो इसके जीवन का सहारा था!”
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